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बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पौधों एवं जीवों के संरक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
(Conservation of Flora and Funa)
भूतल पर पादप एवं जन्तुओं की प्रकृति प्रदत्त, विविधता को बचाए रखना आवश्यक है। तेजी से विलुप्त हो रही जीवों की अनेक जातियों के कारण जैव विविधता का तेजी से ह्रास हो रहा है। जैव विविधता के संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। जैव विविधता के संरक्षण के दो प्रमुख तरीकें हैं-
1. कृत्रिम आवासीय संरक्षण (Ex-sit Conservation) - इसके अन्तर्गत संकटग्रस्त वनस्पति एवं जन्तुओं को बचाने के लिए उनके प्राकृतिक आवास के समान नही कृत्रिम आवास बनाकर सुरक्षित रूप से वहाँ स्थानान्तरित किया जाता है तेजी से नष्ट होते आवासों के कारण संकटग्रस्त वन्य प्राणियों के सम्वर्द्धन हेतु कृत्रिम आवासीय संरक्षण कारगर उपाय सिद्ध हुआ है। चिड़ियाघरों का निर्माण कर विभिन्न जीव जन्तुओं का संरक्षण व संवद्धन किया जाता है। इसकी सफलता कृत्रिम आवास में प्राणियों के लिए उपलब्ध कराई गयी दशाओं पर निर्भर करती है। इनमें सुरक्षा के साथ ही जाति विशेष के प्राणियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है। संरक्षण हेतु लाये गये प्राणियों के विचरण के लिए पर्याप्त स्थान, साहचर्य हेतु आवश्यक प्राणी या वनस्पति प्राकृतिक आवास के समान तापमान, प्रकाश तथा भोजन की आपूर्ति आदि दशाओं को ध्यान में रखा जाता है। कृत्रिम आवासों में प्राणियों को प्राकृतिक आवास से मिलता-जुलता वातावरण उपलब्ध होने पर ही उनके प्रजनन एवं सम्वर्द्धन की संभावना बनती है। अनुकूल दशाओं में प्राणी की संख्या बढ़ने पर इन्हें प्राकृतिक आवास में पहुँचा दिया जाता है। इसी प्रकार विलुप्त प्रायः वनस्पतियों के संरक्षण के लिए ग्रीन हाउस या पौधघर बनाकर अनुकूल जलवायु उपलब्ध करायी जाते है। पौध शालाओं में तैयार पौधों को प्राकृति आवास स्थलों में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। जैव विविधत के कृत्रिम आवासीय संरक्षण में जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।
2. स्व - आवासीय संरक्षण (In-Ritu Conservation) - इसके अन्तर्गत जीवों को अन्यत्र स्थानान्तरित किए बिना प्राकृति आवास में ही अनुकूल दशायों उपलब्ध कराई जाते है। वन्य प्राणी एवं पादप प्राकृतिक परिस्थितियों में सुरक्षित रहकर अभिवृद्धि कर सकें, इसके लिए अभ्यारण्यों व राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना की जाते है। स्व-आवासीय संरक्षण कृत्रिम आवासीय संरक्षण की तुलना में अधिक फलदायी एवं कारगर होता है। जीवों के लिए प्राकृतिक आवास स्थल का चयन करके खाद्य जाल एवं श्रृंखला के अनुरूप प्राणियों एवं वनस्पतियों को संरक्षित करना होता है उसके अनुसार प्राकृतिक आवास में ही अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध करायी जाती हैं। इस उद्देश्य से जीवमण्डल रिजर्व राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारणों की स्थापना की गयी है।
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