बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 चित्रकला बीए सेमेस्टर-4 चित्रकलासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- फ्रांसिस बेकन ने सौन्दर्य का उद्गम किससे माना है?
उत्तर-
फ्रांसिस बेकन (Francis Bacon)
सन् 1541 / 1561 ई. से 1626 ई. तक )
फ्रांसिस बेकन सौन्दर्य का उद्गम अनुपात से मानते हैं। यह अनुपात विचित्रता से युक्त होता है जिसे चित्र पूर्ण अभिव्यक्ति नहीं दे पाता अर्थात् सौन्दर्य का एक अंश ऐसा है जिसका मानव द्वारा चित्रण करना कठिन है, मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति द्वारा सौन्दर्य से युक्त चित्रकृति बनाने का प्रयत्न करता है। बैंकन के अनुसार, सौन्दर्य का यही सर्वोत्तम अंश है। "कोई भी भव्य सौन्दर्य ऐसा नहीं है जो स्वंय में अनुपात की विचित्रता न रखता हो।' इनका विचार सर्वथा नवीनता से युक्त था।
फ्रांसिस बेकन का नाम व्यवहारवादी (Empiricist) दार्शनिकों में माना जाता है। मानव मस्तिष्क के तीन स्तर माने जाते हैं-
1. स्मृति
2. कल्पना
3. तर्क या विवेक
इन तीनों का सम्बन्ध इनके अपने-अपने स्वभाव से सम्बन्धित विषयों से हैं। इतिहास स्मृति का विषय है। काव्य, कल्पना का विषय है और दर्शन, तर्क या विवेक का विषय है। ज्ञान का आधार इन्द्रियों को माना गया है इन्हीं से क्रमशः कल्पना एवं तर्क के स्तर तक पहुँचता है। तर्क पर पहुँचना ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कलाओं का सम्बन्ध कल्पना से माना गया है किन्तु कला में अनेक असंगतियाँ दृष्टव्य हैं। सभी पदार्थों की मानसिक सत्ता होती है जिसे केवल कल्पना द्वारा बोधगम्य नहीं बनाया जा सकता। तर्क से ही पदार्थों की वास्तविकता का ज्ञान सम्भव है और उसी से मानव उन्नति करता है। इस प्रकार कल्पना वास्तविक कर्तव्य को पूर्ण नहीं कर सकती क्योंकि वह मस्तिष्क की एक क्रीड़ा मात्र है। इस प्रकार कला को क्रीड़ा मानने का जो सिद्धान्तवाद में प्रचलित हुआ उसका अंकुरण फ्रांसिस बेकन के विचारों में स्पष्ट परिलक्षित थे। आरम्भ में बेकन ने कल्पना को स्मृति एवं विवेक के ही समान महत्वपूर्ण मानकर कहा था कि काव्य में आध्यात्मिक प्रवृत्ति है। कल्पना में मनुष्य ने भक्ति का मार्ग खोजा और ऐसी आन्तरिक सृष्टि की जिसका दर्शन केवल कलाकार ही कर सकते हैं किन्तु बाद में उन्होंने कला में असंगतियों की बात कहकर अपने विचारों में परिवर्तन कर लिया और कहा कि कल्पना स्मृति तथा विवेक के मध्य केवल संदेश वाहक का कार्य करती है। बेकन पर प्लेटो का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित है।
बेकन के अनुसार - "कल्पना वास्तविक कर्तव्य को पूर्ण नहीं कर सकती क्योंकि. वह मानव मस्तिष्क की एक क्रीड़ा है।'
कलाकार रंग, रेखा, आकार इत्यादि से अपनी कल्पना के माध्यम द्वारा चित्रसृष्टि करता है। कवि शब्दों से नवीन संसार की रचना करता है। कला और सौन्दर्य दोनों दृष्टियों में बेकन ने सदैव ही नवीन विचार दिये।
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