बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अधिगम का अर्थ, परिभाषा तथा अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या करिये।
उत्तर-
सीखना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। व्यक्ति जन्म से मृत्यु तक प्रत्येक क्षण जाने अनजाने कुछ न कुछ सीखता रहता है। व्यक्ति कब, क्या कैसे सीखता है यह उसकी रुचि, क्षमता, प्रयास और बाह्य वातावरण पर निर्भर करता है। उदाहरण - जैसे एक बालक जलती हुई मोमबत्ती की ओर स्वाभाविक रूप से आकर्षित होता है वह उसे छूने का प्रयास करता है तो जल जाता है। अब बालक अपने अनुभव के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँच जाता है कि मोमबत्ती को छूना हानिकारक है फिर कभी वह ऐसा प्रयास नहीं करता है। इस प्रकार अनुभवों के द्वारा बालक के व्यवहार में आये परिवर्तन को अधिगम कहते हैं। अधिगम के अर्थ को निम्नलिखित मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गयी परिभाषाओं से स्पष्ट समझा जा सकता है-
1. स्किनर के अनुसार - "अधिगम व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की एक प्रक्रिया है।"
2. गार्डनर मर्फी के अनुसार - "सीखने में वातावरण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यवहार में होने वाले सभी प्रकार के परिवर्तन सम्मिलित हैं।"
3. वुडवर्थ के अनुसार - "ऐसी क्रिया जो व्यक्ति के विकास में सहायक हो और उसके वर्तमान व्यवसाय और अनुभवों में भिन्नता उत्पन्न करती हो, उसे सीखने की संज्ञा दी जाती है।"
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि-
1. सीखना एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहार में परिवर्तन या परिमार्जन होता है।
2. व्यवहार में परिमार्जन अभ्यास के कारण होता है, अतः व्यवहार में परिमार्जन अर्जित होता है।
3. व्यवहार में परिवर्तन या परिमार्जन के पीछे उद्देश्य या प्रेरणा का होना आवश्यक है।
सीखने को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. मानसिक क्षमता - सीखने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति जो भी सीख रहा है उसे सीखने की मानसिक क्षमता उसमें है। विशिष्ट बालकों व सामान्य बालकों की मानसिक क्षमता में अन्तर पाया जाता है। अतः किसी व्यवहार को सीखने में भी अन्तर होता है।
2. अभिरुचि और रुझान - बालक में सीखने के लिये अभिरुचि व रुझान का होना आवश्यक है। यह देखा जाता हैं कि जिस खेल में बालक को रुचि होती है वह उसे जल्दी सीख जाता है तथा अरुचिकर खेल/व्यायाम से वह दूर भागता है।
3. बालक की शारीरिक क्षमता - किसी खेल, कला कौशल को सीखने में सीखने वाले व्यक्ति की शारीरिक क्षमता का असर पड़ता है। जैसे- कम लम्बाई वाला व्यक्ति तेज गेंदबाज व बास्केटबाल जैसे खेलों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता। इसलिए वह इनसे दूर रहता है। इसी प्रकार दिव्यांग बालक शारीरिक कौशल वाले कार्य को नहीं सीख पाते हैं।
4. परिपक्वता - सीखने की क्षमता व परिपक्वता में घनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व व्यक्ति के सीखने की क्षमता व गति अधिक तीव्र होती है जब कि अपरिपक्व व्यक्ति के सीखने की क्षमता व गति कम होती है।
5. प्रेरणा - प्रेरणा सीखने की क्रिया को सफल बनाती है। शारीरिक, मनोवैज्ञानिक व सामाजिक प्रेरणाएँ सीखने में सहायक होती हैं।
6. सीखने की विधि - किसी कला के उच्चतम बिन्दु तक पहुँचने के लिए उचित सीखने की विधि को अपनाना आवश्यक होता हैं, सीखने में पूर्ण विधि, अंश - विधि, विराम विधि अविराम-विधि, साभिप्राय-विधि तथा आवृत्तिकरण विधि का अपना महत्व होता है।
7. अभ्यास - सीखे गये क्रियात्मक कौशलों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन कला कौशलों का अभ्यास किया जाना आवश्यक होता है।
8. विषय का स्वरूप - सीखने में सफलता-असफलता उस विषय के स्वरूप पर निर्भर होती है। मूर्त, सार्थक और रुचिकर विषय को आसानी से सीखा जा सकता है।
9. विश्राम - अध्ययनों से यह पता चलता है कि किसी कला कौशल को सीखते समय बीच-बीच में विश्राम देना लाभदायक होता है।
10. शिक्षक/प्रशिक्षक की योग्यता - अधिगम में शिक्षक की बड़ी भूमिका होती है। एक योग्य शिक्षक को मनोविज्ञान, सीखने का उचित वातावरण व उचित शिक्षण विधि का ज्ञान होता है।
11. वर्ग का भौतिक वातावरण - अधिगम में भौतिक वातावरण का बड़ा महत्व होता है। यदि कोई यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कर रहा है तो उसे शान्त, स्वच्छ व एकान्त स्थान की आवश्यकता होती है। जहाँ वह पुराने कौशलों की पुनर्रावृत्ति तथा नये कौशलों को बिना किसी बाधा के सीख सकता है।
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