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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2760
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 6 - हिन्दी शिक्षक का महत्व एवं हिन्दी शिक्षक के गुण

प्रश्न- हिन्दी शिक्षक के गुणों तथा कर्त्तव्यों की विवेचना कीजिए।

अथवा
हिन्दी शिक्षक में कौन-कौन से गुण होने चाहिये?
अथवा
हिन्दी शिक्षक की विशेषताएँ बताते हुए हिन्दी शिक्षक का व्यक्तित्व स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में हिन्दी शिक्षक की भूमिका किस प्रकार अन्य विषयों के शिक्षकों से भिन्न है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिये।
अथवा
हिन्दी के सफल शिक्षक में किन विशिष्ट गुणों का होना आवश्यक है? 

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. हिन्दी शिक्षक के गुण बताइये।

उत्तर-

हिन्दी शिक्षक के गुण

एक प्रभावशाली हिन्दी शिक्षक के लिये निम्नलिखित गुण होने आवश्यक हैं-

(1) साहित्य के प्रति अनुराग - हिन्दी शिक्षक का साहित्य के प्रति अनुराग न होना व स्वयं की रुचि साहित्य अध्ययन में नहीं होगी तो ऐसा अध्यापक साहित्य के प्रति विद्यार्थियों की रुचि जाग्रत नहीं कर. सकेगा। साहित्य के प्रति अनुराग रखने वाला शिक्षक ही साहित्य में प्रवेश सफलतापूर्वक करवा सकेगा।

(2) विस्तृत अध्ययन - हिन्दी शिक्षक के लिये यह आवश्यक है कि अध्ययन विस्तृत हो ताकि प्रसंगानुकूल समान्तर उद्धरण देकर विषय को रोचक व बोधगम्य बना सके। साहित्य का अध्यापन सफलतापूर्वक तभी हो पाता है जबकि शब्द चयन अच्छा हो व प्रसंगानुकूल तथ्यों को प्रस्तुत किया जा सके।

(3) सशक्त अभिव्यक्ति - साहित्य अध्यापन का सम्बन्ध सशक्त मौखिक व लिखित अभिव्यक्ति से है चाहे विचाराभिव्यक्ति हो अथवा भावाभिव्यक्ति जिस शिक्षक की अभिव्यक्ति प्रभावशाली नहीं है, वह सफल शिक्षक नहीं हो सकता।

(4) भावानुकूल वाचन - शिक्षक द्वारा किया गया आदर्श पाठ वास्तव में आदर्श ही होना चाहिए। भावानुकूल स्वर में उतार-चढ़ाव के साथ किया गया आदर्श वाचन सफल शिक्षण में सहायक होता है।

(5) प्रभावशाली प्रवचन - हिन्दी शिक्षक का प्रवचन अत्यन्त प्रभावशाली होना चाहिए ताकि अपने सशक्त प्रवचन द्वारा वह सजीव वर्णन प्रस्तुत कर सके, व्याख्या कर सके व सरल भाषा में विद्यार्थी को उसके स्तर के अनुसार- समझा सके, वही शिक्षक सफल शिक्षण में सहायक होता है।

(6) अन्य विषयों की जानकारी - मातृभाषा के शिक्षक का सामान्य ज्ञान इतना होना चाहिए कि पाठ्य-पुस्तक में यदि कोई तथ्य अन्य विषयों से सम्बन्धित आ जाये, उसको वे सफलतापूर्वक समझा सके।

(7) सद्व्यवहार - हिन्दी शिक्षक का दृष्टिकोण उदारता, सहिष्णुता व सहयोग से अनुप्राणित होना चाहिए ताकि विद्यार्थी भी उच्च कोटि के जीवन मूल्यों को अपने जीवन में स्थान दे सके। शिक्षक के संकुचित, अनुदार व साम्प्रदायिक दृष्टिकोण का कुप्रभाव विद्यार्थियों पर भी पड़ जाता है। अतः साहित्य शिक्षक का यही कर्त्तव्य है कि वह अपने सद्व्यवहार द्वारा विद्यार्थियों को अपने जीवन में सद्व्यवहार के मूल्य को उचित स्थान देने की प्रेरणा दे।

