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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2755
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आधुनिक पर्यटन के पूर्ववृत्त पर एक टिप्पणी लिखिए ।

त्तर-

आधुनिक पर्यटन के पूर्ववृत्त
(Antecedents of Modern Tourism)

प्रारम्भिक दिनों में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान में भोजन की खोज में जाते थे जो या तो पशुओं अथवा जंगली बेर का क्षेत्र होता था। मानव ने जब खेती-बाड़ी के बारे में जाना तब उसने बसना शुरू किया लेकिन जब भूमि का पूरा दोहन कर लिया तो वे पुनः आगे को चलने लगा। कांस्य युग के दौरान शहर निर्मित किए गए जिसने ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में लोगों के प्रवास को प्रोत्साहित किया। वे यहाँ शिल्पी, दस्तकार अथवा अन्य प्रकार के व्यापार की खोज में आए। इसका ज्ञान एक सभ्यता के सिक्कों और मुद्राओं का अन्य सभ्यता के क्षेत्र में मिलने से होता है। ऐसा एक उदाहरण सिंधु घाटी है। जब हम कांस्य युग से लौह-युग सभ्यता में आते हैं तो यात्राएँ खूब होने लगी थीं, यदि हम मानव की यात्राओं की खोज करते हैं तो हम खानाबदोश अवधि से प्रारम्भ कर सकते हैं। यह क्रम इस तरह से हो सकता है-

(1) खानाबदोशी - खानाबदोश वे व्यक्ति थे जो भोजन की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते थे। आज भी आप देख सकते हैं कि बहुत से व्यक्ति कारवाँ बना कर अपने बच्चों व साज-सामान के साथ चलते हैं। व्यक्तियों का यह संचालन जीवित रहने से जुड़ा था। आजकल ये लोग रेगिस्तान व पहाड़ों में ही बचे हैं जहाँ भोजन उपलब्ध नहीं है।

(2) तीर्थयात्रा - तीर्थयात्रा अपने विश्वास व आस्था के पवित्र स्थानों की यात्रा है। अनेक धर्म कुछ स्थानों के साथ बहुत महत्व जोड़ देते हैं जैसे आत्मिक जागृति के संस्थापकों को जन्म अथवा मृत्यु के साथ जोड़ना। विश्वास करने वाले लोगों के बीच इन स्थानों का बहुत महत्व है। आधुनिक समय में तीर्थयात्रा एक सामूहिक पर्यटन का स्रोत बन गई है और परिवहन तथा अन्य सुविधाओं के विकास के साथ ही ऐसे स्थानों पर लोगों का भ्रमण करना भी बढ़ गया है।

(3) व्यापार व कारोबार के लिए यात्रा - जैसे ही व्यापार मार्ग बढ़े, नए स्थानों का ज्ञान हुआ। लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान जाना प्रारम्भ हो गया। शीघ्र ही व्यापार बढ़ा और औद्योगिक क्रान्ति के कारण वस्तुओं का विनिमय बढ़ा। वास्को-डि-गामा व कोलंबस द्वारा खोजे गए जल-मार्ग से नए स्थानों की खोज हुई तथा जहाज निर्माण ने बड़ी भूमिका निभाई और इसी तरह निर्मित मालों के विक्रय एवं कच्चे माल की खरीद की माँग भी बढ़ी। इसी से अपने धर्म का प्रचार-प्रसार के साथ-साथ व्यापार उद्देश्यों के लिए भी यात्राएँ हुई। शीघ्र ही इसने आधुनिक पर्यटन का स्वरूप प्राप्त किया।

(4) प्रवर्जन - पश्चिम में औद्योगिक क्रांति के उदय से संपूर्ण संसार में निर्मित मालों के क्रय-विक्रय हेतु बाज़ार की खोज प्रारंभ हुई। प्रवर्जन लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान को जाना है। यह बहुत लंबे समय से चल रहा है। प्रारंभिक प्रवर्जन लगभग लाखों वर्षों पहले प्रारंभ हुआ होगा जब होमोरेक्ट्स का अफ्रीका से यूरोप और एशियाई क्षेत्र में प्रवर्जन हुआ था।

(5) अनुसंधान एवं शिक्षा हेतु यात्राएँ - समय के साथ-साथ लोगों की यात्राएँ किसी विशिष्ट कार्य हेतु होने लगीं। तब लोग दूर-दराज़ के स्थानों में अच्छी शिक्षा की खोज में जाने लगे। इसने शैक्षिक पर्यटन को अत्यधिक विस्तार दिया। दूर-दराज के इलाकों में अनुसंधान हेतु असंख्य स्कूल व शैक्षिक संस्थान खुल गए। आज भारत में हम बिहार के बहुत प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना देख रहे हैं।

(6) बहुलक्षीय पर्यटन - आज पर्यटन ने अनेक कारणों से विविध स्वरूप पा लिए हैं। यह बहुत से देशों में आर्थिक कार्यकलापों की प्रगति के लिए एक प्रभावकारी व लाभकारी साधन है। पर्यटकों की जरूरत के अनुसार सभी सुविधाएँ देने का ध्यान रखा जाता है, जिनमें परिवहन, आवास पर्यटकों की स्थानीय यात्रा, भोजन व पेय पदार्थ, मनोरंजन एवं आराम शामिल होता है। बहुलक्षीय पर्यटन में यात्रा व पर्यटन के लिए बहुत से स्थानों में घूमना शामिल है। यह पर्यटकों के लिए एक बहुत लोकप्रिय क्रियाकलाप है। जब वे घूमने जाते हैं तो एक के बाद कई स्थानों पर जाते हैं न कि एक स्थान पर। इसलिए बहुलक्षीय पर्यटन आज की एक ज़रूरत है।

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