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बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पाठ्य सहगामी क्रियाओं की आधुनिक अवधारणा को समझाइए।
उत्तर-
शिक्षा का प्राचीन दृष्टिकोण छात्र के मानसिक विकास तक सीमित था। ऐसी धारणा थी कि मानसिक व्यायाम द्वारा मस्तिष्क का उचित विकास होता है और यही सफल जीवन के लिए आवश्यक है। मनोविज्ञान ने शक्ति मनोविज्ञान और नियमित विनय की धारणा को दोषपूर्ण घोषित कर दिया। इसके साथ ही शिक्षा के सम्बन्ध में धारणा बदल गयी। वर्तमान शिक्षा का उद्देश्य छात्र का बहुमुखी विकास है। यदि छात्र को सन्तुलित व्यक्ति बनाना है तो उसका मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और नैतिक सभी तरह का विकास करना होगा। आज भी तथ्य, ज्ञान और सूचनाओं के महत्त्व को अस्वीकार नहीं करते। किन्तु यह अवश्य कहते हैं कि इनका मूल्य तभी है जब छात्र इनके माध्यम से चिन्तन कर सकें, विभिन्न परिस्थितियों में इनका उपयोग कर सकें और अनुभवों का सामान्यीकरण करके अपने लिए महत्त्वपूर्ण सामग्री प्राप्त कर जीवन को सफल बना सकें। इस प्रकार वर्तमान शिक्षा का उद्देश्य एक सुयोग्य मानव तैयार करना है।
एच. सी. मैकोन ने - अतिरिक्त पाठ्यक्रम क्रियाओं के तीन स्तर बताये हैं। प्रथम वह स्तर है जिस समय शिक्षक एवं प्रशासकों द्वारा इसकी अवहेलना की जाती थी। द्वितीय वह स्तर है, जिसमें इसका खुलेआम विरोध किया जाता था और तृतीय स्तर आधुनिक युग का है जिसमें शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इसका उपयोग आवश्यक समझा जाता है।
शारीरिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा सम्बन्धी विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम द्वारा छात्रों को शरीर की बनावट से नहीं परिचित कराया जाता अपितु उनके शारीरिक विकास और स्वस्थ जीवन के लिए प्रयास किया जाता है। छात्रों के सन्तुलित शारीरिक विकास के लिए अनेक प्रकार के खेलों और व्यायाम का आयोजन किया जाता है।
नागरिकता, चरित्र-निर्माण, सहनशीलता, विनम्रता तथा व्यवहार कुशलता आदि के प्रशिक्षण द्वारा छात्र के सामाजिक जीवन को सम्पन्न बनाने का प्रयास किया जाता है। इसके साथ ही साथ छात्र के संवेगों के प्रशिक्षण द्वारा नैतिक भावों के जागरण द्वारा उसमें नैतिकता के प्रति आस्था उत्पन्न करने का प्रयास किया जाता है।
माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार - "स्वच्छ, आनन्दप्रद तथा सुव्यवस्थित स्कूल भवन मिल जाने के पश्चात् हम चाहेंगे कि स्कूल में विभिन्न प्रकार की सम्बद्ध क्रियाओं का आयोजन हो, जो विद्यार्थियों का विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा कर सके। उनमें मनोरंजन कार्यों, क्रियाओं तथा योजनाओं की व्यवस्था करनी होगी जो बच्चों को प्रभावित करे और उनकी विभिन्न रुचियों को विकसित करे।"
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