बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखेसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
कुल आय ज्ञात करने के लिए किसी भी करदाता की सकल आय ज्ञात करना आवश्यक है।
सकल आय ज्ञात करने के लिए सभी पाँचों शीर्षकों की आयों को जोड़ा जाता हैं। इस योग को कुल आय कहते हैं। सकल कुल आय में मानी गई आयें भी शामिल होती हैं।
सकल कुल आय में से धारा 80 C से 80 U तक की कटौतियों को नियमानुसार घटाते है। शेष कुल आय या करयोग्य आय कहलाती हैं।
कुल आय ज्ञात करने के पश्चात उसे 10 के गुणांक में पूर्णाकिंत किया जाता है।
हिन्दू अविभाजित परिवार तथा फर्म की सदस्यता से प्राप्त हिस्सा कुल आय में सम्मिलित नहीं किया जाता है।
साझेदारी फर्म से आय का भाग भी कुल आय में शामिल नहीं किया जायेगा।
साझेदारी फर्म से प्राप्त वेतन, ब्याज बोनस आदि व्यक्ति की कुल आय में (व्यापार एवं पेशे शीर्षक में) शामिल किया जायेगा।
करदाता की शुद्ध कर-योग्य आय पर ही आय-कर लगाया जाता है।
कर-निर्धारण वर्ष 2015-16 के लिए सरचार्ज 10% की दर से उन करदाताओं पर लगाया जायेगा जिनकी कुल आय 1 करोड़ से अधिक है। परन्तु सरचार्ज लगाते समय सीमान्त राहत का ध्यान रखा जायेगा|
घरेलू कम्पनी के लिये तथा विदेशी कम्पनी के लिए तथा विदेशी कम्पनी के लिए सरचार्ज 10% होगा यदि उसकी आय 1 करोड़ से अधिक हो
धारा 111A के अन्तर्गत आने वाले अल्पकालीन पूँजी लाभों पर 15% की दर से कर लगाया जायेगा।
दीर्घकालीन पूँजी लाभ पर 20% की दर से कर लगाया जायेगा।
आकस्मिक आयों पर 30% की दर से कर लगाया जायेगा।
सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज पर कर 5% की दर से लगाया जायेगा।
कर के अलावा उस पर 2% शिक्षा उपकर तथा 1% माध्यमिक उच्च शिक्षा उपकर लगाया जायेगा।
यदि उद्गम के स्थान पर कोई कटौती की गई है तो उसे घटा दिया जायेगा। शेष राशि कर दायित्व होगा। जिसे 10 में समेकित किया जायेगा।
यदि दीर्घकालीन पूँजी लाभ को शामिल करते हुए कुल आय कर मुक्त सीमा से अधिक नहीं हो तो दीर्घकालीन पूँजी लाभ की राशि कर मुक्त कर दी जाती है तो राशि पर कोई आय कर नहीं लिया जायेगा।
धारा 115 BB के अन्तर्गत लाटरी, घुड़दौड़, वर्ग पहेली, ताश के खेल, जुए या शर्त की प्रवृत्ति के खेलों से प्राप्त आय जिन्हें आकस्मिक आय कहा जाता है। ऐसी आयों की राशि पर अनवार्य रूप से 30% की दर से आय कर चुकाना ही पड़ता है भले ही इन्हें शामिल करते हुए कुल आय, कर-मुक्त सीमा के बराबर अथवा कम क्यों न हो।
यदि किसी व्यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपए से अधिक नहीं है तो धारा 87A के अन्तर्गत देय आय कर या 2,000 रुपये जो भी दोनों में कम हो के बराबर राशि की आय-कर में कटौती मिलेंगी।
चूँकि समायोजित कुल आय 20 लाख रुपए से अधिक नहीं है, इसलिए वैकल्पिक न्यूनतम कर का प्रावधान लागू नहीं होगा।
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