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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पर्यावरण अध्ययन की आवश्यकता और महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। इसकी अनुपस्थिति में पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। स्थानीय एवं विश्व स्तर पर तेजी से उभर रही अनेक पर्यावरणीय समस्याओं के कारण पर्यावरण के अध्ययन की आवश्यकता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, क्योंकि पर्यावरणीय समस्याएँ किसी देश की सीमा तक सीमित नहीं हैं। किसी एक देश में उत्पन्न समस्या समस्त विश्व के लिए चिन्ता का विषय होती है। पर्यावरण सम्पूर्ण पृथ्वीवासियों की साझी विरासत है। अतः इसके संरक्षण हेतु समस्त विश्व को सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। यह तब ही सम्भव है जब विश्ववासियों को पर्यावरण के विषय में जानकारी हो। इसलिए पर्यावरण अध्ययन- की नितान्त आवश्यकता है।

बीसवीं शताब्दी में मनुष्य ने तीव्र गति से पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध तथा अविवेकपूर्ण ढंग से विदोहन किया है, जिसके फलस्वरूप आज मानव समाज (मानवीय समाज) को पर्यावरणीय संकट की गम्भीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण अध्ययन से न केवल हमें वर्तमान पर्यावरण गुणता का ज्ञान होगा, वरन् हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर . किस प्रकार अपना अस्तित्व कायम रख सकते हैं, इसकी भी जानकारी हमें प्राप्त होगी। पर्यावरण अध्ययन का महत्व प्रमुख रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में है-

(i) वर्तमान पर्यावरण गुणता (सैद्धान्तिक रूप में पर्यावरण गुणता वातावरण की वह दशा है, जिस पर मानव अपना जीवन-यापन करता है।

(ii) पर्यावरण गुणता पर प्रतिकूल तथा अनुकूल प्रभाव डालने वाले कारकों की जानकारी।

(iii) विभिन्न वर्तमान तथा भावी पर्यावरणीय संकटों का ज्ञान तथा उनसे निपटने के कारगर उपायों की जानकारी प्राप्त करना।

(iv) पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से मानवीय समाज की भावी पीढ़ियों के हितों की सुरक्षा करना।

(v) पर्यावरण संरक्षण एवं प्रबन्धन के विभिन्न उपायों का क्रियान्वयन।

(vi) पर्यावरण संरक्षण एवं प्रबन्ध के लिये जनता में जागरुकता पैदा करना।

वस्तुतः प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते मानवीय दबाव के चलते आज मानव के सामने पर्यावरण प्रदूषण, ओजोन परत का विलुप्तीकरण, वनोन्मूलन, भूमण्डलीय ताप तथा अम्लीय वर्षा जैसी गम्भीर समस्याएँ खड़ी हैं। मानसीय समाज को यदि अपना अस्तित्व बचाये रखना है तो पर्यावरण को प्राथमिक महत्व प्रदान करना होगा, अन्यथा वह दिन अब अधिक दूर नहीं है जब समस्त मानव जाति को अपना अस्तित्व कायम रखने के लिये प्रबल संघर्ष करना होगा।

आश्चर्य की बात तो यह है कि मानव अपने वातावरण की उन्हीं गुणताओं को नष्ट करने में लगा है जिनके अन्तर्गत रहकर उसने अपनी संस्कृति का विकास किया है।

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