बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न-हिन्दी शिक्षक के कर्त्तव्य बताइये।
उत्तर-
हिन्दी शिक्षक के कर्त्तव्य
हिन्दी शिक्षक के कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं-
शिक्षक का कर्त्तव्य केवल इतना ही नहीं है कि कक्षा में छात्रों को नियन्त्रण अथवा अनुशासन में रखे और सीखने तथा पढ़ने के लिये प्रेरणा देता रहे। अपितु शिक्षक का कर्त्तव्य बालक का समाजीकरण करना भी है। उसे एक दार्शनिक, निर्देशक तथा मित्र जैसा व्यवहार छात्रों के प्रति करना है। शिक्षक के कर्त्तव्य को अध्यापन के लिये चार वर्गों में बाँटा गया है-
(1) पाठ्य-वस्तु का चयन - शिक्षक को विषय-वस्तु को बालक के मानसिक विकास क्रम में व्यवस्थित करना होता है जिससे छात्रों को सीखने में सरलता होती है। नवीन ज्ञान को उसके अनुभवों से सम्बन्ध स्थापित करते हुए प्रस्तुत करता है। अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन के लिये शिक्षक को उपयुक्त सीखने तथा अनुभवों की व्यवस्था करनी होती है।
(2) छात्रों को निर्देशन तथा दिशा प्रदान करना - शिक्षण की कला सीखने के अनुभवों को निर्देशन तथा दिशा प्रदान करती है। इसके लिये शिक्षक को सीखने के लिये अभिप्रेरणा की खोज करनी पड़ती है। शिक्षण सहायक सामग्री के चयन एवं प्रयोग की भी व्यवस्था करनी पड़ती है। सीखने के अनुभवों के लिये उपयुक्त वातावरण उत्पन्न करना शिक्षक का ही कर्त्तव्य होता है जिससे बालक के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाया जा सकता है।
(8) मूल्यांकन विधि का प्रयोग - शिक्षक को शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति के लिये मूल्यांकन विधि का प्रयोग करना पड़ता है। इसमें शिक्षक को शिक्षण तथा परीक्षण दोनों क्रियाओं को सम्पन्न करना पड़ता है। शिक्षक अपने शिक्षण तथा अधिगम के अनुभवों का मूल्यांकन कर लेता है और छात्रों ने कितना सीखा है, छात्रों की निष्पत्तियों के लिए प्रश्न-पत्र शिक्षण बिन्दुओं के आधार पर तैयार किया जाता है। छात्रों से हल कराने के बाद उत्तर-पुस्तिकाओं का अंकन करके उनकी सूचना उनके अभिभावकों को भेजे। छात्रों को शैक्षिक तथा व्यवसायिक निर्देशन भी प्रदान करे। इसके लिये शिक्षक को उनकी अभिरुचि, बुद्धि प्रवणता का भी मापन करना चाहिए।
(4) समाजीकरण - वैज्ञानिक युग में औद्योगीकरण को अधिक बढ़ावा मिला है, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा संस्थाओं का ही उत्तरदायित्व हो गया है कि वे बालकों का समाजीकरण भी करें। इसके लिये शिक्षक का ही उत्तरदायित्व है कि वह विद्यालय में ऐसा वातावरण उत्पन्न करे जिससे वह सामाजिक मूल्यों एवं उच्च आदर्शों का अनुकरण करें। महापुरुषों के जन्म-दिवस, त्यौहार, राष्ट्रीय पर्वों आदि का आयोजन विद्यालय में ही किया जाये।
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