बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- 'सूचना' और 'सूचना तकनीकी' से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं और स्तरों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
सूचना तकनीकी का मुख्य सम्बन्ध सूचना से होता है। अतः सूचना तकनीकी शब्द का अर्थ जानने से पहले 'सूचना' शब्द को जानना एवं समझना अति आवश्यक है।
सूचना का अर्थ - 'सूचना' शब्द को विभिन्न तरीकों से प्रयोग किया जाता है। दो शब्दों 'आँकड़ों' और 'सूचना' का बहुत प्रयोग किया जाता है जो कि आपस में सम्बन्धित होते हैं। आँकड़े कोई भी तथ्य, अवलोकन, अवधारणा, नाम, समय, तिथि, भार, मूल्य, आयु, पुस्तक, अंक, प्रतिशत, ग्रेट आदि हो सकते हैं। आँकड़े किसी व्यक्ति की क्रिया का गुण होते हैं।
आँकड़ों का संक्षिप्त स्वरूप 'सूचना' है। आँकड़ों और सूचना में सम्बन्ध होता है। किसी सूचना प्रणाली में डाली गई सामग्री आँकड़े कहलाती है तथा 326 सूचना प्रणाली का उत्पादन कहलाती है। अतः सूचना वे आँकड़े होते हैं जिन्हें किसी स्वरूप में उत्पन्न किया गया तथा जो प्राप्तकर्ता के लिए उपयोगी होते हैं और तत्काल या भविष्य की क्रियाओं एवं निर्णयों के लिए कीमती होते हैं।
कोई भी सूचना या आँकड़े किसी भी बहस, गणना या निर्णय का आधार होते हैं। दूसरे शब्दों में 'सूचना' वह आँकड़े हैं जिसका अर्थ निश्चित होता है।
आँकड़े मूल तथ्य होते हैं जिन्हें किसी संस्था के ऐतिहासिक रिकॉर्ड के रूप में प्रयोग किया जाता है। दैनिक जीवन में हम आँकड़ों और सूचना को एक-दूसरे के लिए प्रयुक्त करते हैं।
सूचना वे आँकड़े हैं जिन्हें निर्णयों के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
सूचना तकनीकी का अर्थ - सूचना तकनीकी विभिन्न तकनीकों, सूचनाओं, आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण तथा सूचना और आँकड़ों के भंडारण की विधियों का संकलन है। ये सभी कार्य करने के लिए कम्प्यूटर एक ऐसा यंत्र है, जिसका प्रयोग विश्व के हर कोने में हो रहा है। सूचना तकनीकी ने हमारे दैनिक जीवन को कम्प्यूटरों के माध्यम से अत्यधिक प्रभावित किया है। उदाहरणार्थ हवाई जहाज की टिकटें बुक करवाना, रेलवे की टिकटें बुक करवाना, इंटरनेट पर चीजें बेचनी और खरीदनी, बैंक का कारोबार, मनोरंजन, शिक्षा, संचार इत्यादि। सूचना तकनीकी ने पारस्परिक विधियों का स्थान ले लिया है।
सूचना तकनीकी में कम्प्यूटिंग और संचार तकनीकी दोनों को ही शामिल किया जाता है। सूचना तकनीकी में विभिन्न पक्ष होते हैं, जैसे - हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, टेलीकम्यूनिकेशन, मानव कम्प्यूटर इंटरफेस।
सूचना तकनीकी का सम्बन्ध सूचना के सृजन, संकलन, प्रोसेसिंग, भण्डारण, प्रस्तुतीकरण और प्रसार करने से है। इसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तथा टेलीविजन इत्यादि सभी शामिल होते हैं।
सूचना की विशेषताएँ - प्रत्येक सूचना का मूल्य होता है। इस मूल्य को कई कारक प्रभावित करते हैं। यही कारक 'सूचना की विशेषताएँ होती हैं जो कि निम्नलिखित हैं
(1) उपलब्धता - कई बार कई सूचनाएँ पहले तो उपलब्ध नहीं होतीं लेकिन बाद में उपलब्ध हो जाती हैं। बाद में उपलब्ध सूचनाएँ व्यक्ति के लिए नई होती हैं तथा व्यक्ति के लिए निर्णय लेने में बहुत लाभदायक सिद्ध होती हैं।
(2) उपयुक्तता - सूचना बिल्कुल सही या उपयुक्त होनी चाहिए। गलत सूचना किसी व्यक्ति या संस्था को हानि पहुँचा सकती है।
(3) समयबद्धता - वांछित सूचना अति शीघ्रता से उपलब्ध हो जानी चाहिए। देर से उपलब्ध सूचना लाभकारी नहीं रहती।
(4) सम्पूर्णता - केवल सम्पूर्ण सूचना ही लाभकारी हो सकती है। संग्रहित सूचना हर प्रकार से सम्पूर्ण होनी चाहिए। अपूर्ण सूचना भी हानिकारक हो सकती है।
(5) प्रस्तुतीकरण - सूचना को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इससे सूचना का मूल्य बढ़ता है। सूचना को अर्थपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने पर उसे अधिक प्रभावशाली और कीमती बनाया जा सकता है।
सूचना के स्तर - किसी भी संगठन में विभिन्न स्तरों पर भिन्न-भिन्न सूचनाएँ वांछित होती हैं। 'सूचना' के स्तर निम्नलिखित होते हैं-
(1) अन्तर्राष्ट्रीय सूचना - बड़े-बड़े संगठन अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सूचना चाहते हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय सूचना राष्ट्रीय सूचना के अतिरिक्त वांछित होती है। यह बड़े-बड़े व्यापारिक घरानों, विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थानों के लिए सत्य है। वे ई-मेल के माध्यम से बुलेटिन प्राप्त करते हैं।
(2) राष्ट्रीय सूचना - अंतर्राष्ट्रीय सूचना की तरह राष्ट्रीय सूचना भी महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सूचना के स्रोत हैं- शैक्षित या व्यापारिक मैगजीन, टीवी पर आधारित कार्यक्रम, रिव्यू या समाचार पत्रों में प्रकाशित लेख।
(3) कारपोरेट सूचना - इस प्रकार की सूचना स्वयं संगठन के बारे में होती है। इसे आमतौर पर कर्मचारियों तथा संस्था के विद्यार्थियों तक पहुँचाया जाता है।
(4) डिपार्टमेंटल सूचना - हर संगठन या संस्था के लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं विभिन्न विभागों में बँटे होते हैं। उस संस्था लेकिन उन्हें डिपार्टमेंटल अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। ताकि उन लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से अर्जित किया जा सके। सम्बन्धित विभागों के उत्तरदायित्व निर्धारित कर दिये जाते हैं।
(5) व्यक्तिगत सूचना - इस सूचना में संगठन के स्टाफ के सदस्यों और कर्मचारियों की सूचना शामिल होती है। इसमें व्यक्तिगत सूचना होती है। जैसे- निवास, वैवाहिक स्तर आदि । इसमें व्यापारिक सूचनाएँ जैसे- अनुभव, वेतन स्तर आदि भी शामिल होते हैं।
|