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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2751
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आक्रामकता के निर्धारक क्या हैं? वर्णन कीजिए।

उत्तर-

आक्रामकता एवं हिंसा एक ऐसा व्यवहार है जो मनुष्य तथा पशुओं दोनों में पाया जाता है। अतः आक्रामक व्यवहार एक सार्वजनिक घटना है। आक्रामकता ऐसी अनुक्रिया है जो दूसरे प्राणी को एक अनिष्ठकर उद्दीपन प्रदान करता है। यह एक ऐसा संप्रत्यय है जिसे सही-सही जाना या मापा नहीं जा सकता है। इसे भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया है- 

"आक्रामकता ऐसी अनुक्रिया है जो दूसरे प्राणी को एक अनिष्ठकर उद्दीपन प्रदान करता है।'   -बस 1961

"आक्रामकता व्यवहार उस व्यवहार को कहा जाता है जो दूसरों को सिर्फ हानि या क्षति ही नहीं पहुँचाता है, बल्कि हानि या क्षति पहुँचाने का उद्देश्य भी रखता है।"   -वरकाविंज 1975

"आक्रामकता एक ऐसा शारीरिक या शाब्दिक व्यवहार होता है जिनका उद्देश्य दूसरों को चोट पहुँचाना होता है।"   -मेयर्स 1988

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि आक्रमक व्यवहार से तात्पर्य ऐसे व्यवहार से होता है जो किसी दूसरे व्यक्ति को हानि या क्षति पहुँचाने के लिए किया जाता है।

आक्रामकता के निर्धारक
(Determinats of Agression)

मनोवैज्ञानिको ने कुछ ऐसे निर्धारकों की पहचान की है जिसके आधार पर व्यक्ति द्वारा आक्रामकव्यवहार करने की संभावना में वृद्धि हो जाती है-

1. उत्तेजक स्तर (Level of Arousal) - मनोवैज्ञानिकों के प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि उत्तेजन स्तर व्यक्ति में आक्रामकता उत्पन्न करता है। अध्ययनों से यह पता चला है कि उत्तेजन के विभिन्न स्त्रोत जिनका आक्रामकता से सामान्यतः कोई सम्बन्ध नहीं होता है, विशेष परिस्थितियों में आक्रामकता उत्पन्न करते हैं। इनमें शारीरिक व्यायाम, कुछ प्रकार के चलचित्र, लैंगिक रूप से उत्तेजक चित्र, कोलाहल आदि प्रधान है। जिलमैन तथा उनके सहयोगियों के अनुसार एक क्रोधित व्यक्ति यदि किसी श्रोत द्वारा और अधिक उत्तेजित हो जाता है तो वह अपने अतिरिक्त उत्तेजन को क्रोध के रूप में वर्गीकृत करता है। इस त्रुटिपूर्ण वर्गीकरण के कारण वह पहले से अधिक आक्रामकता महसूस करेगा और पहले से अधिक आक्रामक व्यवहार उत्पन्न करेगा।

2. कुंठित करने वाला व्यवहार का उद्देश्य - आक्रामकता का एक कारण कुंठा हैं। अध्ययनों से यह पता चला है कि कुंठा व्यक्ति में आक्रामकता तभी उत्पन्न करेगा जब कुंठा का मुख्य उद्देश्य आक्रामकता उत्पन्न करना होगा परन्तु यदि कुंठित व्यवहार का उद्देश्य विदित होता है तो उस समय व्यक्ति में आक्रामकता उत्पन्न नहीं होती है। जैसे - आपके जन्म दिन पार्टी में आपका सबसे मुख्य मेहमान यदि तीन घंटे देर से आते है और देर होने के कारण कुछ विशेष न बताकर यूँ ही कहकर रह जाते हैं तो उनके इस व्यवहार से आप में कुंठा अधिक उत्पन्न होती है और आपमें उनके प्रति आक्रामकता उत्पन्न होगी। परन्तु यदि मेहमान यह बतलाते है कि उनके विलंब का कारण उनके कार के इंजन में खराबी थी तो उनके विलंब होने से आप में कुठा की मात्रा भी कम हो जाती है तथा साथ ही साथ आक्रामकता भी। अध्ययन के परिणाम से यह स्पष्ट हो जाता है कि कुंठा उत्पन्न करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य एक महत्वपूर्ण कारक है जो यह निर्धारित करता है कि हम आक्रामक व्यवहार करेंगे या नहीं करेंगे।

3. वातावरण में उपस्थित संकेत - समाज मनोवैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट किया है कि वातावरण में उपस्थित आक्रामकता के संकेत आक्रामकता के संकेत आक्रामकता को उत्पन्न करने में तथा उसे तीव्र बनाने में काफी मदद करते हैं। इन लोगों ने ऐसे संकेतों में हथियार की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण निर्धारक बताया है जिससे आक्रामकता में वृद्धि होती है। इसे हथियार प्रभाव की संज्ञा दी जाती है। इस तथ्य की प्रारम्भिक सत्यता की जाँच बर्कोविट्ज एवं लीपेज ने एक प्रयोग में किया जिससे यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि वातावरण में उपस्थित संकेत से आक्रामकता में वृद्धि होती है।

