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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा में शिक्षण तकनीकी की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

शिक्षण तकनीकी

शिक्षण विकास की एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है जो शिक्षक छात्र की अन्तः प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न होती है। वस्तुतः शिक्षण एक सोद्देश्य प्रक्रिया है, जिसका अन्तिम लक्ष्य बालक का पूर्ण विकास करना है।

शिक्षण के दो प्रमुख तत्व माने गये हैं-

(i) पाठ्यवस्तु,
(ii) कक्षागत व्यवहार अथवा सम्प्रेषण।

शिक्षण तकनीकी में ये दोनों ही तत्त्व सम्मिलित किये जाते हैं। स्पष्ट है कि शिक्षण तकनीकी में अनुदेशन तकनीकी तथा व्यवहार तकनीकी दोनों ही आती हैं।

वैसे शिक्षण एक कला है किन्तु आजकल इसे विज्ञान भी मानने लगे हैं क्योंकि शिक्षण तकनीकी इस कला को वैज्ञानिक विषयों के सिद्धान्तों के प्रयोग द्वारा अधिक सरल, स्पष्ट, व्यावहारिक एवं वस्तुनिष्ठ बनाती है। इस प्रकार सीखने का स्वरूप वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक हो गया है। अब छात्र द्वारा सीखने पर अधिक बल दिया जाता है। अब शिक्षण की तुलना एक उद्योग से की जाती है। इसमें शिक्षक एक व्यवस्थापक अथवा मैनेजर होता है जो छात्रों के सीखने की व्यवस्था करता है।

शिक्षण तकनीकी की परिभाषाएँ - शिक्षण तकनीकी की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

(1)“शिक्षण तकनीकी में समस्त पाठ्यवस्तु को क्रमशः चार सोपानों - नियोजन, व्यवस्था, अग्रसरण तथा नियन्त्रण में विभाजित कर अध्ययन किया जाता है।" -आई. के. डेवीज

(2)“शिक्षण तकनीकी शिक्षक की उपलब्धि में वृद्धि करती है। वास्तव में समस्त शिक्षण प्रक्रिया को इससे लाभ होता है। हम शिक्षा को केवल इसके प्रति सहमति रखकर नीति परिवर्तन करके तथा इसके प्रशासनिक ढाँचे को सुव्यवस्थित करके उसमें सुधार नहीं कर सकते। हमें स्वयं शिक्षण में सुधार करना होगा और इसके लिए केवल एक प्रभावोत्पादक शिक्षण तकनीकी ही समस्या का समाधान कर सकती है।" -बी. एफ. स्किनर

(3)“शिक्षण तकनीकी के अन्तर्गत समस्त शिक्षण क्रियायें तीन अवस्थाओं - पूर्व क्रिया, अन्तः क्रिया तथा उत्तर अवस्था में विभाजित की जा सकती है।" -जैकसन

शिक्षण तकनीकी की पाठ्यवस्तु - शिक्षण तकनीकी में पाठ्यवस्तु को निम्न चार सोपानों में विभाजित करके अध्ययन किया जाता है-

(1) शिक्षण का नियोजन - इसके अन्तर्गत शिक्षक द्वारा सीखने के उद्देश्यों को निर्धारित एवं परिभाषित करना तथा इन उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप में लिखने की क्रियायें आती हैं।

(2) शिक्षण की व्यवस्था - इसके अन्तर्गत शिक्षक सीखने के अनुभव प्रदान करने की दृष्टि से उपयुक्त शिक्षण विधियों, प्रविधियों, युक्तियों एवं सहायक सामग्री का चयन करता है

(3) शिक्षण का अग्रसरण - इसके अन्तर्गत शिक्षण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अभिप्रेरणा की विभिन्न प्रविधियों का चयन किया जाता है।

(4) शिक्षण का नियन्त्रण - इसमें शिक्षण का मूल्यांकन किया जाता है 1

शिक्षण तकनीकी की अवधारणायें - शिक्षण तकनीकी कुछ अवधारणाओं पर आधारित है जो कि निम्नलिखित हैं-

(1) शिक्षण कला भी है और एक वैज्ञानिक प्रक्रिया भी हैं।

(2) इस प्रक्रिया के दो तत्त्व हैं - पाठ्यवस्तु एवं सम्प्रेषण ।

(3) इस तकनीकी में अध्यापक एक व्यवस्थापक अथवा प्रबन्धक के रूप में कार्य करता है।

(4) शिक्षण एवं अधिगम में घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित किया जा सकता है।

(5) अध्यापक व विद्यार्थी के बीच अन्तः क्रिया द्वारा सफल शिक्षण सम्भव हो पाता है।

इसमें अध्यापक व विद्यार्थीयों दोनों ही सक्रिय रहते हैं।

(6) शिक्षण की क्रियाओं द्वारा सीखने का उद्देश्य प्राप्त किया जा सकता है।

(7) शिक्षण की क्रियाओं में विकास तथा सुधार किया सकता है।

शिक्षण तकनीकी की विशेषताएँ

(1) शिक्षण तकनीकी अदा, प्रदा तथा प्रक्रिया तीनों पक्षों से सम्बन्धित होती है।

(2) यह तकनीकी सीखने के स्वरूप को वैज्ञानिक, सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक मानती है।

(3) इस तकनीकी के द्वारा पाठ्यवस्तु तथा सम्प्रेषण दोनों में समन्वय स्थापित होता है।

(4) इस तकनीकी में ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक तीनों उद्देश्य प्राप्त किए जाते हैं।

(5) शिक्षण तकनीकी में विभिन्न शिक्षण सिद्धान्तों के प्रतिपादन पर जोर दिया जाता है।

(6) इसमें स्मृति, बोध तथा चिन्तन स्तर तक के शिक्षण की व्यवस्था होती है।

(7) शिक्षण तकनीकी के ज्ञान से छात्राध्यापक तथा सेवारत अध्यापक अपने शिक्षण में विकास तथा सुधार कर सकता है।

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