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बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2754
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

लीबेनस्टीन के अनुसार सभी संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने हेतु ही उद्यमियों का जन्म एवं विकास होता है।

आर्थिक विचारधारा यह मत व्यक्त करती है कि जब आर्थिक परिस्थितियाँ जोखिम उठाकर लाभ कमाने योग्य होती हैं, तब उद्यमिता का जन्म एवं विकास होता है।

उद्यमिता की समाजशास्त्रीय विचारधारा के विकास में यंग की विचारधारा, मैक्स वेबर की विचारधारा कोक्रान की विचारधारा आदि का योगदान रहा है।

मनोवैज्ञानिक विचारधारा यह मत प्रकट करती है कि समाज में उद्यमिता का जन्म एवं विकास तब होता है जबकि समाज में मनोवैज्ञानिक विशेषताओं या गुणों वाले व्यक्ति जन्म लेते हैं।

उद्यमिता का जन्म एवं विकास तो आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक, मानसिक तथा वातावरण सम्बन्धी सभी घटकों के सामूहिक प्रभाव से होता है।

जॉन एच. कुन्केल ने उद्यमिता विकास की व्यवहारवादी विचारधारा प्रस्तुत की है।

मेक्स बेवर ने उद्यमिता की एक विचारधारा का विकास किया जिसे 'नैतिक मूल्य-व्यवस्था' के नाम से जाना जाता है।

सुशिक्षित व्यक्ति निम्नलिखित तरीकों से उद्यमिता के विकास में योगदान दे सकते हैं-

सम्पूर्ण वातावरण को समझने एवं निर्णय करने की क्षमता।

अवसरों की पहचान करने की क्षमता।
उपक्रम की स्थापना एवं प्रबन्धन की क्षमता।
परियोजना बनाने की क्षमता।
परियोजना की व्यावहारिकता को जाँचने की क्षमता।

हेगेन ने बताया है कि पद अथवा सम्मान का ह्रास कई दशाओं में उत्पन्न होता है-

जब कोई श्रेष्ठ समूह अपने अधीनस्थ समूह के बारे में अपनी विचारधारा बदल देता है।

जब कोई समूह किसी नए समाज में बसता है।

जब किसी दूसरे समूह द्वारा कोई प्रतिष्ठित समूह विस्थापित किया जाता है।

उद्दीपक क्रिया में वे कियाएँ आती हैं जो उद्यमी को उपक्रम की स्थापना करने तथा उसका कुशल एवं लाभप्रद संचालन करने में सहायक होती हैं।

संपोषित क्रिया में वे क्रियाएँ सम्मिलित हैं जो उपक्रम के कुशल एवं लाभप्रद संचालन में सहायक होती हैं।

सहायक क्रिया में वे क्रियाएँ आती हैं जो उद्यमी को उपक्रम की स्थापना करने तथा उसका कुशल एवं लाभप्रद संचालन करने में सहायक होती हैं।

टी. वी. राव ने उद्यमिता विकास के लिए अवबोधक घटकों, वैयकिक संसाधनों तथा भौतिक सधनों की स्थापना के साथ-साथ साहसिक मनोवृत्तियों को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना है।

उद्यमिता के जन्म एवं विकास में अनुकूल आर्थिक परिस्थितियाँ ही सर्वाधिक योगदान देती है। इन परिस्थितियों में से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं-

उपभोक्ताओं के पास क्रय शक्ति हो।

उत्पादन के संसाधनों का उचित मूल्य पर आसानी से उपलब्ध होना।

सरकार की औद्योगिक नीति, आयात-निर्यात, कर नीति आदि सकारात्मक हों।

सरकार द्वारा उद्योगों एवं व्यवसायों के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करना।

अल्बर्ट रोपेरो का मानना है कि उद्यमिता के विकास के लिए लोगों में स्थिति पर नियन्त्रण स्थापित करने की क्षमता होनी चाहिए।

थॉमस कोक्रान की विचारधारा भी समाजशास्त्रीय विचारधारा है। उन्होंने कहा कि उद्यमिता का विकास सामाजिक मूल्यों तथा व्यक्ति से समाज की अपेक्षाओं से प्रभावित होता है।

अर्थव्यवस्था की सकारात्मक दशाओं एवं अनुकूल उपलब्ध आर्थिक अवसरों का अधिकतम उपयोग के उद्देश्य से व्यक्ति औद्योगिक एवं उद्यमी क्षेत्र में प्रवेश करते हैं।

जी. एफ. पेपनेक एवं जे. आर. हेरिस आर्थिक मॉडल्स के प्रमुख विचारक हैं।

बी. एफ. हॉसलिजका ने औद्योगिक उद्यमिता का विकास केवल ऐसे समाज में ही सम्भव होता है जहाँ सामाजिक प्रक्रियाएँ स्थिर नहीं होती हैं।

यंग की विचारधारा समाज में परिवर्तन की विचारधारा है।

थॉमस कोक्रेन की विचारधारा का मुख्य तत्व सामाजिक स्वीकृति, भूमिका, आकाक्षाएँ एवं सांस्कृतिक मूल्य ही हैं।

शुम्पीटर के अनुसार उद्यमी कोई तकनीकी व्यक्ति अथवा पूँजीपति नहीं हैं, वरन् वह एक 'नवप्रवर्तक' है।

बेवर, हॉसलिज, कोक्रेन एवं यंग आदि प्रमुख विचारकों ने अलग-अलग सामाजिक मान्यताओं पर प्रतिरूपों का प्रतिपादन किया है।

जॉन कुन्केल के अनुसार उद्यमिता का विकास आर्थिक एवं सामाजिक प्रेरणाओं से प्रभावित होता है।

मैक्लीलैण्ड ने उद्यमिता की ओर अभिप्रेरित होने का मुख्य कारण नवयुवकों में उपलब्धि की भावना का वैचारिक उद्भव होना है।

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