बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ज्ञान निर्माण में आई. सी. टी. की भूमिका का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
ज्ञान निर्माण में आई. सी. टी. की भूमिका का वर्णन
(Role of ICT in Construction of Knowledge)
आई. सी. टी. का मतलब सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी से है व इसका आशय उन समस्त तकनीकी उपकरणों और संसाधनों का संवाद के लिये किया गया इस्तेमाल व जानकारियों को बनाना, प्रसार करना, संग्रहीत करना व प्रबंधन करना है। आई. सी. टी. के अन्तर्गत कम्प्यूटर, रेडियो, इन्टरनेट, टेलीविजन, टेलीफोन इत्यादि जैसी तकनीकी आती हैं।
हाल के वर्षों में यह बड़े ही ध्यान का विषय रहा है कि किस प्रकार कम्प्यूटर व इन्टरनेट का सर्वोतम उपयोग करे जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा की गुणवत्ता व प्रभावशीलता में सुधार हो। केवल कम्प्यूटर व इन्टरनेट ही आई.सी.टी के अन्तर्गत नहीं आते बल्कि पुरानी तकनीकें जैसे रेडियो, टेलीविजन व टेलीफोन जिनका आज के समय में कम इस्तेमाल हो रहा है, वे भी सूचना एवं सम्प्रेषण का बेहतर माध्यम रहे हैं। उदाहरण के लिए, श्रीलंका का कोथमेल समुदाय रेडियो प्रसारण व इन्टरनेट का इस्तेमाल जानकारी साझा करने के लिये व ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक विकल्पों को बढ़ाने में करता है। इसी प्रकार 1969 में ग्रेट ब्रिटेन संयुक्त राज्य किंगडम में स्थापित खुली यूनिवर्सिटी विश्व का पहला शैक्षिक संस्थान है जो पूरी तौर पर ओपन एवं दूरस्थ शिक्षा को ही समर्पित है। इसी तरह भारत में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय (इग्नू) आई.सी.टी. के विभिन्न प्रारूपों जैसे प्रिन्ट रिकॉर्डेड ऑडियो वीडियो, रेडियो प्रसारण, टेलीविजन व ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग का संयुक्त रूप से उपयोग खुली एवं दूरस्थ शिक्षा में करता है।
आई. सी. टी. ज्ञान निर्माण में निम्नलिखित रूप से योगदान देता है।
1. आई. सी. टी. एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो शैक्षिक विकल्पों को बढ़ाने में योगदान के अलावा शैक्षिक विकल्पों को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को, लड़कियों व महिलाओं, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों, शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों व बुजुर्ग व्यक्तियों को उपलब्ध कराता है।
2. आई. सी. टी. ने समय और स्थान की दीवार गिरा दी है जिससे शिक्षा को कभी भी, कहीं भी ग्रहण करना सुलभ हो गया है।
3. ऑनलाइन शैक्षिक किताबें इत्यादि सप्ताह के सातों दिन व 24 घंटों उपलब्ध कराने में आई.सी. टी का महत्वपूर्ण योगदान है।
4. आई.सी.टी. आधारित शैक्षिक प्रसारण (शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण रेडियो व टेलीविजन के माध्यम से) ने छात्रों व शिक्षकों की एक ही स्थान पर उपलब्ध होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इसके परिणामस्वरूप छात्र किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में रह कर शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं।
5. शिक्षकों एवं छात्रों को आई.सी.टी. ने दूरस्थ शिक्षा संसाधनों को उपलब्ध करा दिया है। इसके परिणामस्वरूप शिक्षकों व छात्रों को केवल प्रकाशित पुस्तकों व अन्य सामग्री की सीमित मात्रा में उपलब्धता की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इन्टरनेट के माध्यम से असंख्य छात्र-छात्राएँ व शिक्षक किसी भी विषय के बारे में जानकारियाँ कभी भी, कहीं भी ग्रहण कर सकते हैं।
6. आई. सी. टी. माध्यम से छात्र-छात्राएँ अपने समयानुसार शिक्षा ग्रहण कर सकते है। रिकार्डेड आडियो-वीडियो या लिखित सामग्री से इसका लाभ उठा सकते हैं।
7. आई. सी. टी. विश्व भर में व्यक्ति विशेष जैसे शोधकर्ता, पेशेवरों, व्यवसायिक, विशेषज्ञों आदि को उनकी आवश्यकता के अनुसार शैक्षिक व शोध सामग्री उपलब्ध कराता है।
8. आई. सी. टी. के माध्यम से नागरिकों को तकनीकी ज्ञान प्राप्त होता है।
9. आई. सी. टी. के माध्यम से खुली एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली से सीमित संसाधन वाले वर्ग के लोग अकादमिक एवं व्यावसायिक शिक्षण, दोनों का लाभ कम शिक्षण लागत पर ले सकते है।
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