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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2751
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भय एवं आक्रामकता संवेग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

भय एवं आक्रामकता संवेग

भय एवं आक्रामकता संवेग एक ऐसा संवेग है जो हर उम्र के मनुष्यों को कभी न कभी महसूस होता है। न केवल मनुष्यों को बल्कि पशु, पक्षी, जानवरों सभी को अनुभव होता है। भय वह आन्तरिक अनुभूति है जिसमें व्यक्ति किसी असामान्य अथवा खतरनाक परिस्थिति से दूर हटने का प्रयास करता है। भय की अवस्था में व्यक्ति के शारीरिक हाव-भाव में प्रत्यक्ष रूप से परिवर्तन दिखाई देता है।

उदाहरणार्थ - आँखों का फैल जाना, कपकपाना, रोंगटे खड़े हो जाना, धड़कनों का बढ़ जाना या मन्द पड़ जाना, रक्तचाप बढ़ जाना, यह जरूरी नहीं है कि भय की अवस्था में हर व्यक्ति की अभिव्यक्ति एक समान हो बल्कि अलग-अलग होती है। कुछ व्यक्तियों में अधिक व कुछ में कम मात्रा में परिवर्तन होते हैं। अभिव्यक्ति भय की तीव्रता पर भी निर्भर करती है। कई बार ऐसा भी पाया जाता है कि व्यक्ति अपने भय को छिपाने के लिए अन्य संवेगों जैसे क्रोध को प्रदर्शित करने लगते हैं। या भय को हटाने के लिए उसकी उपेक्षा करने लगते हैं। बालक से लेकर वृद्ध तक को भय का अनुभव होता है परन्तु उसकी प्रतिक्रिया करने की तीव्रता उम्र के साथ-साथ कम होने लगती है क्योंकि अनुभवों के कारण व्यक्ति परिस्थितियों से सामना करने योग्य हो जाता है, भय की अवस्था में व्यक्ति अपने को बचाने के लिए शरण ढूंढता है। जैसे बच्चा अपनी माँ का सहारा ढूँढने लगता है, छोटे बच्चे बड़ी उम्र के व्यक्ति के पास भागने लगते हैं। कमजोर व्यक्ति बहादुर, निडर या ताकतवर व्यक्ति का सहारा लेता है

भय को प्रभावित करने वाले कारक तत्व - आयु, बौद्धिक विकास, अधिगम, लिंग, सामाजिक-आर्थिक स्तर। अनुभव, सुरक्षा, व्यक्ति की शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक अवस्था।

भय की अवस्था में शारीरिक एवं व्यवहारिक परिवर्तन

(i) आँखों की पुतलियों का फैल जाना।
(ii) हृदय एवं रक्तचाप का बढ़ जाना।
(iii) मुखमंडल के प्रकाश में अन्तर।
(iv) स्वर में कम्पन, हकलाना, घबराहट।
(v) भय की अवस्था में व्यक्ति का शरीर सिकुड़ जाता है।
(vi) भय की अवस्था में शरीर में एवं मुख्यतः चेहरे पर पसीना आना।
(vii) रोंगटों का खड़े हो जाना।

भय होने का कारण

(i) अचानक से होने वाली घटनायें।
(ii) भय लगने वाली परिस्थिति, चीजों या व्यक्ति का सामना होने पर।
(iii) अति तीव्र ध्वनि (अकस्मात सुनाई देने वाली )
(iv) खतरनाक पशु, स्थान, वस्तुएँ, अँधेरे स्थान, ऊँचे स्थान से भय।
(v) फोबिया
(vi) पूर्व में घटित दुर्घटनाओं को याद करने पर।

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