बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
वैयकितक भिन्नता का तात्पर्य जैविक मानसिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक विभिन्नता से है।
दुनिया में कोई भी दो व्यक्ति एक समान नहीं होते, यहाँ तक जुड़वाँ बच्चों में भी कुछ न कुछ भिन्नता पायी जाती है।
मनोविज्ञान के क्षेत्र में वैयक्तिक भिन्नता का पता 19वीं शताब्दी में फ्रांसिस गाल्टन, टर्मन तथा कैटेल आदि मनोवैज्ञानिकों ने लगाया और भिन्नता के कारणों की भी खोज की।
स्किनर के अनुसार - "बालक भी प्रत्येक संभावना के विकास का एक विशिष्ट काल होता है।
यह काल वैयक्तिक भिन्नता के कारण भिन्न-भिन्न अवधियों का होता है।
वैयक्तिक भिन्नता प्रकृति द्वारा प्रदत्त स्वाभाविक गुण है।
स्किनर के अनुसार वैयक्तिक भिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का ऐसा कोई पहलू सम्मिलित हो सकता है जिसका माप किया जा सकता है।
टायलर के अनुसार - "एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति से अन्तर एक सार्वभौमिक घटना जान पड़ती है।
वैयक्तिक भिन्नता में व्यक्तित्व के केवल मापीय लक्षणों को ही समाहित किया जाता है यथा- भार, लम्बाई, बुद्धि, अभिक्षमता, क्रोध एवं सामाजिकता आदि।
वर्तमान में किसी व्यक्ति के किसी गुण की दृष्टि से स्थिति को उस गुण के मध्यमान से विचलन द्वारा स्पष्ट किया जाता है।
वैयक्तिक भिन्नता से तात्पर्य व्यक्ति विशेष के किसी गुण अथवा लक्षण विशेष से प्राप्तांक का उसके बड़े समूह पर प्राप्त मध्यमान से विचलन होता है।
कोई व्यक्ति किसी एक गुण में औसत के निकट हो सकता है, दूसरे औसत से नीचे हो सकता और तीसरे में औसत से ऊपर हो सकता है।
शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को किसी गुण विशेष के आधार पर प्रायः पांच वर्गों में विभाजित किया जाता है-
1. औसत से बहुत कम
2. औसत से कम
3 औसत
4. औसत से अधिक
5. औसत से बहुत अधिक।
उक्त माप करने वाले पैमाने को 'पांच बिन्दु पैमाना' कहा जाता है ।
इस पैमाने पर जो बच्चे अंतिम दोनों छोर पर आते हैं, उन्हें विशिष्ट बालक कहा जाता है।
वैयक्तिक भिन्नता में व्यक्तित्व के केवल मापीय लक्षणों को ही शामिल किया जाता है, जैसे भार, लम्बाई, बुद्धि, सामाजिकता, अभिक्षमता, सामाजिकता, क्रोध आदि।
किसी भी समूह में व्यक्तियों के किसी भी लक्षण का झुकाव मध्यमान अर्थात् औसत प्राप्तांक की ओर होता है जिसे सामान्य संभावना वक्र (NPC) द्वारा स्पष्ट किया जाता है।
व्यक्ति - व्यक्ति में किसी गुण में भिन्नता उसके प्राप्तांकों के गुण विशेष के मध्यमान से विचलन के अन्तर द्वारा ज्ञात किया जाता है।
कोई व्यक्ति किसी गुण विशेष की दृष्टि से औसत प्राप्तांक के निकट हो सकता है जबकि दूसरे गुण में औसत प्राप्तांक से कम भी हो सकता है।
वैयक्तिक भिन्नता के मापीय व्यक्तित्व लक्षण सामान्य तथा एक दूसरे से प्रभावित होते हैं। उच्च बुद्धि के बालकों की शैक्षिक उपलब्धि भी प्रायः उच्च ही होती है।'
वैयक्तिक भिन्नता मानव के विविध प्रकार के विकास का आधार होती है।
वैयक्तिक भिन्नता के अन्तर्गत रूप-रंग नाक- नख्श, शरीर रचना, विशिष्ट योग्यतायें, बुद्धि सभी स्वभाव, उपलब्धि आदि की भिन्नता से व्यक्ति के समग्र रूप की पहचान हो सकती है।
घर में भाई बहनों में भिन्नता पायी जाती है।
स्किनर के अनुसार, "व्यक्तिगत भिन्नताओं में वे सभी पहलू शामिल है जिनका मापन संभव है।
रंग, रूप, भार, कद, बनावट, यौन भेद, शारीरिक परिपक्वता आदि शारीरिक भिन्नतायें है। मानसिक दृष्टि से भी व्यक्तियों में विभिन्नता पायी जाती है।
कोई व्यक्ति प्रतिभाशाली, कोई अत्यधिक बुद्धिमान, कोई कम बुद्धिमान तथा कोई मूर्ख होता है।
