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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2760
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में विकसित करने के मार्ग में बाधक तत्वों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

राष्ट्रभाषा के विकास में बाधक तत्व

राष्ट्रभाषा क्या है? - राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ है- समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त भाषा अर्था जनसमान्य की भाषा, जनभाषा जो समस्त राष्ट्र के जन-जन के विचार विनमय का माध्यम हो, व राष्ट्रभाषा कहलाती है। राष्ट्रभाषा, राष्ट्रीय एकता एवं अन्तर्राष्ट्रीय संवाद सम्पर्क की आवश्यकता व उपज होती है। वैसे तो सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ होती हैं किन्तु राष्ट्र की जनता जब स्थानीय ए तात्कालिक हितों व पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र की कई प्रचलित भाषाओं में से किसी एक भा को चुनकर उसे राष्ट्रीय अस्मिता का एक आवश्यक उपादान समझने लगती है तो वह राष्ट्रभाषा पूर्ण रूप से बन जाती है।

राष्ट्रभाषा के विकास में बाधक तत्व - स्वतंत्रता के उपरान्त आज तक हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा नहीं बन पायी जिसमें प्रमुख बाधाएँ निम्नवत् हैं-

1. संविधान निर्माताओं ने संविधान के अनुच्छेद 343 खण्ड (1) में हिन्दी को भारत की राज-काज की भाषा तो माना किन्तु खण्ड (2) में यह उपबन्ध किया कि 26 जनवरी 1965 तक संघ के सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग होता रहेगा।

2. दक्षिण भारत के कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने का ही विरोध किया।

3. भारत में अनेक भाषान्माषी लोग रहते हैं। भाषाओं की बहुलता के कारण भाषयी वर्चस्व की राजनीति ने भाषावाद की लड़ाई ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने में सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न कर दी है।

4. अधिकतम व्यावसायिक पाठ्यक्रम अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध होने के कारण हिन्दी भाषा के इनपाठ्यक्रमों को समझने में असहज महसूस करते हैं।

5. हिन्दी व्याकरण की दृष्टिकोण से एक समृद्ध भाषा है। हिन्दी व्याकरण के शुद्ध ज्ञान के अभाव में शुद्ध हिन्दी बोलना अत्यन्त कठिन कार्य है।

6. हिन्दी भाषाविद हिन्दी को और अधिक सरल बनाने तथा हिन्दी के क्लिष्ट शब्दों को सरल करने में असफल रहे हैं। जिसके कारण जन सामान्य को दूसरी भाषा के शब्दों को प्रयुक्त कर विचार विनिमय करना आसान लगता है।

7. देश के राजनीतिज्ञों, मन्त्रियो, उच्च सरकारी पदों पर कार्यरत अधिकारियों द्वारा हिन्दी के प्रति सम्मान का भाव न रखना तथा उसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दिए जाने के लिए ठोस व सार्थक प्रयास का न किया जाना।

8. संविधान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में न स्वीकार किया जाना। संविधान के भाग 17 की शीर्षक है राजभाषा। संविधान के अध्याय 1 संघ की भाषा के विषय में है। इसके अनुच्छेद 343 में संघ की राजभाषा के सम्बन्ध में वर्णन है।

 

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