बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अभिप्रेरणा का खेल प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
व्यक्ति के जीवन में अभिप्रेरणा का बहुत महत्व होता है। अभिप्रेरणा से प्रेरित होकर ही व्यक्ति किसी कार्य को मनोयोग से करता है। उसकी मूल आवश्यकताओं की पूर्ति भी अभिप्रेरणा से ही होती है। सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को रोचक, आनन्दप्रद तथा प्रभावशील बनाने के लिए अभिप्रेरकों की आवश्यकता होती है। शारीरिक शिक्षा तथा खेलों में भी अभिप्रेरकों का बहुत महत्व है। खिलाड़ी अभिप्रेरणा पाकर ही खेलों में रुचि लेते हैं तथा विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर उच्च स्थान प्राप्त करते हैं। खिलाड़ी पर निम्नलिखित अभिप्रेरकों का प्रभाव पड़ता है-
(1) बाहरी या वस्तुपरक अभिप्रेरणा का प्रभाव - बाहरी अभिप्रेरणा या वस्तुपरक अभिप्रेरणा से तात्पर्य है, किसी वस्तु को पाने की इच्छा चरम पर पहुँच जाना। वस्तु का आकर्षण अभिप्रेरक का कार्य करता है जैसे - खेल में ट्राफी, मैडल, प्रमाणपत्र आदि। खिलाड़ी किसी खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कठिन परिश्रम व अभ्यास करता है क्योंकि वह उच्च उपलब्धि, ख्याति और धन प्राप्त करना चाहता है जिसे वह प्राप्त करना चाहता है वही उसके लिए अभिप्रेरणा का काम करते हैं। इसलिए प्रदर्शन में बाह्य प्रेरकों के महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
(2) प्रोत्साहन का प्रभाव - किसी खिलाड़ी के बेहतर प्रदर्शन के लिए उसके अध्यापक, प्रशिक्षक, परिवार के सदस्य, दोस्त सदैव प्रोत्साहित करते हैं। यह हमेशा छात्र (खिलाड़ी) से कहते रहते हैं कि ऐसा करना सम्भव है आप ऐसा कर सकते हैं। इससे खिलाड़ी में आत्मविश्वास दृढ़ हो जाता है। वह पूरे मनोयोग से लक्ष्य की ओर अग्रसर हो जाता है तथा आशा के अनुरूप प्रदर्शन करने में सफल होता है।
(3) आन्तरिक या व्यक्तिपरक अभिप्रेरणा का प्रभाव - आन्तरिक प्रेरणा से प्रेरित होकर व्यक्ति खेल में आत्म- आनन्द की प्राप्ति करता है। खेलों में आन्तरिक अभिप्रेरणा से अधिक जा सकता है। शारीरिक शिक्षक / प्रशिक्षक यदि चाहे तो इस आनन्दभाव को बेहतर परिणाम की ओर मोड़ सकता है। यदि कोई खिलाड़ी आन्तरिक अभिप्रेरणा से प्रेरित होकर खेलों में भाग लेता है, तो उसका मानसिक सन्तुलन स्थिर रहता है अर्थात् वह न जीत से अधिक उत्साहित और न ही हार से हतोत्साहित होता है। वह हर परिस्थिति में अपने को नियंत्रित रखता है जिससे खिलाड़ी में स्वस्थ व्यक्तित्व का विकास होता है।
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