बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
प्रतिभाशाली बालक, सामान्य बालकों से सभी बातों में श्रेष्ठतर होता है।
स्किनर के अनुसार, 'प्रतिभाशाली' शब्द का प्रयोग उन एक प्रतिशत बालकों के लिए किया जाता है जो सबसे अधिक बुद्धिमान होते हैं।
क्रो एवं क्रो के अनुसार, "प्रतिभाशाली बालक दो प्रकार के होते हैं-
(i) वे, बालक जिनकी बुद्धिलब्ध 130 से अधिक होती है ओर जो असाधारण बुद्धि वाले होते है, तथा
(ii) वे बालक जो कला, गणित, संगीत, अभिनय आदि में एक या अधिक में विशेष योग्यता रखते हैं।
टरमन के अनुसार - "प्रतिभाशाली बालक-शारीरिक गठन, सामाजिक समायोजन, व्यक्तित्व के लक्षणों विद्यालय की उपलब्धि, खेल की सूचनाओं और रूचियों की बहुरूपता में सामान्य बालकों से बहुत अधिक श्रेष्ठ होते हैं।
स्किनर एवं हैरिसन के अनुसार प्रतिभाशाली बालकों में निम्न विशेषतायें पायी जाती है-
1. विशाल शब्द कोष
2. मानसिक प्रक्रिया की तीव्रता
3. दैनिक कार्यों में विभिन्नता
4. सामान्य ज्ञान की श्रेष्ठता,
5. सामान्य अध्ययन में रूचि
6. अध्ययन में अद्वितीय सफलता
7. अमूर्त विषयों में रूचि 8. आश्चर्यजनक अन्तर्दृष्टि का प्रमाण
9. मंद बुद्धि और सामान्य बालकों से अरूचि
10. पाठ्य विषयों में अत्यधिक रूचि या अरूचि
11. विद्यालयों के कार्यों के प्रति बहुधा उदासीनता
12. बुद्धि परीक्षाओं में उच्च बुद्धिलब्धि।
विटी के अनुसार - "प्रतिभाशाली बालक खेल पसंद करते हैं, 50% मित्र बनाने की इच्छा रखते हैं, 80% धैर्यवान होते हैं, दूसरों का सम्मान करते हैं, 96% अनुशासन प्रिय होते हैं।
A survey of Education of gifted Children के लेखक विगहर्स्ट हैं।
हैविगहर्स्ट के अनुसार - "प्रतिभाशाली बालकों के लिए शिक्षा का सफल कार्यक्रम वही हो सकता है जिसका उद्देश्य उसकी योग्यताओं का विकास करना हो।
कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्रतिभाशाली बालकों को एक वर्ष में दो बार कक्षोन्नति दी जानी चाहिए।
कुछ अन्य वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा करना उनको सीखने की प्रक्रिया के क्रमिक विकास के लाभ से वंचित करना है।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार - "प्रतिभाशाली बालक को सामान्य रूप से विभिन्न कक्षाओं मे अध्ययन करना चाहिए।"
एक वर्ष में दो बार उन्नति देने के बजाय प्रतिभाशाली बालकों के लिए विशेष और विस्तृत पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाना चाहिए।
शिक्षक को प्रतिभाशाली बालक के प्रति विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
'An Enriched Curriculum for Rapid Learners' के लेखक हालिंगवर्थ है। हैलिंगवथ के अनुसार - "प्रतिभाशाली बालकों को अपनी संस्कृति के विकास की शिक्षा दी जानी चाहिए।
प्रतिभाशाली बालकों की सामान्य विधियों के अध्ययन में विशेष रूचि होती है।
प्रतिभाशाली बालकों में रुचियों की बाहुल्यता होती है।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार - "प्रतिभाशाली बालक को सामाजिक अनुभव प्राप्त करने के लिए अवसर दिये जाने चाहिए ताकि वह सामाजिक असंयोजन से अपनी रक्षा कर सके।"
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार - "क्योंकि हम प्रतिभाशाली बालक से नेतृत्व की आशा करते हैं इसलिए उसको विशिष्ट परिस्थितियों में नेतृत्व का अवसर और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।"
The Gift child in the Regular Classroom' के लेखक शेफील है।
जो बालक कक्षा का औसत कार्य नहीं कर पाता ओर कक्षा के औसत छात्रों के पीछे रहता है उसे पिछड़ा बालक कहा जाता है।
‘The Backward Child' के लेखक सिरिल बर्ट है।
हिज मेजेस्टी कार्यालय के अनुसार - "पिछड़े बालक वे हैं जो उस गति से आगे बढ़ने में असमर्थ होते हैं जिस गति से उनकी आयु के अधिकांश साथी आगे बढ़ रहा है।"
कुप्पूस्वामी के अनुसार पिछड़े बालक में निम्न विशेषतायें पायी जाती है-
1. सीखने की धीमी गति
2. जीवन में निराशा का अनुभव
3. समाज विरोधी कार्यों की प्रवृत्ति
4. व्यवहार संबंधी समस्याओं की अभिव्यक्ति
5. सामान्य विद्यालय के पाठ्यक्रम का लाभ उठाने में असमर्थता
6. सामान्य शिक्षण विधियों द्वारा शिक्षा ग्रहण करने में विफलता
7. मन्द बुद्धि, सामान्य बुद्धि या अतिश्रेष्ठ बुद्धि का प्रभाव
8. मानसिक रूप से अस्वस्थ और असमायोजित व्यवहार
9. बुद्धि परीक्षाओं में निम्न बुद्धि लब्ध
कुप्पूस्वामी के अनुसार - "शैक्षिक पिछड़ापन अनेक कार्यों का परिणाम है। अधिगम में मन्दता उत्पन्न करने के लिए अनेक कारण एक साथ मिल जाते हैं।
वैलेन्टीन के अनुसार - "बर्ट ने जितने पिछड़े बालकों का अध्ययन किया, उनमें से 95% की बुद्धि सामान्य बुद्धि से निम्न थी।"
स्टोन्स के अनुसार - "आजकल पिछड़ेपन के क्षेत्र में किया जाने वाला अधिकांश अनुसंधान यह सिद्ध करता हैं कि उचित ध्यान दिये जाने पर पिछड़े बालक शिक्षा में प्रगति कर सकते हैं।
पिछड़े बालकों की शिक्षा के लिए विशिष्ट बालकों की स्थापना की जानी चाहिए।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार - "जिन बालकों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है उन्हें मंद बुद्धि बालक कहा जाता है"
मंद बुद्धि बालक धीरे-धीरे सीखते हैं और अनेक गलतियां करते हैं।
अमेरिका में मंद बुद्धि बालकों के लिए तीन विशेष कार्यक्र प्रारम्भ किये गये हैं-
1. अपनी देखभाल का प्रशिक्षण
2. सामाजिक प्रशिक्षण
3. आर्थिक प्रशिक्षण।
समस्यात्मक बालक उस बालक को कहते हैं जिसके व्यवहार में ऐसी कोई असमान्य बात होती है जिसके कारण वह समस्या बन जाती है।
चोरी करने वाला बालक, झूठ बोलने वाला बालक, क्रोध करने वाला बालक आदि इस श्रेणी में आते हैं।
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