बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ई-पाठ्य सामग्री पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
ई पाठ्य सामग्री ई - शिक्षा का एक महत्वपूर्ण घटक है। संशैक्षिक तत्व ई- शैक्षिक सामग्रियों की संरचना या इकाइयों को परिभाषित करने का प्रयास है। ई- शिक्षा सामग्रियों के निर्माण कार्य शुरू करने के समय संशैक्षिक दृष्टिकोण का मूल्यांकन करना जरूरी होता है। सरल संशैक्षिक दृष्टिकोण। इन समग्रियों के निर्माण को आसान बना देते हैं। लेकिन इनमें नम्यता, समृद्धि एवं अनुप्रवाहिक कार्यशीलता का अभाव होता है। दूसरी तरफ जटिल संशैक्षिक दृष्टिकोणों को स्थापित करने में मुश्किलें आ सकती है। और इन्हें विकसित करने की गति धीमी हो सकती है। इनमें छात्रों को आकर्षित करने वाली शिक्षा का अनुभव प्रदान करने की सम्भावना रहती है। शिक्षा की इस चरम सीमाओं में कहीं-कहीं एक आदर्श संशिक्षा देखने का भी अवसर मिलता है जो एक विशेष अध्यापक की छात्रों को आकर्षक शिक्षण सामग्री का अनुभव प्रदान करने के साथ-साथ प्रभावशाली ढंग से शैक्षिक सामग्रियों का निर्माण करने में भी सहायता करता है।
इलेक्ट्रानिक आधारित अध्यापन सामग्री के तकनीकी पुनर्प्रयोग और विशेषतः शिक्षा सामग्रियों के निर्माण या पुनर्प्रयोग के काफी प्रयास किए गए है। ये आत्मनिहित इकाइयाँ हैं जिन्हें मुख्य शब्दों या अन्य मेटाडेटा से अच्छी तरह टैग युक्त किया जाता है। प्रायः इन्हें एक एक्स एम एल (XML) फाइल प्रारूप में संग्रहीत किया जाता है। एक पाठ्यक्रम के निर्माण के लिए शिक्षा सामग्रियों के क्रम को एक साथ रखने की जरूरत पड़ती है।
ई-शिक्षा सामग्री का एक सामान्य मानक प्रारूप स्कोर्म (SCORM) है जबकि अन्य विनिर्देशन "शिक्षा वस्तुओं (स्कूल फ्रेमवर्क) के स्थानान्तरण या मेटाडेटा लोम (LOM) के वर्गीकरण की अनुमति देते हैं। ई-पाठ्य सामग्री के अन्तर्गत ई- पाठ्य पुस्तकें, ई- लर्निंग प्रोग्राम, यू-ट्यूब पर विभिन्न विषयों की शिक्षण सामग्री, दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले शैक्षिक कार्यक्रम, विभिन्न ई. शैक्षिक माड्यूल इत्यादि ई-पाठ्य सामग्री आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के लिए अत्यन्त कारगर साबित हो रहे हैं। ई- पाठ्य सामग्री सर्व सुलभ शिक्षण सामग्री है जो आज प्रत्येक की पहुँच में है। यही कारण है कि शिक्षण-अधिगम के पारम्परिक तरीकों से बेहतर ई-लर्निंग का अधिक से अधिक प्रयोग किया जा रहा है। इसका लाभ विद्यार्थियों एवं अध्यापकों को भी मिल रहा है।
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