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बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2754
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व - सरल प्रश्नोत्तर

रमरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

उद्यमिता को आर्थिक प्रगति का अग्रदूत कहा जाता है।

उद्यमिता के सृजनशील विचार में निर्धनता, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता का निवारण छिपा है।

उद्यमिता प्रत्येक अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रान्ति का आधार है।

भारत में उद्यमी प्रवृत्तियों के प्रोत्साहन के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जा रहा है।"

वैश्वीकरण के कारण आर्थिक व औद्योगिक क्षेत्र में चुनौतियाँ व अवसर बढ़ रहे हैं।

वर्तमान में देशों की अर्थव्यवस्था प्रबन्धकीय अर्थव्यवस्था से साहसिक (उद्यमी) अर्थव्यवस्था में बदल रही है।

उद्यमिता के द्वारा राष्ट्रीय नैसर्गिक एवं आर्थिक संसाधनों को उत्पादन कार्यों में, नवीन तकनीक एवं नवप्रवर्तन के साहसिक निर्णयों द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं में नई उपयोगिता का सृजन किया जा रहा है।

जो व्यक्ति जोखिम वहन करते हैं उनको उद्यमी कहते हैं।

सामाजिक मनोविज्ञान एवं सैन्य अभियान्त्रिकी के क्षेत्र में उद्यमिता का प्रयोग प्राचीन काल से होता रहा है।

उद्यमिता / साहसिकता एक कार्यविधि एवं भावना का समन्वय है।

उद्यमशीलता, उद्यम, साहसिकता आदि शब्द उद्यमिता के पर्यायवाची के रूप में व्यक्त किए जाते हैं।

उद्यमिता मात्र जीविकोपार्जन की कार्यप्रणाली ही नहीं बल्कि कौशल एवं व्यक्तित्व विकास की प्रभावी तकनीक भी है। राष्ट्र का आर्थिक विकास एवं सामाजिक विकास उद्यमिता का ही सार्थक परिणाम होता है।

आर्थिक क्षेत्र में परम्परागत रूप में उद्यमिता का अर्थ व्यवसाय एवं उद्योग में निहित विभिन्न अनिश्चिताओं एवं जोखिम का सामना करने की योग्यता एवं प्रवृत्ति है।

उद्यमिता एक कौशल, दृष्टिकोण, चिन्तन, तकनीक एवं कार्यपद्धति है।

अल्फ्रेड नार्थ व्हाइटहैड के अनुसार, "महान समाज वह समाज होता है जिसमें सम्बन्धित व्यक्ति उद्यमिता का चिन्तन एवं व्यवहार करते हैं।

आधुनिक अर्थ में उद्यमिता का अर्थ गतिशील आर्थिक वातावरण में सृजनात्मक एवं नवप्रवर्तनकारी योजनाओं एवं विचारों को क्रियान्वित करने की योग्यता से है।

उद्यमी नवीन उपक्रम की स्थापना, नियंत्रण एवं निर्देशन करने के साथ-साथ परिवर्तन एवं नवप्रवर्तन भी करता है।

उद्यमिता से अधिक वित्तीय पुरस्कार प्राप्त होता है क्योंकि उद्यमी प्रयास एवं आय के बीच प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित करता है।

उद्यमिता में उद्यमी अपनी पसन्द व सुविधा के अनुसार स्वतंत्र होता है। व्यवसाय के परिपक्व हो जाने पर आर्थिक स्वतंत्रता भी आ जाती है।

आन्तरिक उद्यमशीलता संगठन के भीतर कर्मचारियों द्वारा उद्यमशीलता का व्यवहार होता है।

आन्तरिक उद्यमिता संगठन को लाभपूर्ण बताने का अच्छा तरीका है।

आन्तरिक उद्यमिता कर्मचारी उद्यमितापूर्ण विचार रखते हैं।

यह कम्पनियों के पुनः अनुसंधान का एक अच्छा तरीका है।

आन्तरिक उद्यमी को व्यवसाय इकाई का प्रधान बना दिया जाता है तथा नवकरणीय कौशल से संगठन का व्यवस्थापन करने के लिए कहा जाता है।

