बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ई-पुस्तक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
ई-पुस्तक अर्थात इलेक्ट्रानिक पुस्तक का अर्थ है डिजिटल रूप से पुस्तक। ई-पुस्तक कागज की जगह डिजिटल संचिका के रूप में होती है जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल सब अन्य डिजिटल यन्त्रों पर पढ़ा जा सकता है। इन्हें इन्टरनेट पर भी छापा, बाँटा व पढ़ा जा सकता है। ये पुस्तकें कई फाइल फार्मेट में होती हैं। जिनमें पी. डी. एफ (पोर्टेबल डाक्यूमेन्ट फार्मेट) एक्सपी ऐरे आदि शामिल है। इसमें पी. डी. एफ सर्वाधिक प्रचलित फार्मेट है। जल्द ही पारम्परिक किताबों और पुस्तकालयों के स्थान पर सुप्रसिद्ध उपन्यासों और पुस्तकों, के नए रूप, जैसें ऑडियो पुस्तकें, मोबाइल, टेलीफोन पुस्तके ई-पुस्तकें इत्यादि उपलब्ध होंगी।
ई-बुक रीडर - ई-पुस्तकों को पढ़ने के लिए कम्प्यूटर अथवा मोबाइल पर एक साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। जिसे ई-पुस्तक पाठक (e-Book reader) कहते हैं। पी.डी.एफ. ई- पुस्तकों के लिए एडोरीडर तथा फाक्सिट रीडर नामक है। प्रसिद्ध पाठन माध्यम है। इनमें से एडोव पी. डी. एफ फार्मेट के निर्माता कम्पनी का ही है। यह आकार में बड़ा तथा पुराने कम्प्यूटर सिस्टम पर धीमा चलता है।
ई-पुस्तक को पढ़ने लिए कुछ हार्डवेयर उपकरण अलग से मी उपलब्ध है। इनमें अमेजन काम, का किण्डल तथा ऐपोल इंक का आईपैड शामिल है। इसके अतिरिक्त एस. डी. कार्ड और मिनी यू. एस. वी. स्लाट भी उपलब्ध होते हैं। इसकी मेमोरी 512 एम.बी के लगभग होती है। इन डिवाइसों में कई पुस्तकों को संकलित कर ई - पुस्तक का रूप दिया जा सकता है।
ई-पुस्तक बनाने के निम्नलिखित दो तरीके हैं-
1. कम्प्यूटर पर टाइप की गई सामग्री को विभिन्न साफ्टवेयरों के द्वारा ई-पुस्तक के रूप में बदला जा सकता है।
2. छपी हुई सामग्री को स्कैनर के द्वारा डिजिटल रूप में परिवर्तित करके उसे ई-पुस्तक का रूप दिया जा सकता है।
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