बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शिक्षण के विविध स्तरों पर हिन्दी शिक्षण के क्या उद्देश्य होने चाहिए?
उत्तर-
राष्ट्र के पुनर्निर्माण के कार्य में भाषा की शिक्षा का विशेष महत्त्व है। भाषा ही हमारे चिन्तन का आधार है। यदि छात्र का अधिकार भाषा पर नहीं होता तो वह ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति नहीं कर पाता। भाषा मानव जीवन की एक बहुत ही सहज प्रक्रिया है। भाषा शिक्षण का उद्देश्य छात्रों को इस योग्य बनाना है कि वे उचित भाव भंगिमाओं के साथ वाचन करके काव्य कला एवं अभिनय कला का आनन्द प्राप्त कर सकें। ज्ञान प्राप्त करने और मनोरंजन के लिए पढ़ना-लिखना सिखाना गद्य-पद्य में निहित आनन्द और चमत्कार से परिचय प्राप्त कराना, पुस्तकों में निहित ज्ञान भण्डार का अवलोकन कराना तथा बालक की स्वाध्यायशीलता के प्रति रुचि उत्पन्न करना मातृभाषा शिक्षण के महत्त्वपूर्ण उद्देश्य हैं। हिन्दी शिक्षण का उद्देश्य छात्रों के विचारों को ग्रहण करने, विचारों की सफल अभिव्यक्ति एवं रचना करके आनन्द की अनुभूति कराना है। हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(अ) प्राथमिक स्तर पर हिन्दी भाषा शिक्षण के उद्देश्य - पहली कक्षा में बालक प्रवेश लेता है तो उसमें मौखिक रूप से बोल-चाल की सामर्थ्य होती है और भाषा का प्रयोग करना वह कुछ-कुछ जानता है। इस स्तर में निम्नलिखित उद्देश्य महत्वपूर्ण हैं-
1. छात्र के उच्चारण को शुद्ध बनाना।
2. उसके छात्रों को धीरे-धीरे विकसित करना।
3. छात्र के शब्दकोष को विकसित करना।
4. वाचन में गति का विकास करना।
5. लिपि का सही ज्ञान एवं अभ्यास प्रदान करना।
6. अभिव्यक्ति की शक्ति को विकसित करना।
7. कविता का सस्वर एवं उचित लय के साथ पाठ करने की क्षमता उत्पन्न करना।
8. पढ़ने की आदत का विकास करना, पढ़ने में गति एवं शुद्धता लाना तथा पढ़कर लेखक के भाव ग्रहण करने की योग्यता का विकास करना।
9. छात्रों के पढ़े हुये तथ्यों को वार्तालाप या नाटकीयता के रूप में ढालना चाहिए।
10. छात्रों की बोध शक्ति का विकास करने के लिए उसके शब्द भण्डार का विकास करना एवं विभिन्न विषयों को पढ़ने की योग्यता उत्पन्न करना।
(ब) जूनियर स्तर पर हिन्दी भाषा शिक्षण के उद्देश्य-
छात्र भाषा की शुद्धता समझ सकें, इसके लिए उन्हें व्याकरण का ज्ञान प्रदान करना।
विद्यार्थियों की सौन्दर्य भावना को विकसित करना।
विद्यार्थियों में स्वाध्याय की प्रवृत्ति का विकास करना।
प्राथमिक स्तर के निर्धारित उद्देश्यों का धीरे-धीरे इस स्तर तक पूर्ण विकास करना।
(स) माध्यमिक स्तर पर हिन्दी भाषा शिक्षण के उद्देश्य - माध्यमिक स्तर पर पहुँचने के पूर्व छात्र को अपनी मातृभाषा हिन्दी की जानकारी हो जाती है। वह लेखन एवं पाठन में कुछ दक्षता प्राप्त कर लेता है उसमें श्रवण एवं अभिव्यक्ति की भी क्षमता रहती है इसलिए इस स्तर पर हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. छात्रों में पाठन कला की निपुणता की भावना भरना।
