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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2748
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 12
'वैयक्तिक विभिन्नता
(Individual Differences)

प्रत्येक व्यक्ति में जैविक -मानसिक, सांस्कृतिक, संवेगात्मक अन्तर पाया जाता है। यही अन्तर एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न करता है। इसी भिन्नता के कारण दुनिया के कोई भी दो व्यक्ति बिल्कुल एक जैसे नहीं होते। मनोविज्ञान के क्षेत्र में 19वीं सदी में फ्रांसिस गाल्टन, पियर्सन, कैटेल, टर्मन आदि ने व्यक्तिगत भिन्नता का पता लगाया और इसके कारणों की खोज की। स्किनर के अनुसार बालक की प्रत्येक संभावना के विकास का एक विशिष्ट काल होता हैं। यह काल वैयक्तिक भिन्नता के कारण भिन्न-भिन्न अवधि का होता है। यदि उचित समय पर इस संभावना को विकसित करने का प्रयत्न न किया गया तो उसके नष्ट हो जाने का भय रहता है। कोई भी दो व्यक्ति आपस में समान नहीं होते। इस प्रकार वैयक्तिक भिन्नता को प्रकृति द्वारा प्रदत्त स्वाभाविक गुण माना जाता है।

प्राचीन काल से ही शिक्षा संस्थायें मानसिक योग्यता के आधार पर छात्रों में अन्तर करती चली आ रही है। यद्यपि उन्होंने इस प्राचीन परम्परा का अभी तक परित्याग नहीं किया है परन्तु वे इस अवधारणा का निर्माण कर चुकी है कि छात्रों में अन्य योग्यतायें और कुशलतायें भी होती है। जिसके फलस्वरूप उनमें कम या अधिक भिन्नता होती है। इस धारणा को स्किनर ने मनोवैज्ञानिक भाषा में व्यक्त किया। व्यक्तिगत भिन्नता में सम्पूर्ण व्यक्तित्व का कोई भी ऐसा पहलू सम्मिलित हो सकता है जिसका माप किया जा सकता है। स्किनर की इस अवधारणा के अनुसार उनमें व्यक्तित्व के वे सभी पहलू आ जाते हैं जिनका माप किया जा सकता है। माप किये जा सकने वाले इन पहलुओं को टायलर ने भी महसूस किया। वस्तुतः शरीर के आकार और स्वरूप, शारीरिक कार्यों, गति-संबंधी क्षमताओं, बुद्धि, उपलब्धि ज्ञान, रूचियों, अभिवृत्तियों तथा व्यक्तित्व के लक्षणों में माप की जा सकने वाली विभिन्नताओं की उपस्थिति साबित की जा चुकी हैं।

व्यक्तियों में पायी जाने वाली विभिन्नताओं के कारण हम किन्हीं दो व्यक्तियों को एक दूसरे का प्रतिरूप नहीं कह सकते । वस्तुतः ये विभिन्नतायें इतनी अधिक है कि इनमें से केवल मुख्य विभिन्नताओं पर ही ध्यान दिया जा सकता है। ये विभिन्नतायें शारीरिक भी हो सकती है, मानसिक भी हो सकती हैं अथवा संवेगात्मक हो सकती है। व्यक्ति की रूचियों, विचारों, व्यक्तित्व, चरित्र तथा सीखने में भी भिन्नता हो सकती है। इस इकाई में वैयक्तिक विभिन्नता तथा उसके प्रभावों के विविध पक्षों का विवेचन किया गया है।

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