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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2751
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आधुनिक समाज में मनोरंजन का महत्व लिखिए।

उत्तर-

आधुनिक समाज में मनोरंजन का महत्व
(Significance of Recreation in Modern Society)

ऐसी कुछ मूलभूत मानवीय आवश्यकताएँ हैं, जिनके सन्तुष्ट होने की आवश्यकता अनुभव की जाती है। शिक्षा के कुछ ऐसे उद्देश्य हैं जिनको प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। ऐसे कुछ उत्तरदायित्व हैं जिनकी गणतांत्रिक समाज में पूर्ण करने की आवश्यकता अनुभव की जाती है। आधुनिक समाज द्वारा विकसित की गई तकनीक को स्वीकार करने के लिए ऐसे कुछ मूल्य तत्व हैं जिन्हें चुकाने की आवश्यकता है और ऐसे कारक / परिवर्तन हैं जो कि आधुनिक जीवन में महत्त्वपूर्ण मनोरंजन के एक बड़े क्षेत्र में फैलाव एवं मान्यताओं को बढ़ाते हैं। उपर्युक्त बिन्दुओं पर विवेचना करने के लिए नीचे कुछ प्रयास दर्शाए गए हैं कि व्यक्ति विशेष के जीवन में मनोरंजन क्यों और कैसे बढ़ते हुए महत्त्वपूर्ण कार्यों को संपादित कर सकता है जो कि समुदाय और राष्ट्र के लिए आवश्यक है-

1. मनोरंजन एक मूलभूत मानवीय आवश्यकता - इतिहास में सभी अवस्था के व्यक्तियों द्वारा स्वयं की अभिव्यक्तियों तथा व्यक्तिगत विकास को प्रकट करने के लिए मनोरंजन को ही उजागर करने का माध्यम बनाया गया है तथा उनकी इस क्रिया में उल्लेखनीय समानता पाई जाती है, मनोरंजन समस्त मानव जाति की समान विरासत है। यद्यपि उसकी अभिव्यक्ति के प्रकार अवस्था ही भिन्न होते हैं। इस धरती पर सर्वत्र नौजवानों के सक्रिय क्षणों में खेल एक प्रमुख उद्यम है। खेलों के द्वारा बालक वृद्धि तथा अनुभव को प्राप्त करता है।

आगे के जीवन में मनुष्य के द्वारा कुशलताएँ प्राप्त करने के साधन तथा जैविक प्रेरणा से उत्पन्न हुई गतिविधियों को प्रकट करने के लिए साधन प्रकृति में उपलब्ध कराया है। जैसे-जैसे वह बढ़ती हुई उम्र की ओर अग्रसर होता है, उसकी गतिविधियाँ सम्पन्न करने के लिए समय की माँग भी तथा शक्ति और सतर्कता बढ़ती जाती है। वयस्क अवस्था के जीवन में मनुष्य को जीवित रहने अपने उत्तरदायित्वों और कर्तव्यों के पालन के लिए धन कमाना पड़ता है। अपने परिवार के लिए समाज में अपना स्थान बनाने के लिए उद्यम करते हुए वह मनोरंजन का सूक्ष्म प्रदर्शन करते हुए अपने जीवन के सूक्ष्म क्षणों में विकास करता रहता है। इसी कारण मनोरंजन की ओर प्रेरित होना इतना मूलभूत और विश्वव्यापी है कि उसको दबाया नहीं जा सकता।

