बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 3 - प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर हिन्दी भाषा शिक्षण के उद्देश्य
प्रश्न- हिन्दी शिक्षण के सामान्य उद्देश्य बताइये। हिन्दी भाषा तथा हिन्दी शिक्षण के उद्देश्यों को भी बताइये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. हिन्दी शिक्षण के सामान्य उद्देश्य बताइये।
उत्तर-
हिन्दी शिक्षण के सामान्य उद्देश्य
हिन्दी शिक्षण के सामान्य उद्देश्यों की चर्चा करते समय इसके मातृभाषा रूप का ही यहाँ पर विशेष ध्यान रखा जा सकता है। मातृभाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य निम्न हैं-
1. शुद्ध, सरल, स्पष्ट एवं प्रभावशाली भाषा में छात्र अपने भावों, विचारों एवं अनुभूतियों की अभिव्यक्ति कर सकें।
2. छात्रों को इस योग्य बनाना कि वे उचित भाव-भंगिमाओं के साथ वाचन करके काव्य- कला एवं अभिनय-कला का आनन्द प्राप्त कर सकें और साथ ही अपने सुख-दुःखात्मक भावनाओं के प्रति संतुष्टि प्राप्त कर सकें।
3. ज्ञान प्राप्त करने और मनोरंजन के लिए पढ़ना-लिखना, सीखना, गद्य-पद्य में निहित आनन्द और चमत्कार से परिचय प्राप्त करना, पुस्तकों में निहित ज्ञान भण्डार का अवलोकन कराना तथा बालक की स्वाध्यायशीलता के प्रति रुचि उत्पन्न करना, आदि मातृभाषा शिक्षण के महत्त्वपूर्ण उद्देश्य हैं।
4. क्रमबद्ध विचार-प्रणाली और भावाभिव्यंजना में दक्ष बनाना।
5. बालकों के शब्दों, वाक्यांशों तथा लोकोक्तियों आदि के कोष में वृद्धि करना।
6. उनको शुद्धता एवं गति का निरन्तर विकास करते हुये वाचन का अभ्यास कराना।
7. ज्ञान, क्षेत्र तथा विवेक का निरन्तर विकास करते हुये चरित्र-निर्माण कराना।
8. विभिन्न शैलियों का परिचय कराकर अपनी-अपनी उपयुक्त शैली के विकास में सहायता कराना।
9. उन्हें सत्साहित्य के सृजन की प्रेरणा देना जिससे वे अपने अवकाश के समय के सदुपयोग द्वारा अपने व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन को सुसंस्कृत एवं सुखी बना सकें।
10. बालकों को मानव-स्वभाव एवं चरित्र के अध्ययन का अवसर प्रदान करना।
11. उन्हें भावानुकूल भाषा प्रयोग, स्वर-निर्माण एवं अंग संचालन की कला का अभ्यास कराना।
हिन्दी शिक्षण की वास्तव में दो प्रमुख विधाएँ हैं-
1. भाषा, शिक्षण
2. साहित्य शिक्षण।
जब हिन्दी के उद्देश्यों का उल्लेख करना चाहते हैं, उस समय दोनों विधाओं के उद्देश्य अलग-अलग देना आवश्यक हो जाता है क्योंकि दोनों विधाएँ एक-दूसरे के पूरक हैं परन्तु उनकी प्रकृति एक-दूसरे के बिल्कुल भिन्न हैं- " भाषा एक विज्ञान है" एवं "साहित्य एक कला है।" इसलिये हिन्दी शिक्षण के उल्लेख के लिए भाषा शिक्षण और साहित्य शिक्षकों का अलग-अलग विवरण दिया जाना चाहिए।
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