बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अपने आप से बात का क्या अर्थ है? खेल प्रदर्शन में इसका क्या योगदान है?
उत्तर-
स्वयं से बात करना (Self-talk) एक विशिष्ट प्रकार का संवाद है जब व्यक्ति संदेश भेजने वाला प्राप्तकर्ता भी होता है। स्वयं प्रश्न करता है और स्वयं ही उत्तर देता है। इस प्रकार के संवाद में किसी दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। स्वयं के साथ संवाद हमारे अवचेतन विचारों और हम जिस स्थिति में हैं उसकी सचेत धारणा से प्रभावित होती है। यह नकारात्मक या सकारात्मक हो सकती है जिसमें से प्रत्येक का हमारी भावनाओं पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा इसे आंतरिक और बाह्य रूप से व्यक्त किया जा सकता है।
नकारात्मक आत्मचर्चा - नकारात्मक आत्मचर्चा में व्यक्ति अपने आपको कमतर आँकने, स्वयं को दोष देने तथा किस्मत के सहारे रहने का प्रयास करता है। जैसे- पहले से हार मान लेना - एक खिलाड़ी यह धारणा बनाता है और अपने आप से कहता हैं कि यह मैच हम नहीं जीत सकते।
जल्दी निष्कर्ष निकालना - मैं इस शॉट को खेलने से चूक गया मैं एक अच्छा खिलाड़ी नहीं हूँ।
स्वयं को दोष देना - सारी परिस्थितियों के लिए मैं ही जिम्मेदार हूँ।
नकारात्मक आत्मचर्चा साधारणतः प्रदर्शन में बाधा डालती है। कुछ मामलों में नकारात्मक आत्मचर्चा प्रेरणा के रूप में कार्य करती है लेकिन यदि यह लम्बे समय तक बनी रहे तो रुकावट में बदल जाती है।
सकारात्मक आत्मचर्चा - सकारात्मक आत्मचर्चा को जीवन कौशल के रूप में लिया जाता है। इसके लिए अभ्यास व दृढ़ता की आवश्यकता होती है। जब एक खिलाड़ी इसका प्रयोग करता है तो उसे निम्न लाभ होते हैं-
(1) तनाव में कमी,
(2) आत्म-सम्मान में वृद्धि,
(3) अधिक आत्म-संतुष्ट,
(4) प्रेरणा का बढ़ना,
(5) सकारात्मक दृष्टिकोण।
शारीरिक शिक्षा व खेलों में स्वचर्चा के लाभों को नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि बेहतर परिणाम के लिए इसे सही तरीके, सही समय, सही मात्रा और सही परिप्रेक्ष्य में अपनाये जाने की आवश्यकता है।
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