4. पीड़ित व्यक्ति का कष्ट संकेत - आक्रामकता में हम लक्ष्य व्यक्ति या पीड़ित व्यक्ति को क्षति पहुँचाते या कष्ट पहुँचाते है। कुछ समाज मनोवैज्ञानिकों जैसे वैण्डुरा (1973) के अनुसार कि पीड़ित व्यक्ति में कष्ट संकेतों को देखकर आक्रामक व्यवहार करने वाले व्यक्ति अपनी आक्रामकता में कमी कर देते है क्योंकि इन संकेतों से उनमें दोष का भाव उत्पन्न होने लगता है।

5. आक्रमकता के संकेत के रूप में व्यक्ति - समाज मनोवैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि सिर्फ हथियार ही आक्रामकता का प्रभावकारी निर्धारक नहीं होता बल्कि ऐसे व्यक्ति भी आक्रामकता के लिए प्रभावकारी होते है जो किसी-न-किसी ढंग से आक्रामकता से सम्बन्धित होते है। वार्कोविट्ज एवं उनके सहयोगियों 1967 को मत है कि व्यक्ति का नाम, चेहरा, व्यवसाय एवं उनके अन्य वस्तुएँ यदि किसी प्रकार से आक्रामकता से सम्बन्धित होते है तो ऐसी परिस्थिति में ये सभी आक्रामकता के संकेतों के रूप में आक्रामकता व्यवहार करने की प्रेरणा देता है।

6. मदिरा एवं मादक औषधियों का प्रभाव - टेलर तथा उनके सहयोगियों ने कई प्रयोग किये है जिनमें आक्रामकता पर अल्कोहल तथा मैरीजुआना का अध्ययन किया गया। जिसमें कुछ प्रयोज्यों को अल्कोहल तथा कुछ प्रयोज्यों को मैरीजुआना दिया गया। परिणाम में यह पाया गया कि नशा न करने वाले व्यक्तियों की अपेक्षा अल्कोहल तथा मैरीजुआना लेने वाले व्यक्तियों में आक्रामकता अधिक होती है।

7. तापमान एवं कोलाहल - समाज मनोवैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे अध्ययन किये हैं, जिनके आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि भौतिक वातावरण भी आक्रमकता की वृद्धि करता है। भौतिक वातावरण में तापमान तथा कोलाहल जैसे चरो के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। जिसमें पाया गया कि तापमान में वृद्धि होने से व्यक्ति के आक्रमकता में भी वृद्धि होती है।

कोलाहल के प्रभाव का भी अध्ययन समाज मनोवैज्ञानिकों ने किया है। उच्चस्तरीय कोलाहल से व्यक्ति में आक्रमकता में वृद्धि हो जाती है बशर्ते कि ऐसे व्यक्ति को कोलाहल में रखने से पहले किसी तरह से क्रोधित कर दिया गया हो या उसे उत्तेजित कर दिया गया हो। कहने का तात्पर्य यह है कि कोलाहल व्यक्ति में तभी आक्रामकता उत्पन्न करता है जब व्यक्ति पहले से उत्तेजित हो।

8. अवैयक्तिकता - अवैयक्तिकता एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति की पहचान छिपी होती है। अवैयक्तिकता से व्यक्ति में आत्मचेतना कम हो जाती है तथा नकारात्मक मूल्यांकन का डर समाप्त हो जाता है। परिणामस्वरूप, व्यक्ति आवेगशील, समाज विरोधी एवं आक्रामक व्यवहार अधिक करता है।

9. प्रत्यक्ष छेड़-छाड़ - कई ऐसे प्रत्यक्ष परिणाम प्राप्त हुए है। जिनसे यह स्पष्ट होता है, कि बच्चों तथा वयस्कों दोनों में प्रत्यक्षतः छेड़-छाड़ करने से भी उनमें आक्रामकता बढ़ जाती है। ग्रीन (1968) ने अपने अध्ययनों में यह पाया कि यदि व्यक्तियों पर शाब्दिक रूप से आक्रमण किया जाता है तो इससे उनमे ऐसे आक्रमण करने वाले व्यक्ति के प्रति आक्रामकता उस परिस्थिति की तुलना में बढ़ जाती है, जिसमें उन्हें सिर्फ कुंठित किया गया हो।

10. व्यक्तित्व कारक - आक्रामकता की व्याख्या कुछ लोगों ने व्यक्तित्व कारकों के रूप में किया है। मेगारगी द्वारा किये गये अध्ययनों से यह स्पष्ट हो जाता है कि एक खास तरह का व्यक्तित्व ही होता है जो प्रायः आक्रामक व्यवहार किया करता है जिसे अधोनियंत्रित आक्रामक की संज्ञा दी गयी है।

स्पष्ट हुआ है कि आक्रामक के कई निर्धारक होते है इससे आक्रामक व्यवहार क्यों होता है? इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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