बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखेसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
जब आय का भुगतान करने वाला व्यक्ति आय का भुगतान करते समय या प्राप्तकर्त्ता के खाते में उस आय को जमा करते समय निर्धारित दर से आय पर कर की कटौती करता है तो इसे उद्गम स्थान पर कर की कटौती कहते हैं।
कर की चोरी को रोकने के लिये स्त्रोत पर कर की कटौती की जाती है।
आय का भुगतान करते समय स्रोत पर कर की कटौती की जाती है।
आय कर अधिनियम में भिन्न भिन्न भुगतानों के लिए उद्गम स्थान पर आयकर की कटौती की अलग-अलग दरें निर्धारित हैं।
उद्गम स्थान पर की कटौती करने वाले को कर की कटौती की राशि भुगतान प्राप्तकर्ता के नाम से सरकारी कोष में जमा करानी चाहिए अन्यथा वह दोषी होगा।
उद्गम स्थान पर कर की कटौती करने वाले का यह कर्तव्य है कि वह निर्धारित समय के अन्दर कटौती की गई आय-कर की राशि तथा संगृहीत कर को सरकारी खजाने में या सरकार के खाते में जमा करा दे अन्यथा वह दोषी माना जायेगा और उसे कारावास तथा जुर्माना हो सकता है।
जो व्यक्ति भुगतान करता है तथा स्रोत पर कर की कटौती करता है, किन्तु उसे सरकारी कोष में जमा नहीं करता है तो उसको चूक में करदाता माना जाता है।
कर की कटौती अधिक होने पर करदाता को अधिक कर काटे जाने वाली राशि वापस की जाती है।
जब करदाता द्वारा देय कर की राशि कम से कम 10,000 हो तभी करदाता अग्रिम कर चुकाने के लिये उत्तरदायी है।
करदाता पर कर निर्धारण की प्रक्रिया उसके द्वारा अपनी आय का विवरण दाखिल करने के साथ प्रारम्भ होती है तथा देय आय-कर के माँग की सूचना जारी होने तक चलती है। कर निर्धारण निम्न प्रकार के होते हैं-
(i) स्वयं कर निर्धारण
(ii) नियमित कर निर्धारण
(iii) सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण
(iv) पुन: कर निर्धारण
यदि कर-निर्धारण या पुनः कर निर्धारण के पश्चात् किसी कर निर्धारण अधिकारी को ऐसी जानकारी होती है कि कर निर्धारण या अपने आदेश में कोई भूल या त्रुटि है, तो वह निर्धारित समय-सीमा के अन्दर भूल का सुधार करके अपने पूर्व के कर निर्धारण आदेश को संशोधित कर सकता है।
प्रत्येक व्यक्ति द्वारा जिनकी आय कर मुक्त सीमा से अधिक है, निर्धारित फार्म पर हस्ताक्षर करके तरीके से सत्यापित करके उचित निर्धारित तिथि तक आय का विवरण आय-कर कार्यालय में जमा करना चाहिए।
करदाता को अपील करने का अधिकार, अनिवार्य एंव विवेकीय दोनों प्रकार के सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण के विरुद्ध प्राप्त है।
पुनः कर निर्धारण तब किया जाता है जब कर निर्धारण अधिकारी को यह विश्वास हो जाये कि करदाता द्वारा दर्शायी गई आय कम है या कटौती की माँग अधिक है।
स्थायी खाता संख्या आयकर विभाग द्वारा करदाताओं को 10 अंकों में आवंटित की जाती है।
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