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बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पर्यावरणीय शिक्षा में शिक्षण के लिए आवश्यक पाठ्यक्रम सामग्री का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
माध्यमिक शिक्षा आयोग, 1952 ने सामान्य विज्ञान शिक्षण में पर्यावरण की आवश्यकता एवं महत्त्व को प्रकट करते हुए कहा है कि "भौतिक पर्यावरण एवं प्रकृति से मानव के सम्बन्ध का अध्ययन सामान्य विज्ञान से संग्रहित पाठ्यक्रम के द्वारा प्रभावी रूप में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, प्राणीशास्त्र, वनस्पति शास्त्र, स्वास्थ्य विज्ञान आदि का पढ़ाया जाना संकीर्ण शैक्षिक दृष्टि से चाहे भले ही उपयोगी हो, लेकिन यह उपागम शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को विश्व का वास्तविक तथा जीवन्त अवबोध नहीं कराता है, जिसमें वह रहे हैं।"
शिक्षा आयोग के ही अनुसार - “कक्षा, घर, नगर एवं गाँव, खेत तथा जंगल एवं झरने ये सभी विज्ञान शिक्षण के लिये ऐसे उन्नत साधन तथा अवसर प्रस्तुत करते हैं, जिनका पूर्ण उपयोग प्रत्येक विज्ञान - शिक्षण में करना चाहिये। शिक्षक को अपने शिक्षा प्रदान करने वाले छात्रों में उनके चारों ओर फैले प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति तीव्र उत्सुकता जागृत करने का लक्ष्य लेकर शिक्षण करना चाहिये ।
राष्ट्रीय शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित दस वर्षीय विद्यालीय पाठ्यक्रम में प्राथमिक कक्षा के लिये सामान्य विज्ञान शिक्षण को पर्यावरण के माध्यम से पढ़ाने का महत्त्व बताते हुये कहा है कि “प्राथमिक कक्षाओं में विज्ञान को पर्यावरणीय अध्ययन के रूप में पढ़ाया जाना चाहिये, कक्षा एक तथा दो में प्राकृतिक एवं सामाजिक पर्यावरण की अविभाज्य इकाई के रूप में पाठ्यक्रम हो एवं बाद की कक्षाओं में यह विषय दो भागों में पर्यावरणीय अध्ययन भाग- 1 तथा पर्यावरणीय अध्ययन भाग- 2 पढ़ाया जाना चाहिये।
कक्षा 1 से लेकर कक्षा 5 तक के पाठ्यक्रम को इसीलिये सात इकाइयों में विभाजित किया गया है-
(i) ब्रह्माण्ड।
(ii) सजीव पदार्थ।
(iii) वायु, जल एवं मौसम।
(iv) मानव शरीर एवं स्वस्थ जीवन।
(v) द्रव एवं सामग्री।
(vi) शैल, मिट्टी तथा खनिज।
(vii) बल, गति, ऊर्जा एवं कार्य।
इन इकाइयों में खगोल शास्त्र, स्वास्थ्य विज्ञान, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, वनस्पति शास्त्र, कृषि विज्ञान आदि सभी विज्ञान की शाखाओं का दैनिक जीवन से सम्बद्ध ज्ञान दिया गया है जो बालक के पर्यावरण में उपलब्ध है, क्योंकि पर्यावरण के द्वारा विज्ञान - शिक्षण कक्षा शिक्षण के स्थान पर कक्षा के बाहर शाला के मैदान, पार्कों, निकटवर्ती नदी, तालाब, झरने, पहाड़, खेत, चट्टानों, पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं, वनस्पति, आकाशीय पिण्डों आदि का भ्रमण एवं सूक्ष्म अवलोकन के माध्यम से प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। इस प्रकार सामान्य विज्ञान दैनिक उपयोग में आने वाले वैज्ञानिक तथ्यों तथा पर्यावरण में फैली विभिन्न वस्तुओं, प्राणियों एवं प्रक्रियाओं से सम्बद्ध वैज्ञानिक सिद्धान्तों का ही समन्वित रूप है। अतः पर्यावरण सामान्य विज्ञान के शिक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
पर्यावरणीय सामग्री का चयन तथा उपयोग - उच्च प्राथमिक स्तर पर यह विषय वस्तु अधिक व्यापक रूप में पढ़ायी जाती है, क्योंकि शिक्षक को कक्षा 1 व 2 में सफाई, स्वस्थ आदतों के निर्माण, प्रेक्षण शक्ति के विकास पर अधिक बल देना चाहिए, लेकिन अध्ययन में व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वास्थ्य को भी सम्मिलित किया जाना चाहिये। बालकों को विज्ञान के नियमित क्षेत्रों का परिचय कराया जा सकता है। रात्रि में दिखाई देने वाले आकाशीय पिण्ड के बारे में उसे बताया जाना चाहिये, क्योंकि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में बताये जाने से प्रत्यक्ष एवं महत्त्वपूर्ण अनुभव प्राप्त होता है।
कक्षा पाँचवीं से आयोग द्वारा सामान्य विज्ञान को भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव-विज्ञान, भू- विज्ञान एवं खगोल विज्ञान के रूप में पढ़ाये जाने पर बल दिया जाता है, क्योंकि आयोग की दृष्टि में इस प्रकार का विषय आधारित उपागम छात्रों का आवश्यक वैज्ञानिक आधार देने में अधिक प्रभावशाली होगा।
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