बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- हिन्दी भाषा - शिक्षण का उद्देश्य बताइये।
उत्तर-
हिन्दी भाषा शिक्षण के उद्देश्य
भाषा जीवन के क्रिया-कलापों के सम्प्रेषण का माध्यम तथा साधन है इसलिये भाषा शिक्षण के उद्देश्य अनेक हैं। उपयोग की दृष्टि से इसके दो पक्ष हैं-
1. भाषा पक्ष,
2. साहित्य पक्ष।
भाषा पक्ष के भी दो पक्ष हैं-
1. ज्ञान पक्ष,
2. कौशल या व्यवहार पक्ष।
भाषा की एक संरचना होती है। इसमें वर्णमाला, शब्द, वाक्य, ध्वनि, वर्तनी अनुच्छेद होते हैं। भाषा के तत्त्वों का ज्ञान और उनका प्रयोग भाषा - शिक्षण के मुख्य उद्देश्य हैं। भाषा में कौशलों का विकास शुद्ध लिखने, शुद्ध बोलने, शुद्ध पढ़ने का सम्बन्ध व्याकरण से होता है। कौशल के भी दो पक्ष होते हैं-
(i) कौशलों का विकास या ग्रहण करना,
(ii) उन कौशलों की अभिव्यक्ति में समुचित उपयोग करना।
ज्ञानात्मक उद्देश्य भाषा और साहित्य दोनों पक्षों में होते हैं। भाषा में कौशल पक्ष प्रधान होता है जबकि साहित्य में कलात्मक, भावपक्ष तथा सौन्दर्यानुभूति का बोध प्रधान होता है।
हिन्दी भाषा-शिक्षण के दो ही प्रमुख उद्देश्य होते हैं-
1. ज्ञानात्मक उद्देश्य-
1. भाषा सम्बन्धी तत्त्व का ज्ञान प्राप्त करना अथवा पहचान करना।
2. भाषा सम्बन्धी अशुद्धियों की पहचान करना और उनमें सुधार करना।
3. भाषा सम्बन्धी तत्त्वों का उदाहरण प्रस्तुत करना तथा तुलना करना।
4. भाषिक तत्त्वों में परस्पर अन्तर तथा सम्बन्ध ज्ञान करना।
5. इन तत्त्वों का विश्लेषण करना तथा वर्गीकरण करना।
2. कौशलात्मक उद्देश्य - इनका सम्बन्ध भाषिक तत्त्वों को कुशलता से प्रयोग करने की क्षमता के विकास करने से है। भाषा के अन्तर्गत चार कौशलों का विकास किया जाता है-पढ़ना, लिखना, बोलना तथा सुनना। इनका सम्बन्ध शुद्ध उच्चारण, शुद्ध वर्तनी व्याकरण का प्रयोग करना प्रमुख है।
कौशलात्मक उद्देश्य की प्रमुख क्रियाएँ या कौशल निम्नलिखित हैं-
1. शुद्ध एवं स्पष्ट वाचन की योग्यता प्रदान करना।
2. सुनकर शुद्ध अर्थ ग्रहण एवं क्षमता का विकास करना।
3. बोलकर अपने भावों एवं विचारों को व्यक्त करने की क्षमता का विकास करना।
4. लिखकर अपने भावों एवं विचारों को व्यक्त करने की योग्यता का विकास करना।
5. गद्य, पद्य, कहानी तथा नाटक आदि पढ़कर अर्थ ग्रहण करने की योग्यता का विकास करना। भाषा-शिक्षण के उद्देश्यों का वर्णन व्याकरण शिक्षण वाचन तथा लेखन अध्यायों में विशिष्ट रूप में किया जाता है।
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