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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2751
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अधिगम का स्थानान्तरण से आप क्या समझते हैं? अधिगम के स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

अधिगम के स्थानान्तरण का अर्थ

प्रायः अधिगम के स्थानान्तरण या सीखने के अन्तरण को प्रशिक्षण अन्तरण अथवा प्रशिक्षण स्थानान्तरण भी कहा जाता है। अधिगम स्थानान्तरण का अर्थ है- किसी विषय कार्य अथवा परिस्थिति में अर्जित ज्ञान का उपयोग किसी अन्य विषय, कार्य अथवा परिस्थिति में करना। अतः जब एक विषय का ज्ञान अथवा एक परिस्थिति में सीखी बातें दूसरे विषय अथवा अन्य परिस्थिति में सीखी जा रही बातों के अध्ययन में सहायक अथवा घातक होती है तो उसे सीखने का अन्तरण कहा जाता है। सीखने के अन्तरण को विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न ढंग से परिभाषित किया है। कुछ मनोवैज्ञानिकों के द्वारा सीखने के अन्तरण को निम्न ढंग से परिभाषित किया गया है-

(1) अंडरवुड के अनुसार - "वर्तमान क्रियाओं पर पूर्व अनुभवों के प्रभाव को प्रशिक्षण अन्तरण कहते हैं।"

(2) हिलगार्ड एवं एटकिन्सन के शब्दों में - "एक कार्य को सीखने का आगामी कार्यों को सीखने अथवा करने पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रशिक्षण अन्तरण कहते हैं।"

(3) सोरेन्सन के अनुसार - "स्थानान्तरण एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान तथा आदतों का दूसरी परिस्थिति में अन्तरण होना है।"

(4) क्रो एवं क्रो के अनुसार - "सीखने के एक क्षेत्र में अर्जित सोचने, महसूस करने या कार्य करने की आदतों, ज्ञान तथा कौशलों का सीखने के किसी दूसरे क्षेत्र में प्रयोग करना ही प्रायः प्रशिक्षण का अन्तरण कहा जाता है।"

उपरोक्त परिभाषाओं के अवलोकन से स्पष्ट है कि अधिगम के स्थानान्तरण से तात्पर्य किसी सीखे गए व्यवहार का नवीन व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभाव से है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि सीखने का अन्तरण वस्तुतः किसी एक परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, कौशल, आदतों, विचारों आदि का किसी अन्य परिस्थिति में उपयोग करना है।

अधिगम के स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारक-

(1) विषय-वस्तु की प्रकृति - क्या सीखा गया हुनर दूसरे क्षेत्रों में प्रयुक्त किया जा सकता है, प्रशिक्षण का स्थानान्तरण इस बात से भी प्रभावित होता है। एक अध्यापक जब स्थानान्तरण लाना चाहता है तो उसे इस बात का फैसला कर लेना चाहिए कि उसकी नजर में विषय का कौन-सा पहलू दूसरे क्षेत्र में इस्तेमाल हो सकता है। यदि हम छात्र को ऐसा विषय पढ़ाते हैं जिसका दूसरे विषय से कोई सम्बन्ध नहीं है तो हम प्रशिक्षण के स्थानान्तरण की सोच नहीं सकते। यदि हम छात्र को मानव शरीर की संरचना का कार्य विधि पढ़ाते हैं तो वह शारीरिक गतिविधि की संरचना समझने में आसानी महसूस करेगा। यह देखा गया है कि हुनर प्रशिक्षण में स्थानान्तर युक्ति संगत सिखलाई से अधिक होता है तथा एक हुनर से दूसरे हुनर की सिखलाई अधिक होगी या एक युक्ति सिखलाई से दूसरे युक्ति संगत सिखलाई ज्यादा होगी। विषय का आपसी संबंध स्थानान्तरण की शर्त है। यह ध्यान में रखना चाहिए कि विषय-वस्तु स्थानान्तरण नहीं होता अपितु स्थानान्तरण का अंश वह है जो विषय वस्तु सीखने वाले को देता है।

(2) अन्य क्षेत्रों में लागू करने का अभ्यास - एक अन्य बात ध्यान में रखनी चाहिये कि स्थानान्तरण करने वाले तत्व को न केवल पूर्णरूपेण निर्मित व स्पष्ट रूप से तैयार कर लेना चाहिये अपितु पढ़ाए गए विषय वस्तु से बाहर के क्षेत्रों में भी इसे लागू करना चाहिये। जब तक छात्र अन्य क्षेत्रों में इन सिद्धान्तों, नियमों या सूत्रों को वास्तविक रूप में इस्तेमाल नहीं करते तब तक हुनर का स्थानान्तरण होना सोचा भी नहीं जा सकता। अन्य क्षेत्रों में इसको व्यवहार में लाना स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक है। सीखे गए तथ्यों के वास्तविक इस्तेमाल पर ही स्थानान्तरण की तीव्रता निर्भर करती है।

