बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- हिन्दी साहित्य के उद्देश्य बताइये।
उत्तर-
हिन्दी साहित्य के उद्देश्य
गद्य, पद्य, कहानी, नाटक, उपन्यास, आत्मकथाएँ, जीवनी, समाचार-पत्र प्रमुख विधाएँ हैं। इन रूपों में शिक्षण का वर्णन अलग-अलग अध्यायों में किया गया है। गद्य-शिक्षण, पद्य-शिक्षण, कहानी - शिक्षण, नाटक शिक्षण आदि अध्यायों में उनके शिक्षण उद्देश्यों को भी दिया गया है। यदि उनकी समीक्षा की जाये तो साहित्य शिक्षण के उद्देश्यों का स्वरूप प्राप्त हो जाता है। फिर भी साहित्य के उद्देश्यों को यहाँ दिया गया है-
साहित्य के मुख्य उद्देश्य - ज्ञानात्मक उद्देश्य, रसात्मक एवं समीक्षात्मक उद्देश्य, सृजनात्मक उद्देश्य तथा सद्प्रवृत्तियों एवं मानवीय मूल्यों का विकास करना है। बी. एस. ब्लूम के अनुसार- शिक्षा तथा शिक्षण के उद्देश्यों के तीन पक्ष हैं-
(1) ज्ञानात्मक,
(2) भावात्मक,
(3) क्रियात्मक उद्देश्य।
इन पक्षों को भी वर्गों में विभाजित किया गया है जिन्हें शिक्षण उद्देश्यों को लिखने में प्रयुक्त किया जाता है। ज्ञानात्मक पक्ष को छ- वर्गों में विभाजित किया गया है-
1. ज्ञान,
2. बोध,
3. प्रयोग,
4. विश्लेषण,
5. संश्लेषण,
6. मूल्यांकन।
शिक्षण उद्देश्यों का प्रतिपादन तथा पहचान इन्हीं वर्गों के रूप में की जाती है और शिक्षण विषय-वस्तु की सहायता से व्यावहारिक रूप में लिखते हैं जिन्हें शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य अथवा व्यावहारिक उद्देश्य कहते हैं। अन्तिम तीन वर्गों (विश्लेषण, संश्लेषण तथा मूल्यांकन) को सृजनात्मक उद्देश्य भी कहते हैं। साहित्य विषय में विश्लेषण, संश्लेषण तथा मूल्यांकन क्रियाओं को सृजनात्मक उद्देश्य कहते हैं। साहित्य - शिक्षण के उद्देश्य सर्वोच्च होते हैं जबकि भाषा-शिक्षण के उद्देश्य ज्ञानात्मक और कौशलात्मक होते हैं। प्रथम तीन वर्गों (ज्ञान, बोध, प्रयोग) की क्रियाएँ भाषा शिक्षण में की जाती हैं।
आधुनिक समय में हिन्दी के शिक्षण उद्देश्यों को लिखने के लिये उनकी व्यावहारिकता पर अधिक बल दिया जाने लगा है। हिन्दी शिक्षण के अन्तर्गत ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक तीनों प्रकार के उद्देश्यों को सम्मिलित किया जाता है।
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