उद्यमिता में आगमन विधि एवं वैयक्तिक साहस निर्णय लिए जाते हैं।

उद्यमिता का लक्ष्य तथा उद्यम स्थापित करके नया उद्यम प्रारम्भ करना होता है।

उद्यमिता में उद्यमी को लाभ प्राप्त होता है।
उद्यमिता के बहुत से अन्तर परिवर्तनीय अर्थ निम्नवत् हैं
आर्थिक गतिविधियों के उद्भव का सिद्धान्त
आर्थिक विकास की सतत् प्रक्रिया व तत्व
सृजनशील गतिविधि या नवकरण कार्य
स्व-रोजगार एवं अतिरिक्त रोजगार
उत्पादन के संघटक
जोखिम घटक
आर्थिक गतिविधि के बारे में जागरुकता

भारत में उद्यमिता को शुरुआती इतिहास, संस्कृति व परम्पराएँ बताती हैं।

कटक की बलियात्रा उत्सव इसका मुख्य उदाहरण है।

उद्यमिता की प्रक्रिया समाज से गुजरती है जिसने व्यवसाय की सांस्कृतिक विरासत की भूमिका को स्वीकार किया है।

उद्यमिता के चार तत्व निम्नवत् हैं-

  • जोखिम सहना
  • ध्येय
  • कौशल संगठन
  • नवकरण

उद्यमी के लक्षण निम्नलिखित हैं-

  • स्थिति को अवसर में बदलने वाला,
  • स्वतन्त्रता की विशेष इच्छा व बेहतर करने की इच्छा,
  • नेतृत्व क्षमता, प्रतियोगी क्षमता तथा भाविष्योन्मुखी,
  • धैर्यवान व दृढ़ एवं श्रम करने हेतु तत्पर,
  • नवकरणीय, मध्यम जोखिम सहनकर्त्ता,
  • व्यक्ति जो उसका उद्यम विकसित व शुरू करता है।
  • उद्यमिता ज्ञान पर आधारित क्रिया है।

रचनात्मक चिन्तन सदैव सकारात्मक, मौलिक एवं व्यावहारिक विचारों का क्रियान्वयन करने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है।

नवप्रवर्तन अथवा नवकरण सुनियोजित, सुव्यवस्थित एवं सकारात्मक ढंग से किया जाता है।

उद्यमिता की प्रकृति रचनात्मक होती है।

उद्यमिता का मूल तत्व अनिश्चितताओं एवं जोखिमों को वहन करने की भावना एवं क्षमता है।

उद्यमी जोखिम उठाने वाला होता है न कि जोखिम से बचने वाला।

मैक्लीलैण्ड ने उद्यमिता को व्यक्ति का आकस्मिक व्यवहार मानकर इसे मनोवैज्ञानिक प्रेरणा माना है।

उद्यमिता की प्रवर्तन अवधारणा का प्रतिपादन 1934 में जोसेफ ए. शुम्पीटर द्वारा किया गया।

शुम्पीटर ने वातावरण को सृजनात्मक एवं नवप्रर्तनशील घटक माना है।

होसलित्ज ने प्रबन्धकीय कौशल को उद्यमिता का महत्वपूर्ण तत्व माना है।

प्रो. जे. एस. मिल ने उद्यमिता को निरीक्षण, नियत्रंण एवं निर्देशन की योग्यता माना है।

आधुनिक अर्थ में उद्यमिता का अर्थ गतिशील आर्थिक वातावरण में सृजनात्मक एवं नवप्रवर्तनकारी योजनाओं एवं विचारों को क्रियाविन्त करने की योग्यता है।

उद्यमी नवीन उपक्रम की स्थापना, नियत्रंण एवं निर्देशन करने के साथ-साथ परिवर्तन एवं नवप्रवर्तन भी करता है।

जोखिम उठाने की इच्छा, योग्यता तथा अनिश्चितता के विरुद्ध सफलता की सम्भावना प्रदान करने की शक्ति ही उद्यमिता की जोखिम अवधारणा है।

