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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पारिस्थितिक पिरामिड से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

पारिस्थितिक पिरामिड

पारिस्थितिक पिरामिड द्वारा प्राथमिक उत्पादन जीवों एवं उन पर आश्रित अनेक वर्ग के उपभोक्ताओं की संख्या, जैविक भार एवं उनमें संचित ऊर्जा की मात्रा के सम्बन्ध को दिखाया जाता है । पारिस्थितिक पिरामिड त्रिभुजाकार होते हैं। इनमें प्रथम, द्वितीय तथा सर्वोच्च उपभोक्ता की संख्या जैविक भार तथा ऊर्जा की मात्रा क्रमशः पिरामिड के आधार से शिखर की तरफ दी जाती है। तीन प्रकार के पारिस्थितिक पिरामिड होते हैं-

1. जीव संख्याओं का पिरामिड
2. जैविक भार का पिरामिड
3. ऊर्जा का पिरामिड

पहले (1) तथा दूसरे पिरामिड का आकार सीधा और उल्टा दोनों ही में से कोई भी हो सकते हैं लेकिन (3) वाला हमेशा सीधा और त्रिकोणाकार होगा।

1. जीव संख्याओं का पिरामिड - यह पिरामिड प्राथमिक उत्पादक एवं उस पर आश्रित विभिन्न वर्गों पर मूल उत्पादक तथा शिखर पर सर्वोच्च उपभोक्ता की संख्या होती है। वह पिरामिड घास स्थल में सीधा जलीय पारिस्थितिक तन्त्र में सीधा होता है जबकि वनों में यह पिरामिड उल्टा होता है।

2. जीवभार का पिरामिड - स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में प्राथमिक उत्पादक का बायोमास हमेशा उपभोक्ता से ज्यादा होता है। लेकिन वन पारिस्थितिकी तंत्र में पेड़ का बायोमास हमेशा प्रथम उपभोक्ता और उसके बाद द्वितीय, तृतीय उपभोक्ता आदि सबसे कम होगा। जीवभार का पिरामिड स्थलीय पारिस्थितिक तन्त्र में सीधा तथा जलीय पारिस्थितिक तन्त्र में उल्टा होता है। वन एवं घास स्थल में किसी समय पौधों का जीवभार उस पर आश्रित उपभोक्ताओं के जीवभार से अधिक होता हैं, जबकि जलीय पारिस्थितिक तन्त्र में प्रमुख प्राथमिक उत्पादक पादप प्लावक का जीवभार उस पर आश्रित उपभोक्ताओं से कम होता है।

3. ऊर्जा का पिरामिड - सभी पारिस्थितिक तन्त्रों में सदैव ही ऊर्जा का पिरामिड सीधा होता है। उपभोक्ता वर्ग के जीवों के लिए प्राथमिक उत्पादक ही ऊर्जा का स्रोत है। ऊर्जा का प्रवाह प्राथमिक उत्पादक के उपभोक्ता वर्ग के जीवों में होता है।

ऊर्जा के इस प्रवाह में अधिकांश ऊर्जा अनुपयोगी स्वरूप में वातावरण में वितरित होता है तथा कुछ ही अंश उपभोक्ता के शरीर में पहुँचता है। इसी कारण से ऊर्जा का पिरामिड सदैव सीधा होता है।

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