बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पर्यटन उद्योग के घटकों का वर्णन कीजिये।
उत्तर-
पर्यटन उद्योग के घटक
(1) पर्यटन उद्योग के लिए स्थल - स्थल एक आधारभूत अवयव (घटक) है, जिसके कारण पर्यटन होता है। यह एक से दूसरे क्षेत्र में स्थल का परिवर्तन ही है। पर्यटन के लिए स्थल से अभिप्राय लगभग पूरा विश्व है। पर्यटन के दृष्टिकोण से विश्व के कुछ भागों की अधिक माँग होती है जबकि अन्य उतने महत्वपूर्ण नहीं होते। इसके कारण क्षेत्र-विशिष्ट होते हैं। पर्यटकों के लिए आवश्यक सेवाओं का उपलब्ध होना किसी क्षेत्र को संसाधनपूर्ण बना देता है। दूसरी ओर सेवाओं का उपलब्ध न होना अथवा गुणात्मक या मात्रात्मक रूप से कम उपलब्ध होना क्षेत्र की माँग को घटा देता है। पर्यटकों के लिए किसी क्षेत्र की सुविधाओं में परिवहन, होटल, स्वस्थ और स्वच्छ भोजन इत्यादि आते हैं। पर्यटन विकास में सुरक्षा और बचाव बहुत महत्वपूर्ण पक्षों में से एक है। आतंकवाद के नाम पर बदनाम अथवा राजनीतिक दृष्टि से अस्थिर क्षेत्र में निश्चित तौर पर अधिक पर्यटक नहीं आएँगे। इसलिए किसी स्थल पर पर्यटन की वृद्धि और विकास उस क्षेत्र में पर्यटक उत्पादों के विकास पर निर्भर करता है।
(2) पर्यटन उद्योग के लिए उद्यमशीलता - किसी उद्योग के स्थापित होने के लिए उसके व्यापार (कारोबार) को चलाने की जिम्मेदारी लेने वाला कोई होना चाहिए। क्योंकि लोग बड़ी संख्या में पर्यटकों की रुचि के स्थलों पर भ्रमण करने जाना चाहते हैं। अतः भ्रमण करने आए पर्यटकों को सुविधाएँ देने की जिम्मेदारी उद्यमी लेता है। बदले में उन्हें अन्य स्थानीय लोगों के साथ आय प्राप्त होती है। लेकिन अनेक ढाँचागत विकास कार्य किसी व्यक्ति/ संगठन अथवा संस्था द्वारा नहीं अपितु राज्य सरकार द्वारा करवाए जाते हैं। इसलिए इन सबको भी पर्यटन के विकास में उद्यमी माना जाता है।
(3) पूँजी : ढाँचागत विकास के लिए संसाधन - किसी क्षेत्र में किसी उद्योग का ढाँचागत विकास करने के लिए बहुत बड़ी पूँजी की आवश्यकता होती है। प्राय: यह पूँजी सरकार द्वारा विभिन्न नीतियों के अन्तर्गत प्रदान की जाती है। ढाँचागत विकास केवल पर्यटन उद्योग तक ही सीमित नहीं होता अपितु यह तो क्षेत्र और लोगों की सामान्य भलाई के लिए होता है। क्षेत्र का देश अथवा विश्व के साथ जुड़ा होना, नियमित बिजली की आपूर्ति, होटल, अच्छी कानून-व्यवस्था, पर्यटकों के लिए आकर्षण तथा अच्छे भोजन की सुविधाएँ पर्यटकों के लिए आवश्यक सुविधाओं में से कुछ हैं। इनमें से अधिकांश सरकार द्वारा दी जाती हैं तथा कुछ को विभिन्न इच्छुक औद्योगिक संस्थानों, संगठनों, उद्यमियों अथवा होटलों द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है।
(4) पर्यटन उद्योग के लिये कार्यबल - पर्यटन के कई घटक हैं, जिन पर इसका ढाँचा निर्भर करता है। इनमें से परिवहन, निवास, भोजन, मनोरंजन, शिष्टाचार, पर्यटक आकर्षण, यात्रा प्रचालक, ट्रेवल एजेंट्स और अन्तिम रूप से पर्यटक बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह सभी अलग इकाइयाँ नहीं हैं, अपितु सब परस्पर जुड़ी हुई हैं। उनकी अन्तः क्रिया एक जाल की तरह होती है जो अन्त में पर्यटकों की सेवा ही होती है। पर्यटन उद्योग तब फलता-फूलता है जब पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सुयोग्य कार्यबल उपलब्ध होता है। मानवशक्ति को कुशल, अर्द्धकुशल और अकुशल समूहों में बाँटा जा सकता है। सबको पर्यटकों की आश्यकताओं को पूरा करना होता है। उदाहरण के लिये, एक कुशल व्यक्ति को टिकट बुक करना, होटल प्रबन्ध का ध्यान रखना, मनोरंजन प्रदान करना, गाईड तथा उच्च गुणवत्तापूर्ण भोजन प्रदान करना होता है। स्थानीय परिवहन टैक्सी चालक अथवा अन्य सहायक कर्मचारियों द्वारा प्रदान किया जाता है। अकुशल कार्यबल की भी आवश्यकता होती है और प्रयोग किया जाता है। ढाँचा विकसित करना भी मिलकर काम करने वाले सभी प्रकार के कार्य बलों से जुड़ा हुआ है।
(5) पर्यटन उद्योग के लिए बाजार - आपके विचार से पर्यटन कब फूलता-फलता है? उत्तर है, जब ढाँचागत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाती हैं, प्राकृतिक आकर्षण हों, गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदाता हों, कानून व्यवस्था उच्च श्रेणी की हो और बड़ी संख्या में पैसे और खाली समय के साथ लोग उपलब्ध हों तो पर्यटन फले-फूलेगा ही। पर्यटक अपनी इच्छानुसार प्राप्त की गई सेवाओं का उपभोक्ता होता है। मूर्त रूप में प्रदान की गई सेवाओं के अतिरिक्त पर्यटक अमूर्त सेवाओं का भी उपयोग करते हैं। मूर्त सेवाओं में भौतिक रूप से उपलब्ध होटल, भोजन, सोविनियर, टैक्सियाँ, गाईड्स और सहायक आते हैं; परन्तु अमूर्त सेवाएँ बिल्कुल भिन्न होती हैं। इनमें खाने का स्वाद, शान्त वातावरण, संस्कृति, मनोरंजन, स्वागत और सौन्दर्य बोध इत्यादि शामिल होता है। पर्यटक इन सब का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रयोग करते हैं। किसी क्षेत्र में पर्यटन उद्योग की वृद्धि एवं विकास के लिए ये सभी अच्छे कारण हैं। पर्यटन विपणन से पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित उत्पादों को बढ़ावा मिलता है।
प्राय: उद्योगों में एक जैसी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है और वे निरन्तर एक-दूसरे से मुकाबला करते रहते हैं। उदाहरण के लिए, चिप्स का उत्पादन, ठण्डे पेय, आइसक्रीम, कपड़े, कागज़, सीमेन्ट, लोहा इत्यादि अपने वर्गों में एक-दूसरे के साथ मुकाबला कर रहे हैं। इस प्रकार का मुकाबला बहुत कड़ा नहीं होता अपितु एक-दूसरे का उत्पाद और सेवाएँ उपलब्ध करवाने में पूरक होता है। एक एयरलाईन, होटल, ट्रेवल एजेंट भले ही अपने वर्ग में एक-दूसरे के साथ मुकाबला कर रहे हों परन्तु उस क्षेत्र में पर्यटन की गतिविधियों को सहारा देते हैं। पर्यटन के लिए वे पर्यटन की वृद्धि को समरस बनाते हैं जो पर्यटकों की सहायता करना है। उनका उद्देश्य पर्यटकों को उनके चयन और आवश्यकतानुसार सबसे बेहतर सेवाएँ और सुविधाएँ प्रदान करना है।
पर्यटन उद्योग में निवेश और परिणामों को बहुत स्पष्ट ढंग से विलग नहीं किया जा सकता। आपूर्ति के सन्दर्भ में अन्य उद्योगों को उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं से परिभाषित किया जाता है। पर्यटन के सन्दर्भ में यह उद्योग पर्यटकों की माँग से चलता है। क्षेत्र में अन्य सुविधाएँ पर्यटकों की माँग के अनुसार विकसित एवं प्रदान की जाती हैं।
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