बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखेसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
आयकर विभाग के प्रशासन एवं प्रबन्ध हेतु आयकर अधिनियम में विभिन्न प्रकार के प्राधिकारियों की व्यवस्था की गई है।
आयकर अधिनियम में विभिन्न प्रकार के पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। जिससे आयकर विभाग के कार्य को सफलता पूर्वक संचालित किया जा सके।
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड आय कर विभाग का सर्वोच्च पदाधिकारी है जो भारत सरकार के वित्त मन्त्रालय के अन्तर्गत कार्य करता है। आयकर अधिनियम के उचित रूप से कार्यन्वित करने के लिए इसे आवश्यक नियम बनाने तथा आयकर विभाग के प्राधिकारियों को आदेश व निर्देश देने का अधिकार प्राप्त है।
महानिदेशक मुख्य आयुक्त या आयुक्त प्रत्यक्ष करों के केन्द्रीय बोर्ड के अधीन होते हैं और इन्हें बोर्ड के आदेशों, निर्देशों एवं सुझावों के अनुसार कार्य करना पड़ता है। ये प्रशासनिक पदाधिकारी होते हैं।
सहायक कमिश्नर कर निर्धारक होते हैं। किन्तु उप-कमिश्नर को भी कर निर्धारण का कार्य करने का आदेश दिया जा सकता है।
आयकर निरीक्षकों की नियुक्ति कर निर्धारण अधिकारियों की सहायता के लिये की जाती है। ये कर निर्धारण अधिकारियों के आदेशों तथा निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं।
उप-आयुक्त, सहायक निर्देशक तथा कर निर्धारण अधिकारी (आयकर अधिकारी सहित) के अधिकार एवं कार्य लगभग समान है। 1-4-1988 से 'कर निर्धारण अधिकारी' के नये पद का सृजन किया गया है।
सहायक आयुक्त कर निर्धारण अधिकारी होते हैं। परन्तु उप-आयुक्त को भी कर- निर्धारण का कार्य करने का निर्देश दिया जा सकता है।
आयकर कमिशनर (अपील) तथा उप कमिश्नर (अपील) न्यायिक अधिकारी माने जाते हैं। कर निर्धारण अधिकारियों की सहायता के लिए आय कर निरीक्षक होते हैं जो इनके निर्देशानुसार कार्य करते हैं।
आयकर आयुक्त (अपील) तथा उप-आयुक्त (अपील) को किसी मुकदमें की सुनवाई हेतु वे सब अधिकार होते हैं जो एक न्यायालय को होते हैं। सामान्यतया ये न्यायायिक अधिकारी माने जाते है।
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