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बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पर्यावरण जागरुकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए ।
अथवा
पर्यावरणीय जागरुकता से आप क्या समझते है?
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1994 को पर्यावरण चेतना का वर्ष भी कहा। अन्य मुद्दों के अलावा पर्यावरण चेतना जागरुकता के जो प्रयास हुए थे उनकी आधारशिला इसके द्वारा 1993 में रियो में हुए अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण जागरुकता सम्मेलन में रखी गई थी। इस मायने में यह वर्ष रोमांचकारी रहा है। चमत्कारों से चकाचौंध हुआ यह पिछला वर्ष पर्यावरण के कई अनुसन्धानों की ओर बढ़ा है।
पर्यावरण की देखभाल करके हम कैंसर जैसे घातक रोगों के निवारण के लिए ऐसा लाभप्रद वातावरण बना सकते हैं जो एक विशेष प्रकार के कैंसर निरोधक टीके के शोध में मानव कल्याण के लिए गुणकारी साबित हो सकता है। बढ़ते हुए रेगिस्तान जिसकी रफ्तार संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रति वर्ष आधा किलोमीटर आँकी है, इसी के साथ घटते जंगल और वर्षा की कमी से इस पृथ्वी का सन्तुलन बिगड़ता जा रहा है।
विश्व अभियान में पर्यावरण चेतना का प्रयास संयुक्त राष्ट्र का खास हिस्सा रहेगा तथा इसी के चलते हुए अफ्रीका उप-महाद्वीप में विशेष वृक्षारोपण तथा अद्भुत जंगली जड़ी-बूटियों के संरक्षण तथा हिमालय के तराई भू-भाग में कुछ दुर्लभ जड़ी-बूटियों को बचाने के प्रयास भी हुए हैं। अफ्रीकी तथा एशियाई देशों में जंगलों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकने के लिए वहाँ की सरकारों के साथ मिलकर प्रयास किये जा रहे हैं।
भारत में पर्यावरण चेतना
भारत सरकार ने जंगली जीव अधिनियम बना रखा है और बाघ, हिरण तथा हाथियों इत्यादि को मारने की घटनाएँ बराबर कम हो रही हैं। बाघ परियोजना पूरी हुई है। इस सिलसिले में जिनेवा के (आई.यू.सी.एन.) इन्टरनेशनल यूनियन ऑफ नेचर एण्ड नेचुरल रिसोर्सेज के पर्यावरण और जीव विशेषज्ञों ने कहा है कि यदि इन जीवों को भारत समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों में बचाने के प्रयास न किये गये तो यह प्रजातियाँ तथा नस्लें खत्म हो सकती हैं।
ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाले तत्वों को हटाने के लिए 6 हजार करोड़ रुपये की मांट्रियल संधि में भारत के हिस्से को इस वर्ष पर्यावरण की दृष्टि से और ज्यादा चेतनायुक्त बनाया जाएगा ताकि लोगों द्वारा इस बचाव के कार्य को और तेज किया जा सके तथा ओजोन परत को बचाया जा सके।
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