2. मनोरंजन का मानवीय प्रसन्नता में योगदान - हमारे पूर्वजों ने प्रत्येक व्यक्ति के लिए खुशहाली को मूलभूत और मूल्यवान उद्देश्य के रूप में पहचाना था। वास्तव में जीवन बिना मनोरंजन के खाली और अधूरा रहेगा। मनोरंजन के महान नेता डॉ. ऑस्टिन फॉक्स रिक्त उचित ही व्यक्त करते हैं कि खेल का कार्यक्रम काम और जीवन के मध्य सन्तुलन बनाता है। दैनिक जिम्मेदारियों को वहन करने के लिए तरोताजा रखता है। मनुष्य को कौतूहलपूर्ण साहस को बनाए रखते हुए अपने कार्य के प्रति गहन गम्भीरता लाने में रोककर नौजवानों को मौत की ओर बढ़ने से रोकता है और यह स्वयं मनुष्य में समय पूर्व प्रायः होने वाली मौत को भी रोकता है। जीवन की वास्तविक आवश्यकताओं में सौन्दर्य, ज्ञान, विचार, पुस्तकें, चित्र, संगीत, गायन, नृत्य, खेल, भ्रमण, कौतूहल, प्रेम, मित्रता, चैम्पियनशिप तथा विचारों के आदान-प्रदान बहुत आवश्यक हैं। मनोरंजन, उपरोक्त मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं उनको निरन्तर रखने के प्रयत्नों तथा प्राप्ति हेतु एवं प्रसन्नता के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थान है।

3. मनोरंजन एवं स्वास्थ्य - वह मनोरंजन जो शक्तिवर्धक हो, खुली हवा में संचालित किया जाए और जिसमें मूलभूत माँसपेशियों का उपयोग हो ऐसे कार्यक्रम स्वस्थ अंगों के विकास में सहायक हों। ऐसे प्रमुख मनोरंजन रुधिर संचार को बढ़ाने वाले, अत्यधिक स्वाक्षोवास की गतिविधियों वाले होने चाहिए तथा इनसे सही मलविसर्जन होकर क्षुधा में वृद्धि होनी चाहिए, इनका संवेदनात्मक स्थायित्व तथा सहनीय विश्राम, शिथिलता और रचनात्मक गतिविधियों में योगदान होना चाहिए। इसके अन्य गुण ऐसे हों जिससे शरीर को स्वस्थता प्रदान करते हुए तंत्रिका केन्द्रों को चैतन्यता करते हुए शरीर को सौष्ठवता प्रदान करें।

मनोरंजन के महत्त्व का मूल्यांकन इस प्रकार किया जा सकता है कि यह स्नायुविक अव्यवस्था के विरुद्ध है। एक बीमा की पॉलिसी के समान उपयोगी होता है तथा स्नायुविक अव्यवस्था जब आयु के मध्य में एकत्रित होती है तब यह सैकड़ों तरीकों* से लाभकारी होता है। इसके मूल्य स्वास्थ्य में योगदान के द्वारा रुग्णता को रोकने में सहायक होते हैं तथा प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने में सहायक होते हैं।

मनोरंजन को व्यक्ति विशेष के मानसिक पुनर्स्थापन में भी बहुतायत से उपयोग किया जाता है। मानसिक अव्यवस्थाओं से परेशान लोगों को उद्दीपन खेलों के प्रति तेजी से क्रियाशील होते देखा गया है विशेष तौर पर संगीत की ओर।

डॉ. विलियम सी. मैनिनगर कहते हैं किै - मनोरंजन न केवल मानसिक रोगियों के उपचार में अहम भूमिका निभाता है वरन् यह रोगी रह चुके मरीजों को ठीक-ठाक रहते रहने में एक विचारणीय कारक के रूप में माना जा चुका है।

इसलिए मनोचिकित्सकों का विश्वास है कि पुनः रचनात्मक क्रियाएँ भी मानसिक तथा भावनात्मक रुग्णताओं को रोकने में मूल्यवान हो सकती हैं।

4. मनोरंजन एवं चारित्रिक विकास (Recreation and Character Development) - मनोरंजन की पहचान व्यक्तिगत चरित्र तथा राष्ट्रीय संस्कृति की जबरदस्त घटनाओं के तेज के रूप में की जा चुकी है। फिर भी मनोरंजनात्मक गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों का उद्देश्य केवल चारित्रिक विकास ही नहीं है बल्कि यह स्वाभाविक रूप से समूह खेलों, नाटक, संगीत जैसे कार्यक्रमों में जिनमें सहयोग, निष्ठा तथा दलीय खेलों में सहयोगात्मक आचरण अत्यावश्यक है। मनोरंजन के अधीन नेतृत्व के प्रति निष्ठा और योग्यता के लिए लोगों को नियमों का सम्मान करना स्वच्छ खेल, साहस और व्यक्ति की स्वार्थी प्रवृत्ति पर काबू पाने की योग्यता का विकास करना जिससे कि टीम की क्षमता को विकसित कर समूह को विजयी बनाया जा सके। इसके द्वारा नेतृत्व करने का मूल्यवान अनुभव भी प्राप्त होता है। मनोरंजन केवल व्यक्तिगत गुणों का ही विकास नहीं करता वरन् मजबूत सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करता है जाकि व्यक्ति के ऊपर समूह के सदस्य के रूप में असर करता है।

