बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- क्या परम्परागत खेल व्यक्तित्व विकास में सहायक होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
परम्परागत खेलों से किस प्रकार व्यक्तित्व का विकास होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में परम्परागत खेल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निम्न बिन्दुओं की सहायता से हम यह जानेंगे कि परम्परागत खेल किस प्रकार से व्यक्तित्व का विकास करते हैं-
(1) आत्मविश्वास बढ़ाने में - परम्परागत खेल व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। इनकी सहायता से व्यक्ति नये अनुभवों को सीखता है तथा चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को विकसित करता है।
(2) रचनात्मकता का विकास करने में - परम्परागत खेल रचनात्मकता को बढ़ाते हैं। नवीन सोच और कल्पनाशीलता विकसित करने में मदद करते हैं।
(3) एकाग्रता को बढ़ाने में - परम्परागत खेल व्यक्ति की एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इससे व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं में वृद्धि होती है।
(4) खेल भावना का विकास करने में - परम्परागत खेल व्यक्ति में खेल भावना का विकास करने में सहायक होते हैं। इससे व्यक्ति दूसरों का सम्मान, नियमों का पालन करना, ईमानदारी का परिचय देना सीख जाता है। ये व्यक्ति में एक सुदृढ़ चरित्र का निर्माण करते हैं।
(5) व्यक्तित्व में लचीलापन लाने में - पारम्परिक खेलों में व्यक्ति को अक्सर शारीरिक व मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनका सामना करने के लिए कई बार योजना के पुनर्निर्माण की आवश्यकता होती है और इसके लिए व्यक्तित्व का लचीला होना आवश्यक होता है।
इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि पारम्परिक खेलों का व्यक्तित्व विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये आत्मविश्वास, सामाजिक सम्पर्क, निष्पक्षता, रचनात्मकता, एकाग्रता तथा लचीलेपन को बढ़ावा देते हैं। अपने दैनिक जीवन में पारम्परिक खेलों को शामिल कर हम अपने व्यक्तित्व का समुचित विकास कर सकते हैं।
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