बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शारीरिक शिक्षा में अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले तत्वों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
शारीरिक शिक्षा के विकास तथा छात्रों में खेलों के प्रति रुचि बनाये रखने के लिए अभिप्रेरणा का होना अनिवार्य है, परन्तु 'अभिप्रेरणा' का हमेशा प्रभाव नहीं पड़ता। कई बार अभिप्रेरणा का उन पर प्रभाव ही नहीं होता। इसी प्रकार विभिन्न अभिप्रेरणाओं के प्रति सब विद्यार्थियों की एक जैसी प्रतिक्रिया नहीं होती। वस्तुतः अभिप्रेरणाओं को प्रभावशाली या प्रभावविहीन बनाने में कई तत्वों का हाथ रहता है। इनमें से प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-
(1) परिवार का प्रभाव - वातावरण के साथ कुटुम्ब अथवा परिवार का प्रभाव व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता का बालक के प्रति व्यवहार तथा माता-पिता का पारिवारिक व्यवहार बालक के विकासोन्मुख व्यक्तित्व पर छाप छोड़ते हैं। यदि बालक को परिवार में सुरक्षा और स्वतंत्रता का वातावरण मिलता है तो उसमें साहस, स्वतंत्रता तथा आत्मनिर्भरता आदि गुणों का विकास होता है। यदि बालक के साथ कठोरता का व्यवहार अथवा उसे छोटी-छोटी बातों पर डाँटा जाता है तो वह भीरू, कमजोर, झूठ बोलना एवं संकीर्ण मानसिकता का हो जाता है। उक्त क्रिया-कलापों से उसके व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
(2) सामाजिक वातावरण का प्रभाव - बालक जब जन्म लेता है तो उसे बोलने चालने, खाने- पीने का ज्ञान नहीं होता है। उसे किसके साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए ? तथा आदर्श क्या है? इन सबका पता नहीं रहता है। किन्तु सामाजिक वातावरण के सम्पर्क में रहकर वह धीरे-धीरे सब कुछ सीख जाता है। उसे अपनी भाषा, रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल, व्यवहार, आचार-विचार, संस्कार एवं धर्म का ज्ञान समाज से प्राप्त होता है। इस तरह समाज में ही उसके व्यक्तित्व का विकास होता है।
(3) विद्यालय का प्रभाव - विद्यालय में शिक्षक आदरणीय व आदर्श भी होता है। जो बालक के व्यक्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए शिक्षक द्वारा विद्यालय कार्यक्रम करते समय बालकों की रुचियों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। अध्यापक का स्वयं का व्यक्तित्व भी विद्यार्थियों के व्यवहार पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है। विद्यालय में अनुशासन, शिक्षक-छात्र सम्बन्ध, छात्रों का आपस में सम्बन्ध, खेलकूद आदि क्रिया-कलापों का भी प्रभाव बालक के व्यक्तित्व पर पड़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार बालकों के व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए उनके साथ सहानुभूति, मित्रवत, भावुक एवं प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। जिससे उनको कुंठित होने से बचाया जा सके।
(4) प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव - भिन्न-भिन्न प्राकृतिक वातावरण में निवास करने वाले व्यक्तियों के व्यवहारों में स्पष्ट रूप से अंतर दिखायी देता है और उनके व्यक्तियों की अलग-अलग पहचान होती है। क्योंकि पहाड़ों व बर्फीले क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति की शारीरिक बनावट, आदत, गतिविधि, शारीरिक रंग-रूप और स्वास्थ्य, मैदानी और रेगिस्तानी क्षेत्र के व्यक्तियों से अलग होता है तथा उनके व्यवहारों में भी अंतर दिखाई देता है जिसका प्रभाव सीधे व्यक्ति के व्यक्तित्व पर पड़ता है।
(5) सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव - मनुष्य जिस प्रकार के सांस्कृतिक वातावरण में जन्म लेता है उसी प्रकार उसका पालन-पोषण होता है। संस्कृति के अनुरूप ही बालक रीति-रिवाज, परम्परा, रहन-सहन, धर्म-कर्म एवं व्यवहारों को सीखता है तथा इन्हीं अर्जित गुणों के साथ वह समाज में सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करता है। अतः व्यक्ति के व्यक्तित्व पर संस्कृति व संस्कार का बहुत गहरा प्रभाव है।
|