5. मनोरंजन और अपराधों की रोकथाम - मनोरंजन में समग्र भागीदारी चरित्र निर्माण में सहायक होती है। यह अपराध तथा कुछ दुष्कर्म को रोकने में सेफ्टी वाल्व की तरह से काम करता है क्योंकि मनोरंजन की गतिविधियाँ बच्चों और जवानों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। उन समुदायों में जहाँ मनोरंजन की आकर्षक गतिविधियों की बहुतायत होती है वहाँ दुष्कर्मों को पनपने की सम्भावनाएँ क्षीण होती हैं। बालक तथा नौजवान जब खेल के मैदान में मनोरंजनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं तो वे एक ही समय में बैंक में डकैती नहीं डाल सकते, घर में सेंध नहीं लगा सकते तथा अन्य अपराधी

गिरोहों में भी शामिल नहीं हो सकते। जो बालक नित्यप्रति खेल के मैदान में आता है अथवा प्रतियोगिताओं/सामाजिक खेलों के लिए तैयारी करता है तथा वह लड़की जो नाटक के दृश्य संयोजन में व्यस्त है अथवा वह किसी समूह की नेत्री है तो ऐसे बालक तथा बालिकाओं को अपनी पहचान बनाने की सामान्य इच्छा सफलता तथा उपलब्धियों की प्राप्ति के लिए माध्यम मिल जाता है। अतः उन्हें ऐसी सन्तुष्टियों के लिए असामाजिक गतिविधियों की आवश्यकता बहुत ही क्षीण रहती है। दुष्कर्म तथा अपराध ज्यादातर खाली क्षणों के दौरान ही किए जाते हैं तथा इस प्रकार अपराध की अधिकतम घटनाएँ खाली समय को आमोद-प्रमोद के रूप में बिताए जाने के साधन के रूप में घटित की जाती हैं। पुलिस तथा कारागार के अधिकारियों के परीक्षणों तथा अनुभवों से यह इंगित होता है कि अधिक अपराध तथा दुष्कर्म का होना मनोरंजनात्मक अवसरों में होने वाली अपर्याप्तता के परिणाम का ही प्रतिफल है।

इन सभी उपर्युक्त घटनाओं से बचने के लिए मनोरंजन, बालकों, किशोरों, नौजवानों तथा * वयस्कों के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

6. मनोरंजन एवं सामुदायिक प्रतिबद्धता - आधुनिक समाज में बहुत से दबाव लोगों को अक्सर उनके आर्थिक स्तर, सामाजिक स्थिति, जाति, नस्ल, राष्ट्रीयता अथवा सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के परिणामस्वरूप उन्हें अलग-अलग समूहों में बाँट देते हैं। इस प्रवृत्ति से शंका, अविश्वास और साथियों से नफरत पैदा होने लगती है तथा पड़ोसी धर्म का लोप होकर संगठित रहने की रुचि कम होने लगती है।

मनोरंजन एक समान धरातल तथा मंच मुहैया कराता है। जहाँ भागीदारी अथवा उपलब्धि की चाह मतभेदों को भुला सकती है। मनोरंजन आवश्यक रूप से लोकतांत्रिक है। खेलों, नाटकों अथवा कलाकारी में सभी वर्गों के समूहों की रुचि तथा कुशलता की भागीदारी होती है।

