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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पर्यावरणीय अध्ययन में जन जागरुकता अभियान का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।

अथवा
छात्रों में पर्यावरण जागरुकता विकसित करने के कोई तीन तरीके बताइए।.

उत्तर-

पर्यावरणीय अध्ययन में जन जागरुकता का महत्त्व

पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति बहुविषयक होती है जिसके लिये कौशल की आवश्यकता होती है एवं वह कौशल अपने-अपने अन्तर्गत कई विषयों यथा-रसायन, जीवविज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, गणित, भूगोल, कला, भौतिकी, इतिहास आदि को अन्तर्ग्रहित किये रहता है। पर्यावरण अध्ययन द्वारा विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर प्रकाश पड़ता है। इसके द्वारा समाज में पर्यावरण क्षेत्र से सम्बन्धित कई आयाम विकसित होते हैं जिनका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है एवं पर्यावरणीय रूप से वे काफी महत्त्वपूर्ण भी होते हैं।

पर्यावरण अध्ययन एवं पर्यावरण की समझ के विकास हेतु आम जन के जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि उन्हें यह ज्ञात हो कि हमारे वातावरण में जो परिवर्तन हो रहे हैं उनके द्वारा मानव जीवन कैसे प्रभावित हो रहा है। इस हेतु उसमें पर्यावरण की समझ विकसित करना आवश्यक है ताकि वे अलग-अलग समस्याओं से रू-ब-रू हो सकें। पर्यावरणीय सुरक्षा सिर्फ किसी अकेले व्यक्ति, संस्था एवं सरकार की क्षमता के बाहर है। कई पर्यावरणीय समस्याओं का स्वरूप वैश्विक है। अतः विश्व के हर नागरिक के लिये जरूरी है कि वो वैश्विक वातावरण को सुरक्षा प्रदान करने हेतु योगदान करे। इस सक्रिय योगदान हेतु जन-जागरुकता आवश्यक है एवं बिना पर्यावरण के अध्ययन के इस जन जागरुकता का प्रसार करना अधूरा प्रयास होगा।

जन-जागरुकता को फैलाने हेतु कुछ महत्त्वपूर्ण तरीके निम्नलिखित हैं-

(1) पर्यावरणीय शिक्षा - पर्यावरण को विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में एक विषय के तौर पर शामिल किया जा सकता है। पर्यावरणीय जागरुकता फैलाने का यह सबसे सफल तरीका है।

(2) मास मीडिया - न्यूज पेपर, मैगजीन, रेडियो, टी.वी. आदि जनसमूहों को पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों एवं समस्याओं के प्रति शिक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

(3) सेमिनार एवं कॉन्फ्रेंस - सम्मेलन, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस को विभिन्न स्तरों पर संगठित कर आम जन तक पर्यावरणीय सूचनाओं को फैलाया जा सकता है। जागरुकता को विभिन्न प्रतियोगिताओं जो पर्यावरणीय समस्याओं एवं अपारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर आधारित होते हैं, द्वारा भी फैलाया जा सकता है।

(4) मनोरंजन - लोकगीतों, नुक्कड़ नाटकों, डॉक्यूमेंटरीज द्वारा लोगों में पर्यावरणीय जागरुकता फैलाई जा सकती है।

(5) विज्ञान केन्द्र - गाँवों एवं दूर-दराज के इलाकों में विज्ञान केन्द्र स्थापित कर, पर्यावरणीय समस्याएँ, उनके कारण एवं निवारक उपाय आदि को प्रभावी ढंग से लोगों के बीच फैलाया जा सकता है।

(6) प्रसिद्ध व्यक्तियों को शामिल करना - मीडिया में लोकप्रिय एवं प्रख्यात् लोगों को शामिल कर पर्यावरणीय मुद्दों के महत्त्व की समझ एवं प्रवर्तन को बढ़ाया जा सकता है।

(7) युवाओं को शामिल करना - वैश्विक जनसंख्या में युवा आबादी अधिक है जो भविष्य के नीति-निर्माता बनेंगे। उनके पर्यावरण सम्बन्धी विचार कल के विश्व को आकार देगा; इसलिये इस पहल में युवाओं व बच्चों की भागीदारी अत्यावश्यक है।

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