बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का शिक्षा के क्षेत्र में लाभ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का शिक्षा के क्षेत्र में लाभ
आधुनिक सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी ने हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे शिक्षा, व्यापार, बैंकिंग, चिकित्सा को प्रभावित कर रहा है। इसने हमारे सोचने का ढंग, सम्प्रेषित करने के तरीके तथा अधिकांश चीजों को प्रभावित किया है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के शिक्षा में लाभ निम्नलिखित हैं
(1) ज्ञान आधारित समाज के निर्माण में सहायक - नवीनतम यंत्रों एवं विधियों के द्वारा सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से ज्ञान आधारित समाज के निर्माण में सहायता प्रदान की है।
इस युग में परम्परागत तकनीकों की सहायता से शिक्षण प्रदान करके नवयुवकों को आने वाले परिवर्तनों के लिये तैयार नहीं किया जा सकता है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का समुचित प्रयोग इस दिशा में सहायक सिद्ध हो रहा है।
(2) छात्रों का व्यक्तिगत विकास - छात्र अपने स्वयं के विकास के लिए सूचनाओं को प्राप्त करने एवं प्रयोग करने का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। इसके द्वारा छात्र अपनी जिज्ञासाओं को शान्त कर सकते हैं तथा आविष्कार निर्माण आदि में सहायता प्राप्त कर सकते हैं। उपयुक्त निर्णय क्षमता तथा समस्या समाधान की योग्यता प्राप्त करके छात्रों के व्यवहार में आवश्यक परिवर्तन लाया जा सकता है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के द्वारा छात्र ज्ञान, कौशल, रुचि, अभिवृत्ति आदि अर्जित कर सकते हैं। इसके द्वारा छात्र पूर्ण शुद्धता एवं तीव्र गति के साथ सूचनाओं को एक साथ प्राप्त कर सकते हैं। व्यक्तिगत भिन्नताओं के आधार पर छात्रों को अनुदेशन प्रदान किया जा सकता है। छात्र अपनी क्षमता, आवश्यकता एवं गति के अनुसार स्व-अनुदेशन प्राप्त कर सकते हैं।
(3) शिक्षण में सहायक - सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षकों को शिक्षण-अधिगम क्रिया में भी सहायता देते हैं। पुस्तकों, पत्रिकाओं, अध्ययन सामग्री, दृश्य-श्रव्य सामग्री, उपकरणों आदि के रूप में सूचनाओं के स्रोत शिक्षकों को शिक्षण अधिगम सामग्री एवं तकनीकों को प्राप्त करने में सहायक होते हैं। छात्रों द्वारा स्व-अनुदेशन प्राप्त करने से शिक्षक उस समय का प्रयोग उन्हें निर्देशन व परामर्श देने, ट्यूटोरियल, समूह शिक्षण आदि में कर सकते हैं। शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी शिक्षकों व छात्रों की सहायता करती है।
(4) परामर्श देने में सहायक - परामर्श देने के कार्य में भी सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी सहायक होती है। अपेक्षित शैक्षिक, व्यावसायिक तथा व्यक्तिगत परामर्श देने में सूचना के स्रोतों को प्राप्त करने में यह परामर्शदाताओं को सहायता पहुँचाता है। रिकॉर्ड की हुई इलेक्ट्रॉनिक सामग्री के द्वारा वे छात्रों को शैक्षिक स्तर, रुचि, अभिरुचि और व्यक्तित्व की अन्य विशेषताओं के बारे में जान सकते हैं तथा छात्रों की निर्देशन व परामर्श सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरी कर सकते हैं।
(5) छात्र - केंद्रित शिक्षण में सहायक शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को शिक्षक-केंद्रित से छात्र- केंद्रित बनाने में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी सहायता से छात्र बड़ी संख्या मे सूचनाओं को प्राप्त कर सकते हैं तथा प्रभावी सम्प्रेषण के द्वारा सहयोगात्मक शिक्षण से कठिन कार्यों को भी कर सकते हैं। इस प्रकार से ज्ञान तथा कौशल अर्जित करके छात्र अधिक आत्म-निर्देशित एवं आत्म-विश्वासी बनते हैं।
(6) शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के स्वरूप में परिवर्तन - शिक्षण को अधिगम में परिवर्तित करने की क्षमता के कारण सूचनाओं और सम्प्रेषण तकनीकी ने शिक्षक व अधिगमकर्ता दोनों को अधिक संक्रिय अधिगम वातावरण प्रदान किया है। अब शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्रिया रोचक बन गई है। अब शिक्षक की भूमिका केवल ज्ञान प्रदान करने वाला ही नहीं बल्कि छात्र अधिगम में सहयोगकर्ता तथा छात्र के साथ अधिगम में सक्रिय अधिगमकर्ता की भी है।
(7) शिक्षक प्रशिक्षण में सहायक - सूचना और सम्प्रेषण तकनीकी ने शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षक के बहु-आयामी दायित्वों के निर्वाह के लिए चुनौतियों को स्वीकार करने में यह शिक्षक की सहायता करता है। सूक्ष्म शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षण कौशलों के विकास में इसका प्रयोग किया जा सकता है। आधुनिक समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रभावी शिक्षकों के विकास में यह अत्यंत उपयोगी है।
(8) शैक्षिक प्रशासन में सहायक - शैक्षिक प्रशासकों को उनकी व्यावसायिक जिम्मेदारियों का पालन करने में सूचना और सम्प्रेषण तकनीकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके द्वारा वे शिक्षा. शैक्षिक प्रशासन तथा योजनाओं के क्षेत्र में विकास के बारे में सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही साथ वे संस्था की गतिविधियों से सम्बन्धित सूचनाएँ और आँकड़े, शिक्षकों के क्रियाकलाप, छात्रों की उपलब्धियों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। शैक्षिक प्रशासकों के लिए ये सूचनाएँ पाठ्यक्रम निर्माण, विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक उद्देश्यों, मूल्यांकन विधि, विद्यालयों को दिये जाने वाले संसाधनों आदि के संबंध में निर्णय लेने में सहायक होते हैं। शैक्षिक प्रशासन के कार्यों में सम्प्रेषण की सुविधा ने बहुत लाभ पहुँचाया है।
(9) शैक्षिक शोध कार्यों में सहायक - सूचना और सम्प्रेषण तकनीकी ने शैक्षिक शोध कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके माध्यम से शोध कार्यों के लिए अपेक्षित, शुद्ध एवं विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। सम्प्रेषण के स्रोतों के द्वारा शोध कार्य आसानी से हो सकते हैं।
इस प्रकार शिक्षा के सभी क्षेत्रों में सूचना और सम्प्रेषण तकनीकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में अत्यन्त सहायक हैं।
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