बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अनुदेशन तकनीकी से आप क्या समझते हैं ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-
अनुदेशन तकनीकी
(Instructional Technology)
अनुदेशन तकनीकी का अर्थ - सामान्यतया शिक्षण तकनीकी तथा अनुदेशन तकनीकी में कोई अन्तर नहीं किया जाता। अनुदेशन तकनीकी को भलीभाँति समझने के लिए इसकी विशेषताओं पर ध्यान देना होगा, जो निम्नांकित हैं-
(1) अनुदेशन तकनीकी के माध्यम से ज्ञानात्मक उद्देश्यों को अधिक प्रभावशाली विधि से प्राप्त किया जा सकता है।
(2) अनुदेशन तकनीकी का प्रमुख कार्य है सूचनाएँ प्रदान करना।
(3) अनुदेशन तकनीकी, मनोविज्ञान, दर्शन तथा विज्ञान के सिद्धान्तों तथा अविष्कारों का उपयोग करती है।
(4) इसके माध्यम से अनुदेशन सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है।
(5) यह तकनीकी पाठ्यवस्तु का विश्लेषण कर विषय के विभिन्न प्रकरणों में तारतम्य बनाए रखती है।
(6) यह पाठ्यवस्तु तथा इसके तत्वों के तार्किक क्रम पर बहुत ध्यान देती है।
(7) यह शिक्षण व सीखने की प्रक्रिया को प्रेरित करने में सहायक है।
(8) इसके द्वारा उद्देश्यों की प्राप्ति का मूल्यांकन करके शिक्षण प्रक्रिया को आवश्यकतानुसार सुधारा जा सकता है।
(9) शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षण तकनीकी मानवीय तथा अमानवीय दोनों साधनों का उपयोग करती है।
(10) छात्रों को इस तकनीकी के प्रयोग से अपनी गति के अनुसार सीखने के अवसर मिलते हैं।
(11) अनुदेशन तकनीकी में सही उत्तरों का पुनर्बलन होता है।
(12) यह कक्षागत परिस्थितियों में Terminal behaviour का मूल्यांकन करती है।
(13) यह शिक्षकों के अभाव में भी शिक्षण प्रक्रिया जारी रखती है।
अनुदेशन तकनीकी की मान्यताएँ
अनुदेशन तकनीकी की मान्यताएँ निम्न प्रकार हैं-
(1) छात्रों को उनकी आवश्यकता और गति के अनुसार पढ़ने का अधिकार है।
(2) शिक्षण की प्रक्रिया शिक्षक के बिना भी सम्पादित की जा सकती है।
(3) शिक्षण की प्रक्रिया में सीखने के व्यवहारों को नियन्त्रित तथा परिमार्जित किया जा सकता है।
(4) किसी भी विषय-वस्तु को छोटे-छोटे तत्वों में विभाजित किया जा सकता है और उन ' तत्वों को स्वतन्त्र रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है।
(5) इन तत्वों को इस प्रकार से तार्किक क्रम में बांधा जा सकता है, जिससे कि वांछित सीखने की बाह्य परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकें।
(6) मानव का प्रत्येक व्यवहार संगठित प्रणाली के अंगों के रूप में कार्य करता है।
(7) मानवीय विकास के लिए पृष्ठपोषण का सिद्धान्त अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
अनुदेशन तकनीकी की विशेषताएँ
यह निम्न प्रकार हैं-
(1) अनुदेशन तकनीकी, मनोविज्ञान, दर्शन तथा विज्ञान के सिद्धान्तों तथा अविष्कारों का उपयोग करती है।
(2) यह पाठ्यवस्तु तथा इसके तत्वों के तार्किक क्रम पर बहुत ध्यान देती है।
(3) अनुदेशन तकनीकी के माध्यम से ज्ञानात्मक उद्देश्यों को अधिक प्रभावशाली विधि से प्राप्त किया जा सकता है।
(4) छात्रों को इस तकनीकी के प्रयोग से अपनी गति के अनुसार सीखने के अवसर मिलते है।
(5) अनुदेशन तकनीकी में सही उत्तरों का पुनर्बलन होता है।
(6) यह कक्षागत परिस्थितियों में Terminal behaviour का मूल्यांकन करती है।
(7) यह सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को प्रेरित करने में सहायक है।
(8) शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षण तकनीकी मानवीय तथा अमानवीय दोनों साधनों का उपयोग करती है।
(9) इसके माध्यम से अनुदेशन सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है।
(10) यह तकनीकी पाठ्यवस्तु का विश्लेषण कर विषय के विभिन्न प्रकरणों में तारतम्य बनाए रखती है।
(11) इसके द्वारा उद्देश्यों की प्राप्ति का मूल्यांकन करके शिक्षण प्रक्रिया को आवश्यकतानुसार सुधारा जा सकता है।
(12) अनुदेशन तकनीकी का प्रमुख कार्य है ज्ञानात्मक सूचनाएँ प्रदान करना।
अनुदेशन तकनीकी के सोपान
यह निम्न प्रकार हैं-
(1) अनुदेशन सामग्री के उद्देश्यों के अनुसार चयन करना।
(2) विभिन्न विधियों, प्रविधियों, युक्तियों तथा श्रव्य-दृश्य का प्रयोग करके पाठ को करना।
(3) मूल्यांकन करना।
(4) सुधार के लिए सुझाव प्रदान करना।
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