बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
उद्यमीय पर्यावरण घटक सम्बन्धित व्यवसाय के प्रबन्धक के नियंत्रण से बाहर होते हैं।
उद्यमीय पर्यावरण व्यवसाय को दिशा, आकार व ऊर्जा देता है।
उद्यमीय पर्यावरण घटक आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि होते हैं।
उद्यमीय पर्यावरण घटक गतिशील व जटिल होते हैं।
उद्यमीय पर्यावरण घटक भौतिक व तकनीकी हो सकते हैं।
उद्यमीय वातावरण से तात्पर्य वातावरण की उन गतिशील दशाओं, परिवर्तनों एवं घटकों से है जो उद्यमियों या भावी उद्यमियों के जन्म एवं विकास को प्रभावित करती है।
उद्यमीय वातावरण कभी स्थिर नहीं होता है।
उद्यमीय वातावरण बहुत व्यापक होता है।
यह आन्तरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार का होता है।
मानव अपने आन्तरिक वातावरण पर प्रायः नियंत्रण कर लेता है।
बाहरी वातावरण बहुत विस्तृत होता है जिसमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, वैधानिक, तकनीकी आदि सभी प्रकार के वातावरण सम्मिलित होते हैं।
प्रत्येक उद्यमी को इसी बाह्य वातावरण के अनुरूप अपने आपको ढालना होता है।
उद्यमी के कार्यक्षेत्र के अनुसार ही उसके वातावरण की एक भौगोलिक परिसीमा होती है।
उद्यमी अपने कार्यों या उपक्रम के लिए आवश्यक संसाधन वातावरण से प्राप्त करता है तथा उनसे उत्पन्न उत्पादों या सेवाओं को भी वह उसी वातावरण को देता है।
वातावरण में संसाधनों के विनिमय की प्रक्रिया निरन्तर रूप से चलती रहती है।
प्रत्येक उद्यमी वातावरण से सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करता है।
उद्यमी के लिए वातावरण में ही बाजार विद्यमान होता है।
उद्यमी का वातावरण उसे अनेक प्रकार के अवसर प्रदान करता है।
मानव अच्छे वातावरण की उपज है। उद्यमी भी मानव ही है। अतः उसे भी वातावरण के
अनुरूप ही परिवर्तन करना होता है।
वातावरण प्रत्येक उद्यमी के जीवन में जोखिम एवं अनिश्चिता उत्पन्न करता है।
उद्यमीय वातावरण को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
व्यष्टि या प्रत्यक्ष कार्य वातावरण तथा
समष्टि या अप्रत्यक्ष कार्य वातावरण
व्यष्टि वातावरण के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
विपणन मध्यस्थ,
प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति,
आपूर्तिकर्ताओं की उपलब्धि तथा उनकी नीतियाँ,
बाजार की स्थिति एवं आकार,
संभावित ग्राहक।
समष्टि पर्यावरण के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
प्राकृतिक वातावरण एवं घटक
आर्थिक वातावरण एवं घटक
वैधानिक वातावरण एवं घटक
सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण एवं घटक
जनांकिकी वातावरण एवं घटक
अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण एवं घटक
उद्यमिता के जन्म एवं विकास में आर्थिक एवं सामाजिक वातावरण का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है।
उद्यमिता के आर्थिक वातावरण का निर्माण उन सभी घटको एवं शक्तियों से होता है।
आर्थिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
देश की आर्थिक प्रणाली
अर्थचक्र की दशा या मूल्य स्तर या मुद्रा प्रसार की दर
अर्थव्यवस्था की संरचना
प्रतिस्पर्द्धा संस्थाएँ
प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता
श्रमशक्ति एवं श्रम संघ
पूँजी निर्माण एवं पूँजी निवेश
सामाजिक वातावरण से तात्पर्य उन परिस्थितियों, दशाओं, घटकों, मूल्यों, आस्थाओं, परम्पराओं, रीति-रिवाजों, जीवन शैली से है जो किसी समाज में किसी समय विशेष पर विद्यमान होते हैं तथा स्वीकार किए जाते हैं।
सामाजिक वातावरण के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
उद्यमियों के प्रति दृष्टिकोण
जनसंख्या का विस्तार तथा विशेषताएँ
जनता का दायित्व बोध
कार्य के प्रति धारणा
धार्मिक आस्थाएँ
समाज में लिंगभेद, वर्ण या रंगभेद की स्थिति,
समाज में वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान की स्थिति।
व्यावसायिक पर्यावरण के तत्व निम्नलिखित हो सकते हैं-
आर्थिक तत्व - आर्थिक घटनाएँ, आर्थिक नीतियाँ, मांग, पूर्ति, विनियोग, निर्यात-आयात, मौद्रिक नीति, आर्थिक प्रणाली आदि।
सामाजिक व सांस्कृतिक तत्व - सामाजिक मूल्य, प्रथाएँ, धारणाएँ सामाजिक व्यवस्था, धर्म आदि।
राजनीतिक व शासकीय तत्व - राजनीतिक व शासकीय व्यवस्था आदि।
भौगोलिक व पारिस्थितिक तत्व - प्राकृतिक संसाधन, जलवायु, स्थलाकृति, पर्यावरण आदि।
विज्ञान व प्रौद्योगिकीय तत्व - वैज्ञानिक शोध, प्रौद्योगिकी विकास, आदि।
वैधानिक व न्यायिक तत्व - न्याय व्यवस्था, व्यावसायिक, औद्योगिक व श्रम कानून आदि।
सामाजिक पर्यावरण में सामाजिक - सांस्कृतिक मान्यताएँ सम्मिलित हैं।
व्यक्ति के प्रति आदर सामाजिक वातावरण का मुख्य भाग है।
उद्यम समाज का एक अंग है, वह सामाजिक पर्यावरण एवं समाज की मान्यताओं, मूल्यों, धारणाओं, परम्पराओं से प्रभावित होता है।
उद्यम की कार्यप्रणाली अनेक सामाजिक घटकों से संचालित होती है।
उद्यम का समाजशास्त्रीय वातावरण दो भागों से मिलकर बना होता है आन्तरिक और बाह्य उपक्रम का आन्तरिक समाजशास्त्रीय वातावरण कर्मचारियों के दृष्टिकोण, विश्वासों, अन्तर्व्यवहारों, चिन्तनशील पारम्परिक सम्बन्धों की अन्तर्क्रियाओं से निर्मित होता है।
उपक्रम का बाह्य समाजशास्त्रीय वातावरण समाज की मूल्य-प्रणाली, सम्बन्ध, प्रारूपों, धारणाओं, सामाजिक मान्यताओं आदि का योग है।
उद्यम का अस्तित्व एवं संचालन समाजशास्त्रीय पृष्ठभूमि पर आधारित होता है।
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