बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय- 3 शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप : अर्थ, विशेषताएँ, शिक्षण तकनीकी, अनुदेशन तकनीकी एवं व्यवहार तकनीकी
(Different Forms of Educational Technology : Meaning, Features, Teaching Technology, Instruction Technology and Behavioural Technology)
प्रश्न- शिक्षण तकनीकी का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसकी विषयवस्तु क्या है? शिक्षण तकनीकी के लाभों का विवरण दीजिए।
उत्तर-
शिक्षण तकनीकी
(Teaching Technology)
शिक्षण तकनीकी का अर्थ शिक्षण तकनीकी शैक्षिक तकनीकी का वह महत्वपूर्ण अंग है जो शिक्षण कला को अधिक स्पष्ट, सरल, वस्तुनिष्ठ तथा वैज्ञानिक बनाती है। छात्रों और शिक्षकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करती है, साथ ही यह शिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली, मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक तथा प्रयोगात्मक बनाती है जिससे छात्र, शिक्षक और समाज सभी लाभान्वित होते हैं।
शैक्षिक तकनीकी की विषयवस्तु - डेविस (Devies) तथा रॉबर्ट ग्लेसर (Robert Glaser 1962) ने शिक्षण तकनीकी की पाठ्यवस्तु को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया है-
(1) शिक्षण का नियोजन - इसके अन्तर्गत शिक्षण पाठ्यवस्तु का विश्लेषण, शिक्षण बिन्दु खोजना, उद्देश्यों को पहचानना तथा उन्हें उपयुक्त विधियों से लिखना सम्मिलित है।
(2) शिक्षण की व्यवस्था - इसके अन्तर्गत शिक्षण विधियाँ तथा युक्तियाँ एवं प्रविधियाँ तथा शिक्षण सहायक सामग्री के चयन तथा प्रयोग से सम्बन्धित विषय सामग्री आती है।
(3) शिक्षण का मार्गदर्शन - इस विषय के अन्तर्गत वह सामग्री आती है जिससे शिक्षक को यह बताया जाता है कि कक्षा के अन्दर किस प्रकार से सीखने के लिए छात्रों में प्रेरणा उत्पन्न की जाए।
(4) शिक्षण का नियन्त्रण - शिक्षण तकनीकी का यह वर्ग, यह देखता है कि सीखने के उद्देश्यों को किस सीमा तक प्राप्त किया गया है। अतः इस भाग के अन्तर्गत मापन एवं मूल्यांकन विषय का अध्ययन किया जाता है। मूल्यांकन के आधार पर शिक्षण के सोपानों में वांछित परिवर्तन भी किये जाते हैं।
शिक्षण तकनीकी से लाभ
शिक्षण तकनीकी से लाभ निम्न प्रकार हैं-
(1) शिक्षण तकनीकी ज्ञानात्मक, प्रभावात्मक तथा मनोगत्यात्मक पक्षों के अध्ययन में सहायता देती है।
(2) शिक्षण तकनीकी के माध्यम से शिक्षण के प्रमुख दो तत्वों पाठ्यवस्तु तथा कक्षा सम्प्रेषण में उपयुक्त सम्बन्ध स्थापित किया जाता है।
(3) शिक्षण प्रक्रिया को उन्नतशील बनाने के लिए शिक्षण तकनीकी के माध्यम से सामाजिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक तथा वैज्ञानिक ज्ञान का व्यवहारिक उपयोग किया जाता है।
(4) शिक्षण तकनीकी, कक्षा व्यवहार के निरीक्षण, विश्लेषण, व्याख्या, मूल्यांकन एवं सुधार के लिए उचित प्रयास करती है।
(5) शिक्षण तकनीकी हमें नवीन तथा अधिक उपादेय एवं सुसंगठित शिक्षण सिद्धान्तों तथा शिक्षण प्रतिमानों के निर्माण प्रेरित करती है।
(6) शिक्षण तकनीकी, शिक्षण के नियोजन, व्यवस्था, मार्गदर्शन तथा नियन्त्रण में तारतम्य स्थापित करती है।
(7) शिक्षण तकनीकी शिक्षण को अधिक व्यवहारिक तथा प्रयोगात्मक विषय बनाने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
(8) शिक्षण तकनीकी के माध्यम से शिक्षण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाया जाता है।
(9) शिक्षण तकनीकी, शिक्षक को उचित शिक्षण नीतियाँ, शिक्षण विधियाँ तथा शिक्षण युक्तियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करती है।
(10) यह शिक्षकों को अपने छात्रों के व्यवहारों को नियन्त्रित करना सिखाती है साथ ही उन्हें आवश्यकतानुसार परिमार्जित भी करती है।
(11) शिक्षण में विभिन्न उपागमों के माध्यम से शिक्षण कौशल विकसित किए जा सकते हैं।
(12) शिक्षण तकनीकी शिक्षण अधिगम को छात्र- प्रधान प्रक्रिया बनाती है।
(13) शिक्षण तकनीकी प्रक्रिया से शिक्षक कक्षा में एक व्यवस्थापक के रूप में कार्य करता है।
(14) शिक्षण तकनीकी के द्वारा सृजनात्मक छात्र बनाए जा सकते हैं।
|