खेलों अथवा अन्य कोई दूसरी गतिविधि की धुरी से जुड़े नौजवान / लड़कियों / पुरुषों / महिलाओं की पहचान उन लोगों / समूहों की जाति, वर्ण, रंग, नस्ल आदि से नहीं होती बल्कि उनके द्वारा सम्पादित की जाने वाली गतिविधि से होती है।

7. मनोरंजन और हौसला-  असुरक्षा की अनुभूति, हीनभावना से ग्रस्तता तथा असमय तनाव के क्षणों में व्यक्ति को सन्तुष्टि तथा व्यवस्थित होने के लिए आवश्यक गतिविधियों की बहुत आवश्यकता होती है। विश्व के विभिन्न भागों के लोग भूकम्प, बाढ़, विदेशी फौजों द्वारा आक्रमण तथा अन्य बड़े पैमाने पर होने वाले हादसों के फलस्वरूप मानसिक असन्तुलन के शिकार होते हैं। ऐसे समय के दौरान मनोरंजन का अर्थ होगा - हौसले को ऊँची बुलन्दियों पर बनाए रखना। उदाहरण के लिए दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मनोरंजनात्मक गतिविधियों ने जीवन्त भूमिका अदा की। सशस्त्र सेना के जवानों में पुरुष / स्त्रियों के लिए खाली क्षणों में रचनात्मक गतिविधियों को समाहित करते हुए समग्र कार्यक्रम बनाए गए, युद्ध भूमि में लड़ रहे जवानों के परिवारों के लिए परिवारीय तथा सामुदायिक कार्यक्रमों ने घरेलू मोर्चे पर हौसला बनाए रखने में परिवारों की बड़ी सहायता की। सशस्त्र सेनाओं, युद्ध से जुड़े हुए उद्योगों के कर्मचारियों तथा नागरिक समूहों के हौसले कायम रखने के लिए मुहैया कराई गई मनोरंजनात्मक गतिविधियों ने युद्ध से सम्बन्धित प्रयत्नों में निश्चित ही महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। सैनिक अधिकारियों द्वारा बार-बार इन सेवाओं का हौसला अफजाई हेतु उपयोग किया जाता रहा है।

8. मनोरंजन एवं सुरक्षा - मनोरंजन के लिए खेल के मैदानों/ तरणतालों का सक्षम नेतृत्व के पर्यवेक्षण में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाना निश्चित रूप से दुर्घटनाओं को रोकने में महत्त्वपूर्ण योगदान करता है। मनोरंजन के क्षेत्र जिन्हें सावधानीपूर्वक रूपांकित एवं संचालित किया जाए तो उससे निश्चित ही उल्लेखनीय सुरक्षा प्राप्त होती है। मनोरंजन प्रभाग भी दुर्घटना की संभावना वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने के कौशल का अध्यापन करके तथा ऐसी गतिविधियों में समुचित पर्यवेक्षण प्रदान कर जन सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान करता है तथा मनोरंजन विभाग जनता के मनोरंजन के क्षेत्रों में सुरक्षा के नियमों को भी लागू करता है।

सुरक्षात्मक मनोरंजन क्षेत्रों के अभाव में सड़कों तथा भीड़ भरे क्षेत्रों में कोई सुरक्षा न होने से दुर्घटना की आशंका रहती है।

9. मनोरंजन एवं लोकतन्त्र - भावनात्मक रूप से मनोरंजन तथा लोकतंत्र एक जैसे हैं तथा दोनों ही एक-दूसरे को मजबूती प्रदान करते हैं। लोकतन्त्र का संकल्प है कि प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण विकास के पर्याप्त अवसर प्रदान करे तथा स्वयं को स्वतन्त्र रूप से अभिव्यक्त करने की आजादी तथा जीवन में असीमित उपलब्धियाँ अर्जित करें। मनोरंजन जोकि स्वतन्त्र गतिविधियों को चुनने का अवसर प्रदान करता है और व्यक्ति को अपनी मौखिक क्रियात्मकता की अभिव्यक्ति व्यक्त करने तथा वास्तविक सन्तुष्टि को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