2. छात्रों में सौन्दर्यानुभूति की भावना का विकास करना तथा बालकों में पाठ के रस भावोंको भरना।
3. छात्रों को उचित गति से लिखने का अभ्यास करना।
4. छात्रों के शब्द एवं सूक्ति भण्डार में वृद्धि करना।
5. उनमें स्वाध्याय की प्रवृत्ति विकसित करना।
6. छात्रों में अभिनय, अनुकरण एवं संवाद की योग्यता पैदा करना।
7. छात्रों में मौन वाचन की आदत का विकास करना तथा मौन वाचन के माध्यम से तथ्यों को ग्रहण करने की क्षमता पैदा करना।
8. छात्रों को व्याकरण आदि के नियमों से परिचित कराना।
(द) उच्चतर माध्यमिक स्तर पर हिन्दी भाषा शिक्षण के उद्देश्य - उच्चतर माध्यमिक स्तर का छात्र हिन्दी भाषा एवं साहित्य की विविध विधाओं की सामान्य जानकारी रखने लगता है। इस स्तर पर भाषा शिक्षण के निम्नांकित उद्देश्य हैं-
1. छात्रों में भाषा अधिकाधिक अध्ययन करने की प्रेरणा पैदा करना।
2. उनमें स्वरचित कविता तथा निबन्धादि के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना।
3. छात्रों में मौखिक एवं लिखित भाषा के माध्यम से बोध व भाव ग्रहण करने की क्षमता का विकास करना।
4. अपनी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा के अन्य विषयों या पाठ्यक्रम के अन्य विषयों को समझने की क्षमता पैदा करना।
5. छात्रों में मौखिक एवं लिखित कुशलता एवं क्षमता की प्रवृत्ति पैदा करना।
6. छात्रों में लिखित अभिव्यक्ति की शैलियों एवं विधाओं का ज्ञान कराना।
7. छात्रों में सौन्दर्यानुभूति की भावना का विकास करना।
8. छात्रों में हिन्दी भाषा एवं उसके साहित्य का सामान्य ज्ञान कराना।
9. कविता के विविध पक्षों एवं गद्य शैली की विविध शैलियों से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
10. छात्रों का चरित्र एवं भावनाओं को विकसित एवं परिष्कृत करना।
11. छात्रों को भाषा के व्यावहारिक विश्लेषण में समर्थ बनाना।
12. छात्रों में चिन्तन की शक्ति का विकास करना।
13. उच्च कोटि के लेखकों की लेखन शैली का ज्ञान कराकर उन्हें स्वयं अपनी शैली का निर्माण करने में सहयोग प्रदान करना।
14. छात्रों को पाठ्य-पुस्तकों को अतिरिक्त मातृभाषा की अन्य पुस्तकों एवं साहित्य को पढ़ने के लिए प्रेरणा एवं प्रोत्साहन प्रदान करना।
15. उन्हें व्यावहारिकता का ज्ञान एवं अन्य विषयों का साहित्यिक अध्ययन कराना।
16. छात्रों को भावी व्यावसायिक जीवन के लिए तैयार करना ताकि वे अध्यापन, कृषि, वाणिज्य तथा दफ्तरी आदि कार्य सफलतापूर्वक कर सकें।
17. विश्वविद्यालय स्तर पर मातृभाषा और उसके माध्यम से अन्य विषयों की शिक्षा प्राप्त करने के लिए तैयार करना।
18. भारतीय संस्कृति का परिचय कराना और छात्रों में सांस्कृतिक चेतना जगाना।
19. चिन्तन की योग्यता का विकास करना। छात्रों को अपने वैयक्तिक जीवन, मानसिक, बौद्धिक व सामाजिक समस्याओं को समझने और उनका हल खोजने में समर्थ बनाना। इसी प्रकार अपने समाज और देश की समस्याओं को समझने उन पर विचार करने तथा उनके सम्बन्ध में अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त करने में समर्थ बनाना।
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