बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कक्षा कक्षीय शिक्षण को शैक्षिक प्रसारण प्रोग्राम से आप कैसे समन्वित करेंगे?
उत्तर-
कक्षा-कक्षीय शिक्षण का शैक्षिक प्रसारण प्रोग्राम से समन्वय
जैसे-जैसे समाज का उद्विकास होता गया शिक्षण देने के साधनों व तरीको में परिवर्तन होता गया। शिक्षा वनों के प्राकृतिक वातावरण से निकालकर संस्थानों में दी जानें लगी। शिक्षा के लिए विशेष रूप से कक्षाओं की व्यवस्था की जानें लगी, जिससे देश को अधिक शिक्षित वर्ग प्राप्त हो सके। कक्षा-व्यवस्था का प्रचलन बढ़ा क्योंकि आज लोगों के पास धन सीमित है। कक्षा-व्यवस्था के प्रचलन का आधार ही आर्थिक है। कोई भी देश इतना धनी नहीं है कि कक्षा व्यवस्था को हटाकर व्यक्तिगत शिक्षण को अपना ले। यदि हम व्यक्तिगत शिक्षण के दृष्टिकोण को देखें तो इसका अर्थ यह होगा कि प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक शिक्षक की आवश्यकता होगी। जितनें विद्यार्थी होंगे उतने ही शिक्षकों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए देश के अधिकतर नागरिकों को शिक्षण का दायित्व उठाना पड़ेगा।
कक्षा शिक्षण में 'संख्या की सहानुभूति' नामक प्रवृत्ति सक्रिय हो जाती है। इससे तात्पर्य है कि बालक कक्षा के दूसरे छात्रों को कुछ करते हुए देखकर स्वयं भी वैसा ही करने लगते हैं। कक्षा शिक्षण छात्रों में प्रतियोगी भावना का विकास करता है। आपस में समायोजन की भावना, सामूहिक कार्य करने की प्रेरणा, बालक का शिक्षक तथा अच्छे छात्रों का अनुसरण करना तथा बालकों में उत्साह का संचार, कक्षा शिक्षण के माध्यम से ही किया जा सकता है। इसीलिए वर्तमान में कक्षा-. कक्षीय शिक्षण को शैक्षिक प्रसारण से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। कक्षा-कक्षीय शिक्षण का शैक्षिक आरक्षण से समन्वय एक महत्वपूर्ण प्रयास है वन्यो कि इससे विषय-वस्तु के साथ-साथ शैक्षणिक प्रविधि दोनों में बुनियादि बदलाव किये जा सकते हैं और यही 21वीं सदी के लिए सुन्दरतम् उपहार है। आमतौर पर मुदित सामग्री, कैसेट और सी. डी. रोम के माध्यम से चलाया. जाने वाला स्कूली प्रसारण प्रत्यक्ष कक्षा शिक्षण की ही तरह राष्ट्रीय प्रसारण से जुड़ा होता है, कक्षा- शिक्षण और शैक्षिक प्रसारण का एक ही उद्देश्य होता है - कक्षा शिक्षण प्रणाली का मूल्य संवर्धन करना। शैक्षिक प्रसारण या प्रसारण रेडियो- दिशा निर्देशों से कही ज्यादा लचीला होता है। क्योंकि इसमें शिक्षकों को तय करना पड़ता है कि वे कैसे प्रसारण सामग्री का अपनी कक्षाओं में एकीकरण या समन्वय कर सकें।
आमतौर पर शैक्षणिक प्रसारणों में कई किस्म के कार्यक्रम होते हैं खबरों के कार्यक्रम, वृत्त चित्र, क्विज कार्यक्रम और शैक्षणिक कार्टून, जिनमें सभी किस्म के सीखने वालों के लिए अनौपचारिक शैक्षणिक अवसर मौजूद होते हैं, एक अर्थ में देखें तो इसके अन्तर्गत सूचना और शिक्षा के मूल्यों के लिहाज से कोई भी रेडियों या टी.वी. कार्यक्रम इसका हिस्सा हो सकता है। कक्षा-कक्षीय शिक्षण का शैक्षिक प्रसारण का समन्वय निम्न बिन्दुओं के आधार पर किया जा सकता है-
1. सूचना व संचार प्रौद्योगिकी के सही इस्तेमाल से विषय-वस्तु और शैक्षणिक प्रविधि दोनों में बुनियादी बदलाव करके।
2. सूचना एवं संचार तकनीकि तथा इण्टरनेट अध्ययन एवं अध्यापन के नए खोजकर।
3. शैक्षणिक रेडियो और टी.वी. प्रसारण को कक्षा-कक्षीय शिक्षण से जोड़कर।
4. विभिन्न विषयों पर कार्यक्रम प्रसारित करके।
5. भारतीय दूरदर्शन द्वारा प्रसारित 'नाट्री वाइट क्लास रूम इसी का उदाहरण हैं। जो हमारे विद्यार्थियों को एकेडमिक विषयों पर लाभ पहुँचाता है।
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