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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2751
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- तनावपूर्ण घटनाओं के सन्दर्भ में लाजारूस माडल का वर्णन कीजिये। लाजारूस तथा फोकमैन के मूल्यांकन सम्बन्धी दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लाजारूस द्वारा प्रतिपादित स्वास्थ्य माडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
2. प्रतिबल की अनुभूति में गौण मूल्यांकन का महत्व स्पष्ट कीजिये।
3. लेजारस प्रतिबल प्रतिरूप की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-

लाजारूस (Lazarus) के अनुसार - तनावपूर्ण घटनाओं की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण यह है कि व्यक्ति तनावपूर्ण घटना को किस प्रकार अर्थ प्रदान करता है और उसकी व्याख्या करता है। उसके विचार से तनाव को न तो वातावरणीय घटना परिभाषित करती है न ही व्यक्ति का प्रत्युत्तर ही उसे परिभाषित करता है बल्कि व्यक्ति अपनी मनोवैज्ञानिक स्थिति के अनुसार घटना का प्रत्यक्षीकरण करके उसकी जो व्याख्या करता है, उससे तनावपूर्ण घटना परिभाषित होती है। उसके प्रत्यक्षीकरण में प्रच्छन्न हानियाँ, चुनौतियाँ, धमकियाँ तथा उसकी घटना का प्रत्यक्षीकरण करने एवं सामना करने की योग्यता शामिल होती है। यही कारण है कि एक ही घटना किन्हीं दो व्यक्तियों को समान रूप से तनावग्रस्त नहीं करती है।

लाजारूस तथा फोकमान (Lazarus and Folkman, 1984) के अनुसार - "व्यक्ति पर तनाव का पड़ने वाला प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि वह उस घटना से प्राप्त धमकी, हानि, चुनौती की व्याख्या किस प्रकार करता है तथा उसमें उनका सामना करने की क्षमता कितनी है।'

इस परिभाषा की व्याख्या एक उदाहरण के द्वारा की जा सकती है। एक व्यक्ति जिसकी नौकरी छूट गयी है और उसके पास न तो बचाया हुआ धन है, न ही आय का कोई अन्य स्रोत है और दूसरी नौकरी प्राप्त करने की कोई आशा भी नहीं है । वह व्यक्ति उस व्यक्ति की तुलना में अधिक तनावग्रस्त होगा जिसकी यदि नौकरी छूट गयी है परन्तु उसके पास बचाया हुआ पर्याप्त धन है, आय के अन्य स्रोत हैं तथा शीघ्र ही नौकरी पुनः मिल जाने की आशा है। इस प्रकार स्पष्ट है कि लाजारूस के अनुसार जीवन की घटना तनाव उत्पन्न नहीं करती है बल्कि तनाव किसी व्यक्ति के घटना के प्रति दृष्टिकोण के कारण उत्पन्न होता है।

लाजारूस तथा फोकमान (1993) ने एक अन्य रूप में तनाव को परिभाषित किया है-

"तनाव का व्यक्ति एवं वातावरण के मध्य एक विशिष्ट सम्बन्ध है जो व्यक्ति द्वारा भार डालने वाला, अथवा उसके साधनों से बढ़ा हुआ होने वाला और उसके कल्याण के लिए खतरा बनने वाला मूल्यांकित किया जाता है।"

उपर्युक्त परिभाषा में तीन बातें स्पष्ट होती हैं-

1. यह परिभाषा परस्पर क्रिया या अन्तःक्रिया पर बल देती है।
2. इस अन्तः क्रिया की कुञ्जी व्यक्ति द्वारा स्थिति का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन है।
3. स्थिति चुनौती देने वाली, चेतावनी देने वाली तथा हानिकारक होनी चाहिये।

इस प्रकार स्पष्ट है कि लाजरूस एवं फोकमान ने घटना के बजाय व्यक्ति द्वारा घटना का मूल्यांकन तनाव के लिए उत्तरदायी माना है।

लाजारूस एवं फोकमान द्वारा प्रस्तुत मूल्यांकन की प्रक्रिया - लाजारूस एवं फोकमान ने तीन प्रकार के मूल्यांकनों का वर्णन किया है जो व्यक्ति प्रायः स्थिति की जाँच के लिए प्रयोग करते हैं। ये मूल्यांकन निम्नलिखित हैं-

1. प्राथमिक मूल्यांकन (Primary Appraisal) - प्राथमिक मूल्यांकन में व्यक्ति जब किसी घटना का पहली बार सामना करता है तो वह उस घटना का मूल्यांकन अपने हित में करता है। वह घटना का मूल्यांकन व्यर्थ (Irrelevant), हितकर- सकारात्मक (Beneficial - Positive) अथवा तनावपूर्ण (Tense) घटना के रूप में कर सकता है। व्यर्थ की घटनाओं में किसी अन्य देश में बाढ़ आना या भूकम्प आना, हितकर सकारात्मक घटनाओं में प्रोमोशन तथा तनावपूर्ण घटनाओं में नुकसानदेय, चेतावनी या चुनौतीपूर्ण घटनायें आती हैं। लाजारूस ने नुकसान की परिभाषा मनोवैज्ञानिक क्षति के रूप में दी है। चेतावनी नुकसान का पूर्वानुमान तथा चुनौती का वर्णन एक व्यक्ति के उस आत्मविश्वास के रूप में किया है जो उसमें कठिन मांगों का सामना करने में होता है।

2. माध्यमिक मूल्यांकन (Secondary Appraisal ) - लाजारूस के अनुसार एक व्यक्ति प्रारम्भिक मूल्यांकन में एक घटना के प्रति अपनी इस योग्यता के बारे में धारणा बना लेता है कि वह नुकसान तथा तथा चेतावनी का सामना कर पायेगा या नहीं। यदि सामना या नियन्त्रण कर सकेगा तो किस प्रकार कर पायेगा। इस मूल्यांकन को माध्यमिक मूल्यांकन कहा जाता है।

 

3. पुनर्मुल्यांकन (Reappraisal) - तीसरे प्रकार के मूल्यांकन समय एवं परिस्थितियों के अनुसार लगातार बदलते रहते हैं। यह परिवर्तन लगातार प्राप्त होने वाली नई-नई सूचनाओं के आधार पर होते हैं। पुर्नमूल्यांकन कभी-कभी तनाव को कम करता है और कभी-कभी तनाव को बढ़ा भी देता है। तनाव का घटना और बढ़ना पुर्नमूल्यांकन की प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। एक स्थिति जो पहले हितकर या व्यर्थ मूल्यांकित की जाती है वह पुर्नमूल्यांकन के बाद हानिकारक, चेतावनी देने वाली या चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

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