(8) मनोविज्ञान का पारखी - हिन्दी शिक्षक को मनोविज्ञान का पारखी होना चाहिए ताकि जीवन से उदाहरण स्तरानुकूल व अवस्थानुसार प्रस्तुत कर सके व मनोभावों का उदान्तिकरण कुछ विशेष स्थलों को पढ़ाते समय कर सके।

(9) कुशल प्रबन्धकर्त्ता - प्रत्येक हिन्दी शिक्षक को चाहिए वह अपने विद्यालय में बाल सभा के अन्तर्गत या हिन्दी समितियों के अन्तर्गत साहित्य कार्यक्रमों का आयोजन करें ताकि मातृभाषा अध्ययन को चारों उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके। अतः इन क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिये हिन्दी शिक्षक को एक अच्छा प्रबन्धकर्त्ता होना चाहिए ताकि कम समय में व सीमित धन में उच्चकोटि के कार्यक्रमों का आयोजन हो सके।

(10) मौलिक चिन्तन - हिन्दी शिक्षक में यह गुण होना चाहिए कि वह अन्य विद्वानों द्वारा कही गयी बातों को पढ़कर ही संतुष्ट होने वाला व्यक्ति न हो बल्कि स्वतन्त्र विचारों का पोषक हो। स्वयं भी मौलिक चिन्तन कर सके व विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित करे मौलिक विचारों व भावों की उद्भावना हेतु स्वतन्त्र राष्ट्र निर्माण हेतु हिन्दी शिक्षक में इस गुण का होना अत्यन्तावश्यक है ताकि रूढ़िवादिता से मुक्ति मिल सके व नव समाज को नये ढंग से निर्मित किया जा सके. नवीन विचारों से प्रेरित होकर नव रूपांकित किया जा सके।

(11) शिक्षण प्रवणता - हिन्दी शिक्षक को इस कार्य को व्यवसाय के रूप में स्वीकार करना चाहिए। उसे अपने कार्य में रुचि तथा प्रवणता है। शिक्षण को धन्धे के रूप में ग्रहण नहीं करना चाहिए। इसके लिये शिक्षक को अधोलिखित क्षमताएँ होनी चाहिए-

1. विषय के प्रति रुचि शिक्षण में रुचि तथा आकर्षण होना।

2. शिक्षण विधियों, प्रविधियों, सहायक सामग्री के प्रयुक्त करने की क्षमता।

3. बाल - मनोविज्ञान, शिक्षण सिद्धान्त तथा शैक्षिक निर्देशन की विधियों का सही बोध होना चाहिए।

4. हिन्दी शिक्षण में शिक्षण- सहायक सामग्री, चित्र, भाषा प्रयोगशाला, पुस्तकालय के संगठन एवं प्रयोग करने की योग्यता होनी चाहिये।

5. मूल्यांकन विधि तथा नवीन परीक्षाओं का व्यावहारिक ज्ञान होना चाहिए।

हिन्दी शिक्षण की 'प्रवणता' के लिए उपरोक्त योग्यता एवं शिक्षण के प्रति लगाव होना चाहिए।

(12) कक्षा शिक्षण की समस्याओं के समाधान की क्षमता - एक योग्य शिक्षक को छात्रों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील भी होना पड़ता है। उनके लिये वैज्ञानिक ढंग से समाधान भी निकालना होता है। कुशल शिक्षक कक्षा में अध्यापन के साथ ही समस्याओं के समाधान के लिये योजनाएँ भी क्रियान्वयन करता रहता है जिसे क्रियात्मक अनुसंधान की संज्ञा भी दी जाती है। इस प्रकार के अनुसंधानों से कक्षा की समस्याओं के प्रति समाधान तथा अपनी गतिविधि में सुधार तथा विकास भी करता है। वह अपनी शिक्षण क्षमताओं का उपयोग भली प्रकार करने में सफल हो सकता है। शैक्षिक निर्देशन का भी हिन्दी शिक्षक को ज्ञान होना चाहिए।

 

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