बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- व्यक्तित्व की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
अथवा
व्यक्तित्व में कौन-कौन सी विशेषताएँ होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
व्यक्तित्व में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती है-
1. व्यक्तित्व अपूर्व (Unique) तथा विशिष्ट (Specific) होता है। प्रत्येक व्यक्ति का अलग व्यक्तित्व होता है। कोई दो व्यक्ति चाहे वह जुड़वा भाई ही क्यों न हो एक जैसा व्यवहार नहीं करते। हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने ढंग से अपना समायोजन करता है अतः व्यक्तित्व अपने आप में अद्वितीय होता है।
2. व्यक्तित्व की दूसरी विशेषता को आत्म चेतना के गुणों से जोड़कर देखते हैं। जब व्यक्ति में आत्म चेतना जागृत होने लगती है तभी उसका व्यक्तित्व आकार लेने लगता है। इस सम्बन्ध में एच. आर. भाटिया ने लिखा है कि-
"हम कुत्ते को व्यक्तित्व से विभूषित नहीं करते और यहाँ तक कि एक छोटे बच्चे में भी, आत्मचेतना या व्यक्तित्व परिचय का भाव उदय न होने पर व्यक्तित्व जैसी वस्तु नहीं होती।"
3. व्यक्ति के विभिन्न गुणों तथा विशेषताओं के संग्रह मात्र को व्यक्तित्व की संज्ञा नहीं दी जा सकती। जिस प्रकार से किसी दीवार के बारे में उसकी ईंटों को गिनकर यह नहीं कहा जा सकता कि वह क्या है कैसी है। इसके निर्धारण के लिए कुछ और जानकारी चाहिए। ठीक उसी प्रकार व्यक्तित्व के स्पष्टीकरण के लिए भी विशेषताओं और गुणों के संग्रह के अतिरिक्त कुछ और चाहिए। व्यवस्थाओं अथवा व्यवहार सम्बन्धी विशेषताओं और क्रियाकलापों का एक संयुक्त संगठन है।
4. व्यक्तित्व में व्यक्ति के सम्बन्ध में कुछ निहित होता है। यह वह सब कुछ है जो एक व्यक्ति अपने पास रखता है। इसमें व्यवहार के तीनों पक्ष ज्ञानात्मक, क्रियात्मक और भावात्मक सम्मिलित होते हैं तथा इसका क्षेत्र केवल चेतन अवस्था में किए गए व्यवहार तक ही नहीं बल्कि अर्धचेतन और अचेतन व्यवहार तक फैला हुआ है।
5. व्यक्तित्व जड़ नहीं बल्कि गतिशील और निरन्तर परिवर्तित एवं परिमार्जित होने वाली स्थिति है। अपने समायोजन के लिए जो कुछ भी आवश्यक होता है, व्यक्ति का व्यक्तित्व उसे वह सब कुछ देता है। समायोजन की प्रक्रिया एक सतत प्रक्रिया है। व्यक्ति जन्म से मृत्यु तक समायोजन के लिए संघर्षरत रहता है। इस संघर्ष के लिए उसे अपने व्यवहार और व्यक्तित्व सम्बन्धी गुणों में आवश्यक परिवर्तन लाने होते हैं। यह परिवर्तन व्यक्तित्व की गतिशीलता का प्रमाण है।
6. व्यक्तित्व वंशानुक्रम तथा वातावरण की संयुक्त उपज है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में दोनों की संयुक्त भूमिका होती है।
7. सीखना तथा अनुभवों का अर्जन व्यक्तित्व विकास में सहायक होते हैं। सीखने और अर्जन सम्बन्धी प्रक्रिया के फलस्वरूप व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
8. प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अनूठी विशेषता होती है, एडलर महोदय के अनुसार, एक व्यक्ति जिस तरह से अपनी समस्याओं को सुलझाता है और जीवन के जो भी उद्देश्य उसने निर्धारित किये हैं उनका भली-भाँति अध्ययन करके ही उसके व्यक्तित्व के बारे में कुछ कहा जा सकता है। इस प्रकार से व्यक्तित्व को व्यक्ति के जीने के ढंग का नाम देकर उन्होंने उसको बहुत ही सारगर्भित अर्थ देने का प्रयास किया है।
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