(3) बुनियादी तत्वों का नामकरण व पहचान - बुनियादी तत्त्वों की पहचान करना तथा उनके खास नाम रखना तथा उन्हें ऐसे नामों के लेबल लगाना जिससे वे दिमाग में टिक सकें, जिससे छात्रों को उनमें भेद का पता चले। यह अतिरिक्त गतिविधि एक बार विकसित हो जाने पर दूसरे विषयों के अन्तर्निहित हुनरों की पहचान करने में सहायक होगी। यह मानसिक गतिविधि छात्र की ध्यान प्रक्रिया और तुलनात्मक योग्यता को बढ़ाकर प्रशिक्षण के स्थानान्तरण को बढ़ावा देगी।

(4) मौलिक कार्य के साथ अनुभव - यह देखा गया है कि हममें अगर मूल कार्य का अनुभव है तो हम अधिकतम स्थानान्तरण कर सकते हैं। ऐसे अनुभव से असली कार्य से जुड़े बुनियादी तत्वों को समझने में छात्र को आसानी रहेगी तथा इससे प्रशिक्षण के स्थानान्तरण पर प्रभाव पड़ेगा। जितना अधिक अनुभव होगा उतना अधिक स्थानान्तरण होने की संभावना रहेगी।

(5) बुद्धिमत्ता तथा जन्मजात योग्यताएँ - छात्र की बुद्धिमत्ता, जन्मजात क्षमताएँ तथा अन्य भी स्थानान्तरण को प्रभावित करते हैं। स्थानान्तरण की योग्यता प्रत्येक छात्र में अलग-अलग होती है गुण तथा स्थानान्तरण प्रक्रिया को सरल बनाने के बारे में कोई पक्का नियम नहीं बनाया जा सकता। अन्तर्मुखी छात्रों की बजाय बर्हिमुखी छात्रों में यह स्थानान्तरण जल्दी होने की संभावना होती है। उसी तरह नौजवान छात्रों में परिपक्व छात्रों की बजाय स्थानान्तरण शीघ्र होता है। ऐसा शायद इसलिए होता है कि तेज बुद्धि वाले छात्र सामान्य सिद्धान्तों को शीघ्र समझ लेते हैं। जब कुछ तुलना, भाव, समझ या सामान्यकरण करने की जरूरत पड़ती है तो कुशाग्रबुद्धि छात्र ज्यादा सामर्थ्यवान साबित होते हैं। अतः अगर अन्य कारक स्थिर रहें तो अधिक बुद्धिमत्ता स्तर वाले छात्रों में स्थानान्तरण ज्यादा होता है।

(6) सीखने वाले का रुझान तथा मेहनत - सीखने वाले का मानसिक ढाँचा आदर्श, उद्देश्य तथा एच्छिक प्रयत्न भी स्थानान्तरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। स्थानान्तरण को उच्च बुद्धिमत्ता का स्वतः परिणाम या विषय-वस्तु का सही होना ही सोचा जाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति इस तरह पढ़ता या सीखता है कि यह उसके बहुत से उद्देश्यों की पूर्ति करेगा तथा कई जगह इस्तेमाल होगा तो स्थानान्तरण बहुत अधिक होगा। उसी तरह यदि सिखलाई सिर्फ कार्य करने के लिए की जाए तो स्थानान्तरण कम होगा। एक उत्सुक, उद्देश्यपूर्ण तथा सही प्रयत्नों से बहुत अधिक स्थानान्तरण होने की संभावना है।

(7) पढ़ाई के ढंग या प्रक्रिया - छात्र को जिस ढंग से पढ़ाया जाए तथा पढ़ाने के जो ढंग या प्रक्रिया अपनाई जाए उससे स्थानान्तरण की क्षमताओं का पता चलता है। ज्यादातर छात्र विषय वस्तु की कल्पना केवल स्मरण का विषय मानते हैं तथा स्वतंत्र विचारधारा विकसित करने का रुझान नहीं दिखाते या यह जानना नहीं चाहते कि उसमें सिद्धान्त या तकनीक कौन सी है। विज्ञान के छात्रों में वैज्ञानिक रुझान नहीं विकसित होता, गणित के छात्रों में Operation के नियमों को नहीं समझते तथा शारीरिक शिक्षा तथा खेलों में लागू होने वाले नियमों व सिद्धान्तों को नहीं समझ पाते। पढ़ाने का असली कार्य यह है कि छात्रों को बुद्धिमत्ता के कौशल दिये जाएं तथा प्रशिक्षण के स्थानान्तरण के संदर्भ में वांछित ढंग व समझदारी सिखाई जाए। प्रशिक्षण के स्थानान्तरण पर जोर दिया जाना चाहिये। प्रशिक्षण के स्थानान्तरण के लिए छात्रों को नेतृत्व व निर्देश देने वाले सृजनशील व विचारोत्तेजक ढंग व तरीके खोजे जाने चाहिये।

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