बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- परम्परागत खेलों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डिजाइन करने की विधि का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार परम्परागत खेलों को कैसे डिजाइन किया जा सकता है?
उत्तर-
भारतीय परम्परागत खेलों को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन करने में रचनात्मकता, नवीनीकरण तथा खेल के सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व को समझने की आवश्यकता होती है। निम्न बिन्दुओं का अनुसरण कर भारतीय परम्परागत खेलों को डिजाइन किया जा सकता है।
(1) शोध - इस विषय पर शोध की आवश्यकता है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में खेले जाने वाले वह परम्परागत खेल कौन-कौन से हैं जो वृहद पैमाने पर नहीं खेले जाते हैं और न ही ज्यादा विख्यात हैं।
(2) खेल के उद्देश्यों की पहचान करना - खेल के उद्देश्यों को निर्धारित किया जाये और यह भी निर्धारित किया जाये कि किस योग्यता का विकास करना है तथा खिलाड़ी को क्या सिखाया जायेगा।
(3) क्रियाविधि और नियमों की व्याख्या - खेल के नियम खिलाड़ियों की संख्या, खेल का समय तथा खेल विधि की व्याख्या की जानी चाहिए।
(4) खेल क्षेत्र का चयन करना - खेल के अनुसार मैदान का चयन तथा उस तक पहुँचने के साधन की पहचान की जाये।
(5) खेल सामग्री का चुनाव - खेल के अनुसार उसमें प्रयुक्त होने वाली खेल सामग्री की पहचान करना। यह सामग्री सहज उपलब्ध हो तथा ज्यादा महंगी न हो।
(6) परीक्षण और सुधार - छोटे स्तर पर चुने गये खेल का परीक्षण करना चाहिए तथा यदि उसमें सुधार की आवश्यकता है तो सुधार किया जाना चाहिए। यह सब खेल से सम्बन्धित व्यक्तियों की प्रतिक्रिया के आधार पर होना चाहिए।
(7) खेल से सम्बन्धित प्रपत्र - खेल के नियम, क्रियाविधि, खिलाड़ियों की संख्या आदि से सम्बन्धित प्रपत्रों का निर्माण करना चाहिए।
(8) खेल को प्रोत्साहन - स्थानीय स्तर पर खेल का आयोजन कर सोशल मीडिया की सहायता से वृहद जनसंख्या तक पहुँचाया जाये।
जब भी हम परम्परागत खेलों को डिजाइन करें तो इस बात का ध्यान रखा जाये कि इससे सांस्कृतिक विरासत को नुकसान न हो। इस तरह के खेलों में परम्परागत संगीत, कपड़े, भाषा का प्रयोग किया जाये तथा यह खेल सभी आयु वर्ग व क्षमता के लोगों के लिए उपलब्ध हों।
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