अनिश्चितताओं एवं जोखिम वहन करने वाले को ही उद्यमी कहा जाता है।

अनिश्चित जोखिम अथवा अनिश्चित वह है जिसका पूर्वानुमान एवं बीमा नहीं होता है।

उद्यमिता की संगठन व समन्वय अवधारणा परम्परागत विचार है।

संगठन अवधारणा के अनुसार उद्यमी को संगठनकर्ता के रूप में जाना जाता है।

समूह प्रतिक्रियाशीलता अवधारणा के अनुसार उद्यमिता एक वैयक्तिक योग्यता नहीं बल्कि सामाजिक एकात्मकता के लिए की जाने वाली प्रतिक्रियात्मक क्षमता है।

मनोवैज्ञानिक अवधारणा के अनुसार उच्च उपलब्धि प्राप्त करना ही उद्यमिता है जिसके लिए नवप्रवर्तन तथा जोखिमों में निर्णय लेने की क्षमता अपरिहार्य है।

आधुनिक अर्थ में उद्यमिता का अर्थ गतिशील आर्थिक वातावरण में सृजनात्मक एवं नवप्रवर्तनकारी योजनाओं एवं विचारों को क्रियान्वित करने की योग्यता है।

वर्ष 2002 का "Total Entrepreneurial Activity or TEA' सूचकांक यह स्पष्ट प्रकट करता है कि दुनिया में भारत का उद्यमिता विकास में दूसरा स्थान है।

उद्यमिता विकास में प्रथम स्थान थाइलैण्ड का है जहां का उद्यमिता विकास सूचकांक 18.9 प्रतिशत है। जबकि भारत का यह सूचकांक 17.9 प्रतिशत है।

उद्यमिता विकास में अमरीका का स्थान ग्यारहवाँ है जहाँ का सूचकांक 10.5 प्रतिशत है।

अमेरिका की 'ऑपिनियन रिसर्च काउन्सिल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 18 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं में से 58 प्रतिशत ने कहा कि अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने में उनकी रुचि है जबकि 36 से 64 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में से केवल 36 प्रतिशत लोगों की ही ऐसी रुचि है।

'न्यूजवीक' साप्ताहिक पत्रिका के एक सर्वेक्षण में सहस्राब्दि वर्ष (वर्ष 2000) में वयस्क हुए युवाओं से उनके हीरो का नाम पूछा गया तो उन्होंने बिल ग्रेटस का नाम लिया। पिछले 150 - 200 वर्षों में कई महान् उद्यमी एवं उद्योगपति हुए और विश्वभर का ध्यान अपने कार्यों की ओर खींचा।

अमरीका के रॉकफेलर, एन्ड्रयू कारनेगी, हैनरी फोर्ड, थॉमस वाटसन, रे क्रोक, भारत के जे. आर. डी. टाटा, जी.डी. बिड़ला, एस.एल. किर्लोस्कर आदित्य विक्रम बिड़ला, रतन टाटा, धीरूभाई अम्बानी आदि अनेक महान उद्यमी एवं उद्योगपति हुए हैं जिन्होंने विश्व में कई नवाचार किये।

वर्ष 2000 - 01 में भारत में सभी क्षेत्रों के पंजीकृत कारखानों की संख्या 1.31 लाख थी जिनमें लगभग 80 लाख लोगों को रोजगार प्राप्त था। इनमें कुल 3,99,605 करोड़ रु. की स्थायी सम्पतियाँ थीं। इनमें कुल उत्पादन 9,26,902 करोड़ रु. का हुआ था। वृहद स्तरीय उद्योगों के क्षेत्र में उद्यमिता का विकास निरन्तर जारी है। लाइसेन्सिंग व्यवस्था को बहुत ही सीमित उद्योगों के लिए लागू रखा गया है।

सन् 1991 से 2004 तक की अवधि में कुल 3966 औद्योगिक लाइसेन्स या लाइसेन्स के आशय पत्र जारी किये गये हैं। इनमें 1,11,841 करोड़ रु. का पूँजी निवेश प्रस्तावित था।

कुछ बड़े उद्यमियों को उद्योग प्रारम्भ करने से पूर्व औद्योगिक उद्यमी स्मरण पत्र सरकार को प्रस्तुत करना पड़ता है। उदारीकरण के दौर में सन् 1991 से 2004 के बीच कुल 55,335 औद्योगिक उद्यमी स्मरण पत्र प्रस्तुत किये गये थे जिनमें 13,75,152 करोड़ रु. के निर्देश का प्रस्ताव था तथा 107 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध होना था।

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