एक ही व्यक्ति में शैशवावस्था, किशोरावस्था तथा अन्य अवस्थाओं में विभिन्न मानसिक योग्यतायें पायी जाती है।
विभिन्न योग्यताओं की जाँच करने के लिए बुद्धि परीक्षाओं का निर्माण किया गया है।
वुडवर्थ के अनुसार - प्रथम कक्षा के बालकों की 'बुद्धि लब्धि' 60 से 160 तक होती है।
व्यक्तियों की संवेगात्मक विभिन्नताओं को सहज रूप से जाना जा सकता है।
संवेगात्मक विभिन्नताओं के कारण ही कुछ व्यक्ति उदार हृदय, कुछ कठोर हृदय तथा कुछ खिन्न चित्त के और कुछ प्रसन्न चित्त के होते हैं।
संवेगात्मक विभिन्नताओं की माप के लिए 'संवेगात्मक परीक्षणों' का सहारा लिया जाता है।
रूचियों की दृष्टि से भी व्यक्तियों में विभिन्नतायें पायी जाती है।
प्रत्येक व्यक्ति की रूचि में उसकी आयु की वृद्धि के साथ-साथ परिवर्तन होता जाता है।
बालकों और बालिकाओं तथा पुरुषों और स्त्रियों की रूचियों में भी अन्तर पाया जाता है।
व्यक्तियों में विचारों की दृष्टि से भी भिन्नता पायी जाती है।
सीखने की दृष्टि से भी बालकों तथा व्यक्तियों में अनेक विभिन्नतायें पायी जाती है।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार - "एक ही आयु के बालकों में सीखने की तत्परता का समान स्तर होना आवश्यक नहीं है।
गत्यात्मक योग्यताओं में भिन्नता के कारण ही कुछ व्यक्ति एक कार्य को अधिक कुशलता से और कुछ कम कुशलता से करते हैं।
कुशलता योग्यता में आयु के साथ-साथ वृद्धि हो जाती है।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार - "शारीरिक क्रियाओं में सफल होने की योग्यता में एक समूह के व्यक्तियों में भी महान विभिन्नता पायी जाती है।
चरित्र की दृष्टि से सभी व्यक्तियों में कुछ न कुछ भिन्नता का होना अनिवार्य है।
व्यक्ति अनेक बातों से प्रभावित होकर एक विशेष चरित्र का निर्माण करते हैं।
शिक्षा संगीत, परिवार पड़ोस आदि सभी का चरित्र पर प्रभाव पड़ता है।
विशिष्ट योग्यताओं की दृष्टि से भी व्यक्तियों में अनेक विभिन्नतायें पायी जाती है।
सभी व्यक्तियों में विशिष्ट योग्यतायें नहीं होती।
विशिष्ट योग्यताओं की मात्रा में भी अन्तर पाया जाता है।
व्यक्तित्व की दृष्टि से व्यक्तियों की विभिन्नतायें हमें किसी न किसी रूप में आकर्षित करती है।
टायलर के अनुसार - "संभवतः व्यक्ति, योग्यता की भिन्नताओं के बजाय व्यक्तित्व की विभिन्नताओं से अधिक प्रभावित होता है।"
व्यक्ति भिन्नता का प्रभाव अधिगम प्रक्रिया तथा उसकी उपलब्धि पर पड़ता है।"
बुद्धि तथा व्यक्तित्व व्यक्तिगत भिन्नता का आधार है।
बुद्धि तथा व्यक्तित्व के कारण सीखने की क्रिया प्रभावित होती है।
व्यक्ति भिन्नता का परीक्षण व्यक्ति इतिहास विधि तथा सामूहिक अभिलेखों से चलता है।
वंशानुक्रम, वातावरण, जाति-प्रजाति व देश, आयु-वृद्धि, शिक्षा व आर्थिक दशा, लिंग भेद तथा रचनात्मक शक्ति व्यक्तिगत भिन्नता के मुख्य कारण है।
वैयक्तिक भिन्नताओं के मुख्य क्षेत्र शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक क्षेत्र है।
छात्र वर्गीकरण की नवीन विधियों, व्यक्तिगत शिक्षण व्यवस्था, कक्षा का सीमित आकार, शिक्षण पद्धतियों में परिवर्तन आदि में वैयक्तिक विभिन्नताओं का व्यापक शैक्षिक महत्व है।
शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक भिन्नता पर ध्यान देकर कक्षा में वैयक्तिक भिन्नताओं का समायोजन किया जा सकता है।
स्किनर का कहना हैं कि - "बालकों की विभिन्नताओं के चाहे जो भी कारण हो, वास्तविकता यह हैं कि विद्यालयों को विभिन्न पाठ्यक्रमों द्वारा उनका समाधान करना चाहिए।"
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