उसकी यह विकसित शक्ति उसे लोकतन्त्र के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होती है। आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य के नागरिक के रूप में उसके प्रभावशाली योगदान के लिए अवसर प्रदान करती है।

10. मनोरंजन एवं शारीरिक शिक्षा - कई प्रकार से शारीरिक शिक्षा तथा मनोरंजन के उद्देश्य, विधियाँ तथा कार्यक्रम एक समान हैं परन्तु वे एक जैसे नहीं हैं। दोनों के द्वारा व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास को सुनिश्चित करना है। परन्तु मनोरंजन का प्रयत्न तत्काल सन्तुष्टि प्रदान करता है जबकि शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य तथा लक्ष्य दूरगामी होता है। शारीरिक गतिविधियाँ जैसे खेल, संगीत, नाटक अथवा व्यवस्थात्मक कार्यक्रम दोनों में समान रूप से पाए जाते हैं परन्तु शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में ये कुशलता, समझदारी, प्रशंसा प्राप्त करने के क्षेत्र के रूप में जाने जाते हैं।

इन गतिविधियों को स्वयं समाहित रुचियों के अनुसार कुशलता से आनन्द प्राप्ति के एक प्रमुख साधन के रूप में माना जाता है। फिर भी शैक्षणिक विकास संतोष प्रदान करने वाले प्रत्येक मनोरंजन का एक भाग है। खाली क्षणों के मूल्यवान उपयोग करने का प्रशिक्षण भी शारीरिक शिक्षा के सात प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मनोरंजन खाली क्षणों को बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से तथा रचनात्मक ढंग से उपयोग करने वाली गतिविधियों में प्रशिक्षित करने का अवसर प्रदान करता है।

खाली क्षणों के उपयोग की प्रवृत्ति, आदतों, कुशलताओं तथा ज्ञान का तुरन्त तथा निरन्तर विकास मनोरंजन के बारे में निर्णय तथा शिक्षण के विकास की ओर प्रेरित करता है। अधिकृत शारीरिक शैक्षणिक संस्थान ऐसे मनोरंजनात्मक कार्यक्रमों को उन्नत करते हैं जोकि सीखने की प्रक्रिया और उद्देश्यों की उपलब्धि हेतु उत्कृष्ट माध्यम के रूप में सिद्ध होते हैं।

मनोरंजन ने इस प्रकार शारीरिक शैक्षणिक कार्यक्रमों में अपनी बढ़ती हुई भूमिका को निभाते हुए किसी भी संस्थान को अतिरिक्त शारीरिक शैक्षणिक कार्यक्रम में प्रमुख स्थान बना लिया है।

11. मनोरंजन एवं आर्थिक स्थिति - व्यापारिक तथा औद्योगिक क्षेत्रों का नेतृत्व करने वाले यह मानते हैं कि उनके जो कर्मचारी अपने खाली क्षणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं वे अपने कार्य करते समय भी प्रभावी ढंग से सक्रिय रहते हैं। विश्व के कल्याणकारी राज्यों में एक दुष्कर्म करने को रोकने के लिए सैकड़ों डॉलर प्रति वर्ष व्यय करने होते हैं जबकि एक खेल का मैदान जोकि नौजवान को दुष्कर्म करने से रोकता है वह प्रति युवक मात्र कुछ डॉलर प्रति वर्ष खर्च करके बनाया जा सकता है। इस प्रकार खेल का मैदान मुहैया कराने की आर्थिकता स्पष्ट हो जाती है कि मनोरंजनात्मक कार्यक्रमों में पूँजी निवेश मानव मात्र के कल्याण हेतु सर्वश्रेष्ठ निवेश है जिसका लाभांश डॉलरों / रुपयों में निरन्तर मिलता रहता है।

इस प्रकार निष्कर्ष पर पहुँच के लिए हमें उपयुक्त साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि आधुनिक जीवन में मनोरंजन ने एक महत्त्वपूर्ण स्थान पा लिया है जिसका योगदान व्यक्ति विशेष समुदाय तथा राष्ट्र के कल्याण के लिए बहुत उपयोगी है।

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