बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पारिस्थितिक तंत्र की संरचना स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-
पारिस्थितिक तंत्र की संरचना जैविक एवं अजैविक घटकों द्वारा होती है, जो भौतिक कारक कहलाते हैं। इसकी जातीय संरचना एवं स्तरीकरण महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक लक्षण हैं। कुछ पारिस्थितिक तंत्र जैसे- उष्णकटिबंधीय वर्षा वन में विशाल वृक्ष क्षेत्र एवं अनगिनत जैविक जातियाँ पाई जाती हैं, जबकि मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में कम संख्या में तथा दूर-दूर पर शाकीय पौधों के पुंज स्थित होते हैं जो कम प्रकार की जातियों एवं मिट्टी के बड़े बंजर टुकड़ों से निर्मित होती हैं । पारिस्थितिक तंत्र की संरचना को उत्पादक एवं उपभोक्ता के मध्य खाद्य सम्बन्धों की विधि द्वारा समझा जा सकता है। किसी भी पारिस्थितिक तंत्र की खाद्य संरचना वहाँ के विभिन्न खाद्य स्तरों की उपस्थिति पर निर्भर करती है। उत्पादक प्रथम खाद्य स्तर, शाकभक्षी द्वितीय खाद्य स्तर तथा मांसभक्षी तृतीय खाद्य स्तरों का निर्माण करते हैं। खाद्य संरचना (जिन्हें खड़ी फसल या Standing Crop कहते हैं) एक निश्चित समय में विभिन्न खाद्य स्तरों में जीवित पदार्थ की मात्रा की उपस्थिति के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है।
जीवों की संख्या तथा जैवभार प्रति इकाई क्षेत्र के रूप में भी खड़ी फसल को प्रस्तुत किया जा सकता है। किसी जीव या जाति विशेष का जैवभार उसका ताजा या शुष्क भार होता है। विभिन्न मौसमों में वातावरणीय आर्द्रता में भिन्नता पाई जाती है जो जैवभार को प्रभावित करती है। इस अन्तर से बचने के लिए शुष्क जैवभार का उपयोग अधिक किया जाता है। जीवित प्राणियों की शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व जैवभार एवं मृदा जैसे अजैविक घटकों में एकत्रित रहते हैं। नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं कैल्शियम जैसे पोषकों की मात्रा एक निश्चित समय में मिट्टी में उपस्थिति को वर्तमान अवस्था कहते हैं। पोषकों की यह अवस्था एक पारिस्थितिक तंत्र से दूसरे पारिस्थितिक तंत्र या एक ही पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न मौसमों में अलग-अलग पाई जाती है।
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