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बीए सेमेस्टर-4 संस्कृत

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2749
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 संस्कृत - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

अपठित का आशय है, बिना पढ़ा हुआ अर्थात् जो पाठ्यक्रम में प्रस्तावित है उससे इतर।

छन्द, तुकबन्दी और यति गति से मुक्त तथा विचारपूर्ण वाक्यबद्ध रचना को गद्य कहते हैं।

आरोह - अवरोह - यति - गति पूर्ण छंद बद्ध वह रचना जिसमें पाठक / श्रोता को रसानुभूति होती है उसे पद्य कहते हैं।

गद्य लिखने वाले को लेखक कहा जाता है।
पद्य लिखने वाले को कवि कहा जाता है।
गद्य अनुच्छेद (पैराग्राफ) में लिखा जाता है।
पद्य विभिन्न चरणों (पंक्तियों) में लिखा जाता है।
गद्य में प्रासंगिक कथायें नहीं होती हैं।
पद्य में प्रासंगिक कथायें होती हैं।
गद्य में मानवीकरण नहीं होता है।
पद्य में मानवीकरण होता है।

गद्य में यति - गति तथा मात्राओं की गणना का ध्यान रखने की आवश्यकता नहीं होती है।

पद्य में यति - गति तथा वर्ण मात्राओं की गणना का पूर्ण ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

गद्य की प्रमुख विधायें निबन्ध, एकांकी, नाटक, जीवनी, कहानी आदि होती हैं।

पद्य की प्रमुख विधायें दोहा, चौपाई, सोरठा, कुण्डलिया आदि होती हैं।

गद्यांश अर्थात् गद्य का अंश या भाग या रचना।

पद्यांश अर्थात् पद्य का अंश या भाग या रचना।

अपठित में उत्तर को रचना से ज्यों का त्यों नहीं लिखना चाहिये, बल्कि अपनी भाषा का सही प्रयोग करके लिखना चाहिये।

अपठित में शीर्षक को कुछ या कम शब्दों में लिखना चाहिये।

अपठित रचना में अर्थ नहीं बल्कि भाव को समझना चाहिये।

अपठित में उत्तर काव्य के रूप में नहीं बल्कि वाक्य के रूप में देना चाहिये।

अपठित में उत्तर स्वयं के ज्ञान के रूप में नहीं बल्कि लेखक या कवि की दृष्टि से देना चाहिये।

अपठित अंश के उत्तर सारगर्भित होने चाहिये, अर्थात् अंश के सार से प्रभावित होना चाहिये।

अपठित अंश के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर मूल अवतरण में ही ढूँढ़ना चाहिये। बाहर से अथवा अपने मन से उसका उत्तर लिखने का प्रयास नहीं करना चाहिये।

प्रयास करना चाहिये कि प्रश्नों का उत्तर लिखते समय मूल अवतरण में दिये गये शब्दों का ही प्रयोग किया जाये।

अपठित में सभी प्रश्नों के उत्तर सरल एवं संक्षिप्त होने चाहिये।

उत्तर लिखते समय अपनी ओर से बढ़ा-चढ़ाकर या उदाहरण देकर नहीं लिखना चाहिये।

यदि अपठित गद्यांश का भावार्थ या सारांश पूछा गया है तो उसे अपनी सरल भाषा में लिखना चाहिये जो मूल का तिहाई या आधा हो।

अपठित अवतरण को कई बार पढ़ने के बाद मूल भावों, विचारों तथा कठिन शब्दों को रेखांकित करना चाहिये।

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