बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भारतीय परम्परागत खेलों के लाभ व महत्व बताइये।
उत्तर-
भारतीय परम्परागत खेलों के अनेक लाभ हैं। परम्परागत खेलों के महत्वं व लाभ निम्न है-
(1) सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में - परम्परागत खेल हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग हैं। यह हमारी परम्पराओं, प्रथाओं तथा ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हैं।
(2) शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में - परम्परागत खेल जैसे खो-खो, कबड्डी और गुल्ली- डण्डा खेलने से शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम होता है, बच्चों के हाथ तथा आँख में सामंजस्य स्थापित होता है एवं क्रियात्मक क्षमता में वृद्धि होती है।
(3) बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में - भारतीय परम्परागत खेल जैस शतरंज, लूडो आदि रणनीतिक सोच, समस्या समाधान और निर्णय करने की क्षमता में वृद्धि करते हैं। इस प्रकार के खेल बौद्धिक व मानसिक क्षमता को बढ़ाते हैं।
(4) सामाजिक सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने में - कई बार परम्परागत खेल समूह में खेले जाते हैं जो सामाजिक सम्बन्धों टीम वर्क तथा संचार को बढ़ाते हैं।
(5) सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ाने में - परम्परागत खेल की सहायता से बच्चों की भारतीय सांस्कृतिक विभिन्नता को समझने में सहायता मिलती है।
(6) कल्पना शक्ति तथा क्रियात्मकता को बढ़ाने - में भारतीय परम्परागत खेल जैसे कंचे, चिड़िया उड़, धूप खेल आदि बच्चों में क्रियात्मकता तथा कल्पना शक्ति को बढ़ाते हैं जिससे बच्चे खेलों के नये नियम बनाने को प्रोत्साहित होते हैं।
(7) निकटता को बढ़ाने में - खेलों के माध्यम से विभिन्न उम्र के, समुदाय के लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं तथा एक-दूसरे के रीति-रिवाज, रहन-सहन, खानपान आदि के विषय में जानने का प्रयास करते हैं।
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